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माओवादियों से सहानुभूति रखने वाले पर SC ने ठोंका 05 लाख का जुर्माना, याचिका ख़ारिज

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नई दिल्ली। नक्सल विरोधी अभियान के दौरान छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की न्यायेतर हत्या की जांच को लेकर 13 साल पुरानी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

इसके अलावा शीर्ष अदालत ने यह जांच की भी अनुमति दी है कि कुछ लोग और संगठन कोर्ट का इस्तेमाल वामपंथी चरमपंथियों के बचाने के लिए तो नहीं कर रहे हैं।

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार और 12 अन्य लोगों की तरफ से साल 2019 में दाखिल याचिका पर फैसला सुनाया। अदालत ने 19 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता कुमार को चार हफ्तों के अंदर 5 लाख रुपये की जुर्माना जमा करने के आदेश दिए हैं। राशि जमा नहीं करने की स्थिति में कुमार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। खास बात है कि याचिकाकर्ता को माओवादियों के साथ सहानुभूति रखने वाले के तौर पर जाना जाता है।

उन्होंने दंतेवाड़ा में साल 2009 में 17 आदिवासियों की हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी। कुमार ने साल 2009 में दंतेवाड़ा जिले की तीन अलग-अलग घटनाओं में 17 ग्रामीणओं की मौत को लेकर अपनी तरफ से रिकॉर्ड गए बयानों के आधार पर याचिका दायर की थी।

फरवरी 2010 में एपेक्स कोर्ट ने दिल्ली के जिला जज जीपी मित्तल को 12 आदिवासी याचिकाकर्ताओं के बयान रिकॉर्ड करने के लिए कहा था। कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की बात भी कही थी। साथ ही उन्होंने सुरक्षा देने के भी आदेश जारी किए थे।

इसके बाद जिला जज ने 19 मार्च 2010 को बयानों के संबंध में रिपोर्ट दाखिल की थी। तब शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों को रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे।

इस साल केंद्र ने गृहमंत्रालय के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि जिला जज की एक रिपोर्ट कोर्ट रिकॉर्ड्स से गायब हो गई थी, जो सरकार को मार्च 2022 में मिली।

केंद्र के अनुसार, रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शिकायतकर्ताओं ने जिला जज के सामने बयान दिए थे कि कुछ अज्ञात लोगों ने जंगल से आकर ग्रामीणों की हत्या की है। साथ ही किसी ने भी सुरक्षा बलों के सदस्यों पर सवाल नहीं उठाए थे।

इसके बाद केंद्र ने कोर्ट से किसी भी केंद्रीय एजेंसी को जांच के निर्देश देने की अपील की थी। इसके जरिए उन लोगों और संगठनों की पहचान की बात की गई थी, जो हिंसक माओवादी गतिविधियों को बचाने के लिए मुकदमेबाजी में शामिल हैं।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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