Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

खेल-कूद

CWG 2022: ‘बेईमानी’ के चलते हारी भारतीय महिला हॉकी टीम, रेफरी से भिड़ीं कोच

Published

on

Loading

लंदन। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिला हॉकी टीम को शुक्रवार को सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। टीम इंडिया ने सेमीफाइनल में जबरदस्त प्रदर्शन किया। पहले तीन क्वार्टर तक 1-0 से पिछड़ने के बाद भारतीय टीम ने चौथे क्वार्टर में वापसी की और वंदना कटारिया ने 49वें मिनट में गोल दाग स्कोर 1-1 कर दिया। नतीजा फुल टाइम तक स्कोर 1-1 से बराबर रहने के बाद मैच पेनल्टी शूटआउट में पहुंचा।

भारतीय टीम के साथ हुई बेईमानी
पेनल्टी शूटआउट में भारतीय टीम को ‘बेईमानी’ का सामना करना पड़ा। दरअसल, भारतीय गोलकीपर और कप्तान सविता पूनिया ने पहले शूट को बचा लिया था, लेकिन टाइमर ही चालू नहीं हो सका। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया को उसी शूट को दोबारा लेने का मौका मिला। इस पर उनके खिलाड़ी ने कोई चूक नहीं की और गोल दाग दिया।

इससे भारतीय टीम उबर नहीं सकी और पेनल्टी शूटआउट में 3-0 से हार गई। हालांकि, टाइमर नहीं चालू होने की घटना ने भारतीय फैन्स में आक्रोश पैदा कर दिया है और वह अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन (FIH/एफआईएच) पर बेईमानी करने का आरोप लगा रहे हैं।

इस वीडियो में देखें पहले शूटआउट में क्या हुआ-

पूर्व कोच ने भी की आलोचना
मैच के दौरान कमेंटेटर्स ने भी इस फैसले की आलोचना की और कहा कि इसमें टीम इंडिया की क्या गलती है। भारतीय महिला हॉकी टीम के पूर्व कोच जोएर्ड मरिज्ने तक को इस घटना पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने ट्विटर पर रेफरी के फैसले पर निराशा व्यक्त की और लिखा- अविश्वसनीय।

जानें क्या है पूरा मामला
शूटआउट में दोनों टीमों को पांच-पांच प्रयास मिलते हैं। शूटआउट के नए नियम में खिलाड़ी को 26 मीटर की दूरी से गेंद को आठ सेकेंड तक ड्रिबल करते हुए गोलकीपर तक लाना होता है और फिर अपनी स्किल से गोल दागना होता है। शूटआउट के समय टेक्निकल टीम से दो ऑफिशियल गोल पोस्ट के पास खड़े होते हैं।

उनमें से एक के हाथ में स्टोपवॉच होता है। जैसे ही स्टोपवॉच पर आठ सेकेंड का टाइमर चालू होता है तो टेक्निकल टीम का दूसरा सदस्य हाथ नीचे गिराकर रेफरी को शूटआउट चालू करने का इशारा करता है। इसके बाद रेफरी शूटआउट लेने वाले/वाली खिलाड़ी को आगे बढ़ने के लिए कहता है।

सविता ने पहले शूट को रोका, लेकिन टाइमर चालू नहीं हुआ
शूटआउट में भारतीय टीम का पलड़ा भारी माना जा रहा था, क्योंकि टीम इंडिया की गोलकीपर और कप्तान सविता पूनिया को दुनिया की सबसे बेहतरीन गोलकीपर्स में से एक माना जाता है। ऑस्ट्रेलिया की टीम को शूटआउट का पहला मौका दिया गया। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ड्रिबल करते जैसे ही भारत के गोलपोस्ट के पास पहुंचीं, सविता ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए उन्हें गोल नहीं करने दिया।

अगर ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम को पहले ही शूटआउट में गोल करने से रोका जाए, तो इससे किसी भी विपक्षी टीम का मनोबल बढ़ता है, लेकिन यहां कुछ उल्टा हुआ जिसने मैच का रुख ही बदल कर रख दिया। दरअसल, रेफरी ने टेक्निकल टीम को बिना देखे ही शूटआउट चालू करने का फैसला कर लिया, जबकि टेक्निकल टीम ने कभी हाथ गिराकर इसे शुरू करने का इशारा नहीं किया था।

