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आखिर क्या होता है फेस मिस्ट? जानिए फायदे और बनाने का तरीका
आपने कई बार सुना होगा कि स्किन केयर रूटीन में फेस मिस्ट को भी जरूर शामिल करना चाहिए लेकिन कई लोगों को पता नहीं होता कि फेस मिस्ट क्या होता है और यह किस काम आता है? ऐसे में वे फेस मिस्ट का इस्तेमाल भी नहीं कर पाते। फेस मिस्ट के फायदे जानने से पहले आपको यह जानना चाहिए कि फेस मिस्ट क्या होता है?
फेस मिस्ट क्या होता है?
फेस मिस्ट एक तरह का स्प्रे होता है। ये हर्ब्स और अलग-अलग तरह की नेचुरल चीजों से बना होता है. स्किन को हाईड्रेट करने के लिए फेस मिस्ट का चेहरे पर जरूर इस्तेमाल करना चाहिए। आप अपनी स्किन के हिसाब से एलोवेरा जेल, ग्रीन टी या रोज वॉटर से बने फेस मिस्ट खरीद सकते हैं। मार्केट की बजाय आप घर पर भी फेस मिस्ट बना सकते हैं।
फेस मिस्ट के फायदे
फेस मिस्ट में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जिसे फेस पर स्प्रे करने से स्किन पर ग्लो आता है और साथ ही ये झुर्रियों और फाइन लाइन्स को खत्म हो जाती है। इसके अलावा इससे चेहरे पर मौजूद ब्लैक स्पॉट्स कम होने के साथ ओपन पोर्स की प्रॉब्लम भी कम हो जाती है। इतना ही नहीं, मेकअप से पहले चेहरे पर फेस मिस्ट स्प्रे करने से मेकअप काफी लम्बे टाइम तक स्टे करता है।
फेस मिस्ट कैसे बनाएं
सबसे पहले आप 3-4 चम्मच कच्चे चावल लें और उन्हें अच्छे से धो लें। आपको चावल ठंडे पानी से ही धोने हैं। जब ये अच्छे से धुल जाए, तो इसमें जितना चावल लिया था उससे थोड़ा सा ज्यादा पानी मिलाएं। यानी अगर आधा कटोरी चावल लिया था तो 3/4 कटोरी ही ठंडा पानी डालें। आइस वाटर भी ले सकते हैं। अब नीबू को पतले-पतले गोल स्लाइस में काट लें। नीबू को भीगे हुए चावल के पानी में रखें। अब इसे 2 घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ दें। अब इन्हें अच्छे से निचोड़ लें और चावल को भी हाथों से ही थोड़ा सा क्रश कर लें। अब इस पानी को छान लें।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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