नई दिल्ली। योगासनों का अभ्यास शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। योग का अभ्यास फेफड़ों को खोलने और शरीर में ऑक्सीजन के संचार को बढ़ाने में आपके लिए मददगार माना जाता है। योग विशेषज्ञों ने पाया कि अस्थमा जैसी क्रोनिक स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को कम करने में भी योगासनों से लाभ मिल सकता है।
अस्थमा सहित सांस के अन्य विकारों के लक्षणों को कम करने और फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए भी योग को दिनचर्या में शामिल करना एक प्रभावी तरीका हो सकता है। आइए जानते हैं कि सांस की समस्याओं में किन योगासनों को शामिल किया जा सकता है?
ब्रिज पोज या सेतुबंधासन योग के लाभ
सेतुबंधासन योग फेफड़ों की समस्या में काफी कारगर योगाभ्यास है। घरघराहट जैसी सांस की समस्याओं में ब्रिज पोज़ के अभ्यास से लाभ मिल सकता है। यह फेफड़ों को खोलने और संकुचित वायुमार्ग को ठीक करने में आपके लिए विशेष लाभकारी अभ्यास हो सकता है।
ब्रिज पोज या सेतुबंधासन योग
बटरफ्लाई या बद्धकोणासन योग से होने वाले लाभ
बद्धकोणासन या बटरफ्लाई योग शरीर को आराम देने वाला आसन है। यह आपके शरीर को स्ट्रेच करने के साथ रक्त संचार को बढ़ाने और अस्थमा जैसी सांस की दिक्कतों से राहत देने में मदद करता है। इसका अभ्यास काफी आसान है और सभी उम्र के लोग इससे लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
बटरफ्लाई या बद्धकोणासन योग
अनुलोम विलोम प्राणायाम के अभ्यास से लाभ
अनुलोम-विलोम योग एक विशिष्ट प्रकार का प्राणायाम है जो श्वास को नियंत्रित रखने में सहायक है। सांस में सुधार करने की यह विधि फेफड़ों को मजबूती देने और शरीर में ऑक्सीजन के संचार को बढ़ावा देने में काफी लाभकारी है।

नोट: लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना के पूर्णतया सत्य व सटीक होने की हमारा दावा नहीं है। लेख में संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।