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प्रादेशिक

एन. बीरेन सिंह ने फिर संभाली मणिपुर के सीएम की गद्दी, जानें वो पांच बातें जिनकी बदौलत दुबारा बने सीएम

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मणिपुर में बीजेपी की जीत के साथ ही सीएम पद पर सस्पेंस बना हुआ था. लेकिन बीते रविवार बीजेपी विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से एन बीरेन सिंह को वोट कर विधायक दल का नेता चुना लिया गया है. सीएम पद पर सहमति बनने के साथ ही अब लगातार दूसरी बार होगा जब बीरेन सिंह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. बीजेपी विधायक दल की बैठक में केन्द्रीय पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और सह-पर्यवेक्षक किरेन रिजिजू मौजूद रहे.

बता दें कि मणिपुर में यह बीजेपी का लगातार दूसरा कार्यकाल होगा. इससे पहले साल 2017 में BJP ने कांग्रेस की 28 सीटों की तुलना में सिर्फ 21 सीटें होने के बावजूद दो स्थानीय दलों – एनपीपी और एनपीएफ के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाने में सफल रही थी. हालांकि, इस बार, बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़ा और बहुमत हासिल करने में कामयाब रही. आइये जानते हैं कि वो पांच चीजें जिनकी बदौलत दोबारा मणिपुर के मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठने जा रहे एन. बीरेन सिंह.

बीजेपी के लिए मैदान बनाना

मणिपुर विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी द्वारा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची घोषित किए जाने के बाद राज्य में हिंसा और तोड़फोड़ के बावजूद, कई लोगों ने सोचा कि मणिपुर में BJP के लिए अपनी सत्ता बनाए रखना असंभव होगा. वहीं राजनीतिक विश्लेषकों और विशेषज्ञों ने त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की थी, लेकिन जब नतीजे आए तो हवाएं एन बीरेन सिंह की तरफ चली गईं. हाल ही में लड़े गए विधानसभा चुनावों में, बीजेपी ने 60 विधानसभा सीटों में से 32 पर जीत हासिल कर मणिपुर का नियंत्रण हासिल कर लिया.

नरेंद्र मोदी के विजन को आगे बढ़ाना

इस तथ्य के बावजूद कि एन बीरेन सिंह पार्टी में नए थे, उन्होंने शुरू से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह राज्य का नेतृत्व उस रास्ते पर करेंगे, जिसकी योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनाई थी. उन्होंने पीएम के विजन को आगे बढ़ाने की बात कही जिसे जनता द्वारा सराहा गया.

कांग्रस नेताओं का बीजेपी में शामिल होना

बिस्वजीत सिंह ने दावा किया था कि मणिपुर में BJP लाने का वास्तविक आंदोलन तब शुरू हुआ जब एन बीरेन सिंह कांग्रेस से चले गए. उस दौरान कांग्रेस का हर शक्तिशाली राजनेता लगभग हर महीने बीजेपी में शामिल हो रहा था, जिससे बीजेपी और मजबूत होती चली गई और कांग्रेस पार्टी को नुकसान होता गया.

पहाड़ियों को घाटी से जोड़ना

मणिपुर के पहाड़ी और घाटी क्षेत्र विभाजित हैं, एन बीरेन सिंह ने विभिन्न प्रयासों के माध्यम से अंतर को पाटने का प्रयास किया है. उनका ‘गो टू हिल्स’ अभियान बहुत ज्यादा ही सफल रहा, और उन्हें मणिपुर में नए जिलों के निर्माण सहित कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत करने का श्रेय दिया गया.

सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना 

बीरेन सिंह का युवाओं से कनेक्ट रहना और सोशल मीडिया पर एक्टिव होना भी पार्टी के लिए फायदेमंद रहा. बीरेन सिंह द्वारा सरकार की उपलब्धियों पर ट्वीट कर युवाओं तक अपना मैसेज पहुंचाते रहे हैं. सिंह पूर्वोत्तर सीएम के बीच सोशल मीडिया पर सबसे सक्रिय राजनीतिक नेताओं में से एक हैं.

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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