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आध्यात्म

आज है होलिका दहन, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व,मंत्र और पूजा की विधि

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उमंग, उल्लास, खुशियों और रंगों का त्योहार होली फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन और उसके दूसरे दिन होली खेलने का उत्सव धुलंडी मनाया जाता है। शास्त्रों की मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन स्नान-दान कर उपवास रखने, होलिका की अग्नि की पूजा से मनुष्य के सभी कष्टों का नाश होता है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। होलिका दहन के दिन होली पूजन करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

Holika Dahan 2022: जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और होली पूजन  की संपूर्ण सामग्री -Holika Dahan 2022 Know the time shubh muhurat puja  vidhi samagri list in hindi -

होलिका दहन की पूजाविधि

Holika Dahan 2022 : होलिका दहन क्यों है महत्वपूर्ण? जानें होलिका पूजन की  विधि | TV9 Bharatvarsh

होलिका दहन में होलिका और भक्त प्रह्लाद की पूजा की जाती है। सर्वप्रथम सभी देवताओं में प्रथम पूज्य गणेश जी का स्मरण कर,जहां पूजा करनी हैं,उस स्थान पर गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें। संभव हो तो होलिका दहन वाली सामग्री को अग्नि तत्व की दिशा दक्षिण-पूर्व में रखें। पूजा करते समय पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठनाचाहिए। पूजन के लिए तांबे के एक लोटे में जल,माला,रोली,चावल,गंध,फूल,कच्चा सूत,बताशे-गुड़, साबुत हल्दी,गुलाल,नारियल आदि का प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद होलिका में गोबर से बने खिलौने व माला भी रखें। साथ में नई फसल के हरे चने की बालियां व गेहूं की बालियां आदि भी सामग्री के रूप में रख लें। अब कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटना चाहिए।

होलिका मंत्र

Holika Dahan Story- Know the Ritual Celebrated Before Holi Festival

‘असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिषै:। अतस्तवां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।’ का उच्चारण करते हुए होलिका की सात परिक्रमा करें। इसी मंत्र के साथ होलिका कोअर्ध्य भी दें। चौराहे पर होलिका दहन होने के बाद वहां से लाई हुई अग्नि से होलिका दहन करें। फिर लोटे का शुद्ध जल और पूजन की अन्य सभी वस्तुओं को श्रद्धाभाव से एक-एक करके होलिका में समर्पित करें। होलिका दहन होने के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग- गेहूं, चना, जौ भी अर्पित कर स्वयं भी पूरे परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करें।मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को रोगों से मुक्ति मिलती है। घर की सुख-समृद्धि के लिए होली की पवित्र भस्म को घर में रखें।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

Holika Dahan 2022: 17 मार्च को होलिका दहन, जानें किस समय होलिका की पूजा  करना होगा शुभ-festivals holika dahan 2022 date shubh muhurat holika puja  upay | News24

इस बार होलिका दहन गुरुवार, 17 मार्च को है। इस दिन दोपहर डेढ़ बजे से पूर्णिमा लग जाएगी। पूर्णिमा की पूजा भी इसी दिन की जाएगी। होलिका दहन का मुहूर्त देर शाम 9 बजकर 20 मिनट से रात्रि 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। यानी होलिका दहन के लिए कुल मिलाकर एक घंटा 10 मिनट का समय मिलेगा। रंगभरी होली शुक्रवार, 18 मार्च को खेली जाएगी।

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ऐतिहासिक महाकुंभ में ऐसा पहली बार हुआ, अखाड़े ने बनाया श्रील प्रभुपाद को विश्व गुरु

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लखनऊ/प्रयागराज। इस्कॉन और विश्वव्यापी हरे कृष्णा आंदोलन के संस्थापक एवं आचार्य श्री कृष्ण कृपामूर्ति ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद को इस ऐतिहासिक महाकुंभ के पावन अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पहली बार ‘विश्व गुरु’ की उपाधि से सम्मानित किया। विश्व गुरु पट्टाभिषेक कार्यक्रम निरंजनी अखाड़ा के परिसर में नित्यानंद त्रयोदशी के पवन तिथि के अवसर में सम्पन्न हुआ। यह उपाधि श्रील प्रभुपाद को दुनिया भर में लाखों-करोड़ों अनुयायियों को सनातन धर्म से जोड़ने एवं इस्कॉन के प्रति देश-विदेश में उमड़ी श्रद्धा को देखते हुए दी गई।

