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आध्यात्म

आगरा के इस मुगलकालीन हनुमान मंदिर का नाम क्यों है लंगड़े की चौकी? जानें रहस्य

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आगरा। आगरा वैसे तो ताज नगरी के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है, लेकिन यहां एक ऐसा दिव्य और चमत्कारी हनुमान मंदिर भी है जो करीब 500 साल पुराना है। आगरा के इस चमत्कारी हनुमान मंदिर को लंगड़े की चौकी के नाम से भी जाना जाता है। सिविल लाइन इलाके में मौजूद यह मंदिर मुगल कालीन है। कहा जाता है यह मंदिर मुग़ल बादशाह अकबर के काल से मौजूद है।

क्या है मंदिर के पीछे का रहस्य?

किवदंतियों के अनुसार मंदिर के पास एक चौकी थी जिसमें एक लंगड़ा चौकीदार ड्यूटी दिया करता था। मंदिर के वर्तमान महंत गोपी उपाध्याय के मुताबिक वो लंगड़ा चौकीदार अक्सर ड्यूटी करते हुए मंदिर में राम कथा सुनाने आ जाया करता था।

बार-बार ड्यूटी छोड़कर रामकथा करने की वजह से सिपाहियों ने कोतवाल से उसकी शिकायत कर दी। कोतवाल जब जांच के लिए आया तो देखा कि लंगड़ा सिपाही सचमुच राम कहानी सुना रहा था लेकिन जब वो चौकी पर पहुंचे तो लगड़ा सिपाही ड्यूटी पर भी मौजूद था।

कोतवाल इस रहस्य को समझ नहीं पाए और सिपाही को बुलाकर पूछा कि तुम एक ही समय पर दो जगह  कैसे होते हो? इस पर लंगड़े सिपाही ने कहा मैं तो राम कहानी ही सुनाता हूं मेरी जगह बजरंगबली ड्यूटी करते हैं। लंगड़े सिपाही की बात सुनकर कोतवाल को बड़ा आश्चर्य हुआ और इस तरह इस मंदिर का नाम लंगड़े की चौकी पड़ गया।

इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ लगती है। कहते हैं कि इसमें मांगी हुई हर मन्नत पूरी होती है।  भक्त हर मंगलवार को हनुमान जी को चोला चढ़ाने यहां आते हैं। हर शनिवार मंदिर को फूलों से सजाया जाता है।

इस फूल बंगले को सजाने के लिए भक्तों की वेटिंग होती है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी फूल बंगला सजाने के लिए भक्तों की वेटिंग रहती है। 1, 2 महीने पहले ही बुकिंग हो जाती है। मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 12:00 बजे तक खुला रहता है मंगलवार को 1 से 2:30 बजे तक बंद रहता है। उस दौरान हनुमान जी को चोला चढ़ाया जाता है।

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IANS News

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।

इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।

इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

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