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प्रादेशिक

सीएम योगी ने अनुदेशकों और रसोइयों को दिया बड़ा तोहफा, बढ़ेगा मानदेय

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा के अनुदेशकों का मानदेय दो हजार रुपये बढ़ाने का एलान किया है। साथ ही स्कूल की हर रसोइये को साल में दो साड़ी, हेयर कैप और एप्रन दिया जाएगा। इसके अलावा रसोइये को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर बीमा भी मिलेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा के अनुदेशकों व रसोइयों के कार्यक्रम में इसकी घोषणा की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अटल कंवेंशन सेंटर में संवाद समारोह में कहा कि रसोइयों को वर्ष में दो साड़ियां और पांच लाख रुपये की स्वास्थ्य बीमा योजना का भी लाभ दिलाया जाएगा। इसके अलावा उन्हें एप्रन और हेड कैप भी मुहैया कराएंगे। रसोइयों के बैंक में खाते खुलवाए जाएंगे और उसी में साड़ी आदि का धन भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना महामारी के विकट दौर में अन्य राज्यों की सरकारों ने कर्मचारियों के वेतन और मानदेय में बड़े पैमाने पर कटौती की है, जबकि उत्तर प्रदेश में सभी की सेवाएं सुरक्षित रखते हुए मानदेय बढ़ाया जा रहा है।

भोजन बनाने वाली रसोइयों और बच्चों के आत्मीय संबंध का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने रसोइयों की सेवा के नवीनीकरण के लिए संबंधित विद्यालय में उसके पाल्य के होने की बाध्यता पर पुनर्विचार करने के लिए विभाग को निर्देशित किया।

मुख्यमंत्री से संवाद करते हुए लगभग सभी अनुदेशकों ने 7,000 मात्र के अल्प मानदेय की पीड़ा साझा करते हुए बढ़ोतरी की अपील की तो रसोइयों ने भी अपना दर्द बांटा। मुख्यमंत्री योगी एक-एक कर सबको सुनते रहे। कोई घर से दूर तैनाती और अल्प मानदेय की समस्या से परेशान था, तो किसी ने योगी सरकार से बेहतरी की आखिरी उम्मीद पर कहा।

सभी का दर्द सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में बेसिक शिक्षा विद्यालयों के सुधार में अनुदेशकों की भूमिका को सराहा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में जिस व्यवस्था के तहत अनुदेशकों की नियुक्ति हुई थी, अलग-अलग कारणों से वह खंडित हो गई।

लेकिन राज्य सरकार ने किसी की सेवाएं समाप्त नहीं कीं। मात्र 7,000 के मासिक मानदेय को बढ़ाये जाने की मांग को वाजिब बताते हुए सीएम में इसमें 2,000 की अतिरिक्त बढ़ोतरी कर इसे सम्मानजनक स्तर पर ले जाने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने अनुदेशकों की सेवाओं को व्यवस्थित करने का भरोसा दिलाते हुए आवश्यक कदम उठाने के लिए विभाग को निर्देशित किया। वहीं रसोइयों के कार्यदायित्व को सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने रसोइयों के हित में एक के बाद एक कई ऐलान किए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 3 लाख 78 हजार रसोइयां वर्तमान में सेवारत हैं। सबकी अपनी मांग है पर सरकार की भी अपनी सीमा है। बावजूद इसके वर्ष 2018 में रसोइयों का मानदेय 1000 से बढ़ाकर 1500 मासिक किया गया। अब कोरोना की चुनौतियों को देखते हुए एक बार फिर इसमें 5,00 की बढ़ोतरी की जा रही है। उन्होंने रसोइयों को मनमाने ढंग से सेवा से निकाले जाने को अनुचित बताते हुए नवीनीकरण के लिए पाल्य के नामांकन संबंधी नियमों में परिवर्तन के लिए विभाग को निर्देशित किया।

अंशकालिक अनुदेशकों के मासिक मानदेय में 2,000 की वृद्धि। 7,000 से बढ़कर 9,000 हुआ मानदेय। रसोइयों के मासिक मानदेय में 500 की बढ़ोतरी। रसोइयों को प्रति वर्ष दो साड़ी मिलेगी। एप्रन व हेयर कैप की धनराशि बैंक खाते में भेजी जाएगी। रसोइयों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा कवर मिलेगा। रसोइयों के सेवा नवीनीकरण के लिए संबंधित विद्यालय में पाल्य के नामांकन के नियम पर पुनर्विचार के लिए विभाग को निर्देश दिया।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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