निरंजनी पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 स्वामी कैलाशनंद गिरी महाराज, श्रीमहंत रवींद्र पूरी जी महाराज अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, आचार्य महामंडलेश्वर अवधूत अरुण गिरी जी श्री आवाहन अखाड़ा पीठाधीश, अखाड़ों के महामण्डलेश्वरगण, सचिव गण, श्रीमहंतगण एवं हजारों भक्तों की उपस्थिति में हुआ। हरे कृष्ण मूवमेंट और इस्कॉन बंगलौर के अध्यक्ष श्री मधु पंडित दास जी और वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष चंचलापति दास जी के पावन सानिध्य में स्वामी प्रभुपाद को यह सम्मान प्रदान किया गया। धन्यवाद प्रस्ताव भरतर्षभ दास ने की।
अखाड़ा परिषद ने इस अवसर पर कहा कि “हम सभी अत्यंत हर्ष एवं प्रसन्नता की अनुभूति कर रहे हैं कि परमपूज्य पाद श्रील प्रभुपाद जी को ‘विश्व गुरु’ की उपाधि दी गई। उनका योगदान सनातन धर्म के प्रसार में अद्वितीय है, और उनकी शिक्षाओं से लाखों लोगों का जीवन बदल चुका है।”

इस पावन अवसर पर श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि पावन त्रिवेणी के संगम तट पर चल रहे विशाल, भव्य स्वच्छ और दिव्य महाकुंभ के पावन पर्व पर हमें आज उस महापुरुष के सानिध्य में बैठने का अवसर मिला। “यह उपाधि 1968 के कुछ दिनों बाद ही मिल जाना चाहिए था, लेकिन आज इस त्रिवेणी के पावन तट पर हम सभ को इस शुभ कार्य करने का श्रेय मिलना था।”

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र पुरी जी महाराज ने कहा कि श्रील प्रभुपाद महाराज जी के लिए यह विश्व गुरु की यह पदवी, सूर्य को दीया दिखाने के बराबर है। श्रील प्रभुपाद महाराज ने श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीमद्भागवतम पर शानदार कार्य किया। आवाहन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 अनंत श्री विभूषित अवधूत बाबा अरुण गिरी जी महाराज ने कहा कि लोग मुझे अवधूत कहते हैं लेकिन मैं स्वामी श्रील प्रभुपाद महाराज जी को अद्भुत कहता हूं। इस पावन अवसर पर स्वामी प्रभुपाद के अनुयायी दो-दो वृक्ष लगाने का संकल्प लें, तभी राधा रानी की प्राप्ति होगी।

वैश्विक हरे कृष्ण आंदोलन के चेयरमैन और संरक्षक, अक्षय पात्र फाउंडेशन के संस्थापक और चेयरमैन, वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के चेयरमैन और इस्कॉन बैंगलोर के अध्यक्ष श्री मधु पंडित दास ने इस्कॉन और हरे कृष्ण आंदोलन के सभी अनुयायी की ओर से आचार्य श्रील प्रभुपाद को विश्व गुरु से अलंकृत कर सम्मानित करने का निश्चय करने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रति अपनी कृज्ञता व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी का मुझपर विशेष प्रेम है, तभी यह सब संभव हो रहा है। उन्होंने श्रील प्रभुपाद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रील प्रभुपाद ने संपूर्ण विश्व में सनातन धर्म को प्रसार कर ने के लिये बहुत सारे तपस्या की है।

श्रील प्रभुपाद एक छोटा परिचय

त्रिदंडी संन्यासी और गोस्वामी श्री श्रीमद ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद ब्रह्म-मध्व -गौड़ीय वैष्णव परम्परा के 32वें आचार्य हैं, जिन्होंने 70 वर्ष की आयु में श्री चैतन्य महाप्रभु और वृंदावन के 6 गोस्वामी की शिक्षाओं और हरि नाम संकीर्तन की महिमा को सफलतापूर्वक दुनिया भर में फैलाया और हजारों लोगों ने अपने जीवन को बदलकर सनातन धर्म के दर्शन और संस्कृति को अपनाया। श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीमद्भागवतम पर उनके लेखन को दुनिया भर में 80 से अधिक भाषाओं में लाखों लोगों में वितरित किया गया है, और आज भी दुनिया भर में लाखों लोगों को सनातन धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। दुनिया भर में सनातन धर्म के प्रसार में उनका योगदान अद्वितीय है।

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