शूटआउट शुरू होते ही टेक्निकल टीम की ऑफिशियल रेफरी को रुकने का इशारा भी करती हैं और माइक पर कुछ आवाज भी आती है, लेकिन तब तक ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी गेंद को लेकर आगे बढ़ चुकी होती हैं। बाद में जब टेक्निकल टीम की सदस्य रेफरी को यह बताती हैं, तो रेफरी उस शॉट को रीटेक लेने के लिए कहती हैं।

रेफरी ने तुरंत बदला फैसला
वीडियो में देख सकते हैं कि भारतीय टीम पहले शूटआउट के बाद ऑस्ट्रेलिया के गोल नहीं करने पर जैसे ही जश्न मनाने लगती है, वैसे ही रेफरी भारतीय टीम के पास पहुंचती हैं और उन्होंने कहा कि इस प्रयास को अमान्य माना जाएगा, क्योंकि जो आठ सेकेंड का समय दिया जाता है, वह टाइमर शुरू ही नहीं होता है। इसके बाद मैदान पर भारतीय टीम की कोच शोपमैन और बाकी खिलाड़ी रेफरी से बहस भी करती हुई दिखती हैं।

सोशल मीडिया पर FIH की आलोचना
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर रेफरी और अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन की खूब आलोचना हो रही है। इतना ही कमेंटेटर्स और राष्ट्रमंडल खेलों के एक्सपर्ट्स ने भी अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन (FIH/एफआईएच) से मामले को गंभीरता से देखने कहा है। सोशल मीडिया पर भारतीय फैन्स ने रेफरी और FIH पर बेईमानी का आरोप भी लगाया है।

उनका कहना है कि राष्ट्रमंडल खेल जैसे बड़ी मल्टीस्पोर्ट्स टूर्नामेंट के सेमीफाइनल जैसे महत्वपूर्ण मैच में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो सकती है। वहीं, एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि क्या होता अगर वह गोल हो जाता तो? क्या तब भी रेफरी गोल नहीं देतीं?

खेल-कूद

IND VS AUS: पर्थ में टूटा ऑस्ट्रेलिया का घमंड, भारत ने 295 रनों से दी मात

Published

on

Loading

पर्थ। भारतीय क्रिकेट टीम ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में मेजबान ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाते हुए नया कीर्तिमान रच दिया है। टीम इंडिया ने पर्थ में 16 साल बाद पहला टेस्ट मैच जीता है। इससे पहले भारत ने साल 2008 में कुंबले की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को हराया था। हालांकि यह मैच पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में खेला गया। पहली पारी में 150 रन बनाने वाली टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में सिर्फ 104 रनों पर ढेर कर दिया था। इसके बाद टीम इंडिया ने अपनी दूसरी पारी 487/6 रन के स्कोर पर घोषित करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 534 रनों का विशाल लक्ष्य रखा।

इस पहाड़ जैसे लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम दूसरी पारी में सिर्फ 238 रनों के स्कोर पर ढेर हो गई। इस तरह टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में 295 रनों से हराकर बड़ा इतिहास रच दिया। ध्यान देने वाली बात यह है कि टीम इंडिया में न तो रोहित शर्मा थे, न ही शुभमन गिल, न ही रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन और न ही मोहम्मद शमी थे। इसके बावजूद टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल ने 161 रन और विराट कोहली ने नाबाद शतकीय पारी खेली। दूसरी पारी में केेल राहुल ने भी 77 रनों की अहम पारी खेली। पहली पारी में टीम इंडिया 150 रनों पर सिमट गई थी पर भारतीय गेंदबाजों ने कमाल का कमबैक करते हुए पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम को घुटनों पर ला दिया। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 104 रन ही बना पाई। दूसरी पारी में टीम इंडिया ने कमाल का कमबैक करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 6 विकेट के नुकसान पर 487 रन बनाकर पारी घोषित कर दी। जिससे ऑस्ट्रेलिया को 534 रनो का टारगेट मिला। लेकिन चौथे दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 295 रनों से हरा दिया।

Continue Reading

Trending