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आज है भारत बंद का दूसरा दिन, जानिए क्यों हड्ताल पर है यूनियन
बारह सूत्रीय मांगों को लेकर ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का आज दूसरा और आखिरी दिन है. पहले दिन ट्रांसपोर्ट और बैंकिंग से जुड़े काम ठप रहे. इसका असर देशभर में पड़ा. आज दूसरे दिन भी बंद का असर दिख सकता है. बता दें कि बैंकों के निजीकरण, अन्य सरकारी कंपनियों को बेचने के विरोध में ये यूनियन बंद पर गए हैं.
बंद के दौरान हुईं ये बड़ी हलचल
इस बंद के दौरान कई तरह की हलचलें होती रहीं. अगर 7 बड़ी हलचलों की बात करें तो वो इस प्रकार हैं.
- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, केरल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में विरोध के पहले दिन असर दिखाई दिया. यहां परिवहन और बैंकिंग सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुईं.
- केरल में उच्च न्यायालय को सरकारी कर्मचारियों को इस हड़ताल से दूर रखने के लिए इसे अवैध करार देते हुए आदेश जारी करना पड़ा. इसके बाद भी यहां अधिकांश सरकारी ऑफिस बंद रहे.
- दक्षिण भारत के दूसरे शहरों की सड़कें भी खाली रहीं. सरकारी बसें पूरी तरह से दूर रहीं. इसके अलावा टैक्सी, ऑटो-रिक्शा और निजी बसें भी रोड पर नहीं उतरीं.
- बंगाल में वाम दल भी इस बंद में शामिल हुआ. इन लोगों ने यहां रेल पटरियों पर बैठ कर ट्रेन के संचालन को बाधित किया साथ ही रोड पर ट्रैफिक भी रोका.
- उत्तरी बंगाल में कूचबिहार में लोगों को दिक्कत से बचाने के लिए कुछ सरकारी बसें उतारी गईं, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उसमें तोड़फोड़ की.
- बंद के पहले दिन हरियाणा के करनाल, पानीपत, कुरुक्षेत्र, सिरसा, फतेहाबाद, रोहतक, अंबाला, यमुनानगर और कैथल जिलों में परिवहन सेवाएं प्रभावित हुईं और लोगों को दिक्कत हुई. गुरुग्राम नगर निगम (एमसीजी) के 100 से अधिक स्टाफ प्रदर्शन में शामिल हुए.
- इस बंद के सपोर्ट में संसद में भी कुछ सांसद आए. वामपंथी और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के राज्यसभा सांसदों ने गांधी प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया.
क्यों हड़ताल पर हैं यूनियन
दरअशल केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा भविष्य निधि की ब्याज दरों में कटौती, ईंधन की बढ़ती कीमतें और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण जैसे मुद्दों पर इस बंद का आह्वान किया गया था. इस बंद में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के अलावा, स्वतंत्र क्षेत्रीय संघ और श्रमिक संघ भी शामिल हैं.
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ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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