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प्रादेशिक

आज माफिया का दुस्साहस नहीं कि वह किसी की जमीन कब्जा कर ले : सीएम योगी

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गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कभी पूर्वी उत्तर प्रदेश मच्छर और माफिया के लिए कुख्यात था। यहां के लोगों को बाहर के होटलों और धर्मशालाओं में कमरा तक नहीं मिलता था। पर, आज पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत पूरा प्रदेश माफिया के कलंक से मुक्त हो गया है। अब यहां किसी ने गुंडई की तो उस पर बुलडोजर चलना तय है। उसे नेस्तनाबूद हर हाल में होना है।

सीएम योगी बुधवार शाम गोरखपुर महानगर के एक होटल में एक मीडिया समूह द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि गोरखपुर को कभी लोग शिकागो की उपमा देते थे। इसे शिकागो के बाद सर्वाधिक अपराध वाला इलाका माना जाता था। सीएम ने सपा सरकार में गोरखपुर के जेल रोड तथा आर्यनगर में अलग-अलग प्रतिष्ठित परिवारों की कोठियों पर सत्ता संरक्षित माफिया की तरफ से कब्जा किए जाने और अपने (योगी) द्वारा इसका जोरदार प्रतिकार करने का वाकया भी सुनाया। उन्होंने कहा कि समाज को अन्याय नहीं सहना चाहिए। गोरखपुर की माफिया संस्कृति को समाप्त कर इसकी वास्तविक, आध्यात्मिक व विकास की संस्कृति को स्थापित करने के ध्येय से ही वह राजनीति में आए। मुख्यमंत्री ने बीते करीब 5 साल में प्रदेश में सुदृढ़ हुई कानून व्यवस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि आज किसी माफिया का दुस्साहस नहीं है कि वह किसी की जमीन कब्जा कर ले। उसने ऐसा किया तो उसकी सात पुश्तें सोचेंगी।

मुख्यमंत्री ने शानदार रोड और एयर कनेक्टिविटी की जानकारी देते हुए कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनने जा रही है। एक्सप्रेसवे के अंतर्गत आने वाले अलग-अलग जनपदों में औद्योगिक क्लस्टर भी बनाए जा रहे हैं। एयर कनेक्टिविटी भी लगातार मजबूत हुई है गोरखपुर से कई बड़े शहरों के लिए 14 फ्लाइट उपलब्ध है तो यहां से बमुश्किल 60 किलोमीटर दूर कुशीनगर में अक्टूबर माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया है। इसके अलावा आजमगढ़ और श्रावस्ती में भी हवाई अड्डे बन रहे हैं अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर काम चल रहा है।

गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बीते करीब 5 सालों में आए बदलाव और विकास की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र की मजबूती इससे समझी जा सकती है कि आज गोरखपुर में चार विश्वविद्यालय हैं। इसी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र का भी कायाकल्प हुआ है। कभी पूरे पूरे उत्तर प्रदेश में चिकित्सा के बड़े केंद्र के रूप में एकमात्र बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर था। आज गोरखपुर में एम्स खुल गया है। देवरिया, सिद्धार्थनगर, और बस्ती में मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुके हैं जबकि कुशीनगर में मेडिकल कॉलेज का निर्माण चल रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक बना है। साथ ही वेक्टर बोर्न डिजीज की जांच व अनुसंधान के लिए रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर की स्थापना भी हुई है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में 1990से बंद पड़ा खाद कारखाना नए स्वरूप में तो खोला ही गया है, पूर्व की सरकारों द्वारा बेच या बंद कर दी गईं चीनी मिलों को भी खोला जा रहा है। पिपराइच व मुंडेरवा की चीनी मिलें इसका प्रमाण हैं।

सीएम योगी ने एक जिला एक उत्पाद योजना (ओडीओपी) के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि यह योजना भारतीय जनता पार्टी के लोककल्याण संकल्प पत्र में किए गए वादे की पूर्णता का सशक्त प्रमाण है। संकल्प पत्र में परंपरागत उद्यम को प्रोत्साहन देने का वादा किया गया था और ओडीओपी के रूप में प्रदेश सरकार ने न केवल इसे साकार किया है बल्कि जिलों के विशिष्ट उत्पादों को वैश्विक फलक तक पहुंचाया है। साथ ही एमएसएमई से जोड़कर परंपरागत उद्यम में रोजगार की संभावनाएं विस्तारित की गई हैं।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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