लखनऊ। अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस (disputed structure demolition) मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत सभी आरोपियों को बुधवार को बड़ी राहत मिल गई। आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत अन्य आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दाखिल याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपना निर्णय 31 अक्टूबर को सुरक्षित कर लिया था।
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अयोध्या निवासी हाजी महबूब अहमद और सैयद अखलाख अहमद की ओर से कोर्ट में यह अपील दाखिल की गई थी। मामले में शुरुआत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई थी। इसे न्यायालय ने आपराधिक अपील में परिवर्तित करने का आदेश दिया था। मामले में सीबीआई की तरफ से भी आपत्ति दाखिल की गई थी।
सीबीआई का कहना था कि अपील करने वाले विवादित ढांचा गिराए जाने के इस मामले के पीड़ित नहीं हैं। लिहाजा सीआरपीसी की धारा 372 के परंतुक के तहत वर्तमान अपील दाखिल नहीं कर सकते। अपीलार्थियों का कहना है कि वे इस मामले में विवादित ढांचा गिराए जाने की वजह से पीड़ित पक्ष में हैं। लिहाजा उन्हें सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने का अधिकार है।
28 साल बाद आया था फैसला
इससे पहले सीबीआई की विशेष अदालत से पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, सांसद साक्षी महाराज, लल्लू सिंह और बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी को बरी कर दिया गया था।
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में 28 साल बाद फैसला आया था। विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा था कि विध्वंस सुनियोजित नहीं था। नेताओं के भाषण का ऑडियो साफ नहीं है। नेताओं ने भीड़ को रोकने की कोशिश भी की। जज ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। कहा था कि घटना अचानक हुई।
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