प्रादेशिक
दिल्ली: पुरानी आबकारी नीति पर लौटी सरकार, अब पूर्व की भांति बिकेगी शराब
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में बड़ा बदलाव हुआ है। दिल्ली सरकार ने शहर में खुदरा शराब बिक्री की पुरानी व्यवस्था को फिर से बहाल करने का फैसला किया है। इसके तहत 1 अगस्त से दिल्ली में सरकार पूर्व की तरह फिर से शराब बेचेगी। इससे पहले आबकारी नीति 2021-22 को 31 मार्च के बाद दो बार दो-दो महीने की अवधि के लिए बढ़ाया गया था, जो 31 जुलाई को समाप्त हो जाएगी। सरकार इसे अब आगे नहीं बढ़ाएगी। इसका ऐलान दिल्ली सरकार की ओर से किया गया है।
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को वापस लेने के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला। प्रेस वार्ता में मनीष सिसोदिया ने कहा कि गुजरात में भाजपा सरकार ने शराब की बिक्री पर 27 साल से प्रतिबंध लगा हुआ है मगर वहां शराब बिक रही है। ये लोग ही वहां शराब बिकवा रहे हैं। वहां लोग अवैध शराब पीकर मर रहे हैं।
दूसरी ओर दिल्ली में हमने पिछले साल शराब की नई नीति लागू की। इससे पहले सरकार को आबकारी विभाग से 6 हजार करोड़ का राजस्व मिलता था। नई नीति के तहत साढ़े नौ हजार राजस्व आना था। यानी डेढ़ गुना राजस्व बढ़ना था। उन्होंने कहा इन भाजपा वालों ने हमारी शराब नीति की सफलता को देख इसे बर्बाद करने की योजना बनाई। इन्होंने शराब की दुकान वालों को सीबीआई और ईडी से धमकाना शुरू कर दिया, इससे कई लोग काम छोड़ कर चले गए।
अब जो लोग बचे हैं उन्हें भी ये लोग सीबीआई और ईडी से धमकवा रहे हैं। ऐसे में जो लोग शराब की दुकानें चला रहे हैं, ये लोग भी दुकानें छोड़ कर जा रहे हैं। एक अगस्त से बड़ी संख्या में लोग काम छोड़कर जा सकते हैं। अब कोई अधिकारी आबकारी नीति 2021-22 को आगे नहीं बढ़ाना चाहता है। जिन दुकानों के टेंडर होने हैं वे भी कोई नहीं कर रहा है।
दिल्ली में पुराने तरीके से ही बिकेगी शराब
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा, “इसलिए हमने वर्तमान नीति को बंद करके पुरानी व्यवस्था के तहत शराब बेचने का फैसला लिया है। पहले की तरह दिल्ली में सरकारी तौर पर शराब बेची जाए। मैंने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि इस मामले में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हो।”
उन्होंने कहा कि ये भाजपा वाले गुजरात की तरह दिल्ली में भी शराब की बिक्री में गड़बड़ी करने की कोशिश में हैं। पहले भी ये लोग शराब की ब्रिकी में गड़बड़ी कराते थे, दिल्ली में अवैध शराब बिकवाते थे, नई नीति से इनका धंधा बंद हो गया था।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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