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प्रादेशिक

सीएम योगी के निर्देश पर पुलिस की सभी इकाइयों में चल रही तैयारी, जिला, रेंज और जोन स्तर पर होगा व्यापक बदलाव

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के देश के अंदर कानून व्यवस्था और पुलिसिंग को सर्वश्रेष्ठ बनाने के निर्देश पर गृह विभाग और पुलिस महकमा अमलीजामा पहनाने जा रहा है। इसे लेकर पुलिस की सभी इकाइयों में तैयारी चल रही है और आने वाले समय में जिला, रेंज और जोन स्तर पर भी बदलाव नजर आएगा। मिशन शक्ति फेज वन, फेज टू की सफलता के बाद फेज थ्री को नए कलेवर और तेवर में शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। सीएम के निर्देश पर डीजीपी मुख्यालय जल्द गृह विभाग को ब्योरा सौंपने वाला है।

विधानसभा चुनाव में प्रदेश की कानून व्यवस्था को लोगों ने जमकर सराहा और अपना समर्थन भी दिया। इसके लिए प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री से लेकर केंद्रीय स्तर के कई बड़े नेताओं ने मुक्त कंठ से सीएम योगी की प्रशंसा की थी। अब योगी 2.0 में सीएम योगी ने गृह विभाग को कानून व्यवस्था और पुलिसिंग को लेकर बड़ा टास्क दिया है। इसे लेकर गृह विभाग में अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी समेत अन्य विभागीय अधिकारियों की बैठक हो चुकी है। इसमें डीजीपी ने करीब पांच सौ पेज का प्रजेंटेशन दिया था। यूपी पुलिस को देश में नंबर एक बनाने के लिए पुलिस की सभी इकाइयों से शून्य से दो साल तक सूक्ष्म, दो से पांच साल तक लघु और पांच साल से अधिक पर दीर्घकालिक ब्योरा मांगा गया है। इसमें मानव संसाधन से लेकर, तकनीकी का अधिक से अधिक उपयोग और इस पर आने वाले खर्च का भी ब्योरा मांगा गया है।

संकल्पों को लेकर जल्द रिपोर्ट सौंपेगा डीजीपी मुख्यालय

भाजपा के लोक कल्याण संकल्प पत्र में कानून व्यवस्था और पुलिसिंग से संबंधित सभी संकल्पों को लेकर डीजीपी मुख्यालय अलग से तैयारी कर रहा है। 18 मंडलों में एंटी करप्शन ऑर्गनाइजेशन यूनिट की स्थापना, मेरठ में कोतवाल धन सिंह गुर्जर अत्याधुनिक पुलिस ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना, आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए देवबंद, मेरठ, रामपुर, आजमगढ़, कानपुर और बहराइच में एंटी-टेररिस्ट कमांडो सेंटरों की स्थापना, हर पुलिस स्टेशन में साइबर हेल्प डेस्क (सीएचडी) की स्थापना सहित अन्य संकल्पों को पूरा करने के लिए जल्द रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

हाईटेक होगी यूपी पुलिस, तकनीकी का होगा भरपूर उपयोग

गृह विभाग के मुताबिक पुलिस की सभी इकाइयों में तकनीक का भरपूर उपयोग किया जाएगा। तकनीकी के उपयोग से ही पुलिस कंट्रोल रुम को और मजबूत किया जाएगा। लोगों को पुलिस की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जनोपयोगी सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा और उन्हें सिंगल विंडो सिस्टम से जोड़ा जाएगा। अभियोजन विभाग को और अधिक मजबूत किया जाएगा, ताकि अपराधियों को प्रभावी पैरवी कर जल्द अधिकतम सजा दिलाई जा सके।

सप्ताह में एक दिन गांवों में जाएंगी महिला बीट अधिकारी

सीएम योगी का संकल्प महिलाओं और बेटियों को सुरक्षित, सशक्त और स्‍वावलम्बी बनाने का है। मिशन शक्ति अभियान के तहत सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है। महिलाओं को कानूनी सहायता दिलाने के लिए सभी थानों में 10,370 महिला बीट का गठन किया गया है। प्रदेश में पहली बार 20,740 महिला सिपाहियों को बीट पुलिस अधिकारी बनाया गया है। सीएम योगी के निर्देश पर महिला बीट अधिकारी सप्ताह में एक दिन गांवों में जाएंगीं और महिलाओं की समस्याओं के समाधान की दिशा में जागरूक करेंगीं। यह महिला आरक्षी गांव में होने वाली दिक्कतों का बीट बुक पर लेखा-जोखा भी दर्ज करेंगी। साथ ही महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए मिशन शक्ति अभियान भी चलाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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