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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन के अत्याचारों से आजाद होंगे उइगर मुस्लिम, अमेरिका ने उठाया बड़ा कदम

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चीन द्वारा उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाया है। दरअसल, यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने अनुमोदित जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम (Forced Labor Prevention Act) को मंजूरी देने वाला बिल पारित कर दिया है। इसके तहत चीन के शिनजियांग से जबरन श्रम से बने सामानों को आर्थिक रूप से प्रतिबंधित किया गया है जिसे कि अमेरिका को बेचा जाता है। समाचारपत्र ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है।

अमेरिका की इस कदम से चीन को बड़े स्तर पर झटका लगने की उम्मीद है। शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों से जबरन काम करवाया जाता है और इनकार करने पर यातनाएं दी जाती हैं। यहां तक की इन्हें न्यूनतम मजदूरी से भी कम मजदूरी दी जाती है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय भी जारी करेगा रिपोर्ट

वहीं उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय भी जल्द अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे देगा। जिनेवा स्थित मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविले ने कहा कि यूनए की मानवाधिकार आयुक्त मिशेल बेचलेट को उम्मीद है कि आने वाले कुछ सप्ताहों में वह अपनी रिपोर्ट को प्रकाशित कर देंगी। उन्होंने कहा कि शिनजियांग की प्रस्तावित यात्रा को लेकर चीनी अधिकारियों के साथ लंबे समय से जारी चर्चा में कोई ‘ठोस प्रगति नहीं हुई है।’

अमेरिका चीन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी पर भी लगा चुका रोक

अमेरिका ने 10 दिसंबर को चीन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी सेंसटाइम ग्रुप को निवेश की काली सूची डाल दिया था। सेंसटाइम पर आरोप है कि उसने ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है, जो उइगर मुस्लिमों की पहचान कर लेगा। हालांकि कंपनी ने आरोपों को निराधार बताया है।

कौन हैं उइगर मुसलमान?

उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह से ताल्लुक रखते हैं। ये मूल रूप से मध्य और पूर्व एशिया के निवासी हैं। इनकी भाषा तुर्की है। चीन में जिन 55 अल्पसंख्यक समुदायों को आधिकारिक पर मान्यता दी गई है, उइगर उनमें से ही एक हैं। वर्तमान में उइगर मुसलमानों की सबसे बड़ी आबादी चीन के शिनजियांग क्षेत्र में रहती है।

चीन में उइगर मुसलमानों पर अत्याचार

चीन में उइगर मुसलमानों की स्थिति पर पूर्व चीनी अधिकारी जियांग ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए थे। एक साक्षात्कार के दौरान जियांग ने कहा था कि चीन के डिटेंशन सेंटर में इन्हें कुर्सी और रस्सी से बांधकर रखा जाता है। चीनी अधिकारियों के शर्त नहीं मानने पर पुलिसकर्मी इन पर कोड़े बरसाते हैं।  यहां तक कि इन्हें सोने तक नहीं दिया जाता है। पुरुष के अलावा महिलाओं से भी बर्बरता की जाती है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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