उत्तर प्रदेश
योगी सरकार के प्रोत्साहन का फल, बिजनौर में चंदन की खेती कर रहे हैं किसान
बिजनौर (उप्र)। उप्र के बिजनौर (bijnor) के किसान अब अपनी परंपरागत खेती गेहूं और गन्ने को छोड़ अन्य फसलो की खेती को अपना रहे हैं बिजनौर के किसानों ने अब नए तरह की खेती करना शुरू किया है और किसान अलग-अलग तरह की खेती अब बिजनौर में कर भी रहे हैं।
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इससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है ऐसे ही कुछ किसान अब बिजनौर के चांदपुर, नहटौर,धामपुर आदि जगह पर किसानों ने चंदन के वृक्ष लगाकर इनकी खेती करना यहां पर शुरू किया है।किसानों का कहना है कि अभी कुछ समय ही हुआ है इसको लगाएं और यह पेड़ अलग-अलग तरह से आय का स्रोत बने हैं इस पेड़ की हर वस्तु अनमोल है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राकृतिक खेती की मुहिम का दिखने लगा असर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गौ आधारित प्राकृतिक खेती और किसानों की आय बढ़ाने की मुहिम रंग लाने लगी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आह्वान पर प्रदेश के किसान परंपरागत खेती के साथ इसमें नए-नए प्रयोग कर अपनी आय तो बढ़ा ही रहे हैं, साथ ही अन्य किसानों के लिए मिसाल बन रहे हैं। चंदन की खेती के साथ अरहर, हरी सब्जी, सरसों और औषधीय पौधों की खेती कर अपनी आय को बढ़ाया जा सकता है।
चंदन के पौधे की ग्रोथ में अरहर की फसल का अहम योगदान
चंदन की खेती एक तरह का निवेश है। 15 वर्ष के बाद यह पौधे पेड़ का रूप ले लेंगे और चंदन के एक पेड़ से 12 से 20 किलो हार्डवुड प्राप्त होती है। इसके अलावा एक चन्दन के पेड़ से 20 से 40 किलो सेफवुड निकलती है, जिसका बाजार मूल्य 600 से 800 रुपये प्रति किलो होता है।
साथ ही बार्कवुड जो पेड़ की लकड़ी की ऊपरी परत है उससे 30 से 60 किलो बार्क मिलता है, जिसका बाजार मूल्य 50 रुपये प्रति किलो तक होता है। इस प्रकार एक एकड़ में चंदन के पौधों की संख्या 250 से 300 होती है। पौधे की परिपक्वता आयु 12 से 15 वर्ष होती है।
जानकारों की मानें तो एक एकड़ चंदन की खेती से किसान को 2 से 3 करोड़ रुपये की आय होगी,क्षेत्र के ज्यादात्तर किसान चंदन के पौधे के साथ अरहर की भी खेती करते हैं क्योंकि चंदन एक परजीवी पौधा है। अरहर की खेती से जहां लोगों की आय भी बढ़ती है, वहीं चंदन के पेड़ को इससे ग्रोथ भी मिलती है।
दरसअल, यह स्वयं अपना भोजन नहीं बनाता बल्कि किसी अन्य पौधे की जड़ों से अपनी जरूरतें पूरी करता है। जिस पौधे से यह पोषण लेता है, उसे होस्ट कहते हैं। चंदन के विकास के लिए होस्ट प्लांट का होना जरूरी है।
ऊसर और बंजर भूमि पर चंदन की ग्रोथ होती है सबसे अच्छी
चंदन की खेती की सबसे बड़ी खासियत है कि उसकी पैदावार ऊसर और बंजर भूमि पर ज्यादा होती है। इसके लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। इसकी खेती के लिए ड्रिप सिंचाई करनी होती है और एक एकड़ चंदन की खेती में करीब 30 से 40 हजार रुपये खर्च आता है। यह खर्च भी एक बार ही करना होता है।
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उत्तर प्रदेश
महाकुम्भ 2025 के सफल आयोजन के लिए 07 हजार बसों के अलावा 550 शटल बसें संचालित करेगा परिवहन निगम
लखनऊ/प्रयागराज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में उ0प्र0 परिवहन निगम दिव्य, भव्य एवं ग्रीन महाकुम्भ मेला-2025 के सफल आयोजन के लिए 07 हजार बसों को संचालित करेगा। परिवहन निगम प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण स्थानों से सुगम, सस्ती एवं आरामदायक सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है।
महाकुम्भ मेला में सड़क मार्ग से पूर्वाचल से अधिक संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। इसके दृष्टिगत पूर्वांचल के छोटे-छोटे कस्बों से मेला स्थल को जोड़ते हुए बसों के संचालन की योजना परिवहन निगम ने तैयार की है। महिला एवं वृद्ध तीर्थयात्रियों को विशेष सुविधा प्रदान करने की योजना बनाई गयी है।
3 चरणों में संचालन
एमडी परिवहन निगम मासूम अली सरवर ने बताया कि महाकुम्भ मेला 2025 के दौरान मुख्य स्नान 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 के बीच पड़ रहे, जिसमें मौनी अमावस्या का शाही स्नान 29 जनवरी एवं बसंत पंचमी का शाही स्नान 03 फरवरी, 2025 को है। महाकुम्भ 2025 के दौरान लगभग 6800 परिवहन बसें एवं लगभग 200 वातानुकूलित बसों का संचालन किये जाने की योजना है।
प्रथम चरण में 12 जनवरी से 23 जनवरी तक द्वितीय चरण में 24 जनवरी से 07 फरवरी तक एवं तीसरे चरण में 08 फरवरी से 27 फरवरी तक तीन चरणों में महाकुम्भ मेले में संचालन को बाटा गया है। निगम के कुल 19 क्षेत्रों से लगभग 165 मार्गों पर निगम की बसों का संचालन किया जायेगा।
550 शटल बसें चलाई जाएंगी
एमडी परिवहन निगम ने बताया कि बसों के अतिरिक्त 550 शटल बसें विभिन्न स्थाई एवं अस्थाई बस स्टेशनों एवं विभिन्न मार्गों पर निर्धारित वाहन पार्किंग स्थलों से संगम तट के निकट स्थित भारद्वाज पार्क एवं भारत स्काउट गाइड कालेज बैक रोड तक तथा लेप्रोसी बस स्टेशन व अंधावा बस स्टेशन तक संचालित किये जाने की योजना है।
उन्होंने बताया कि मुख्य स्नान पर्व पर शश्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ बढ़ने के कारण शास्त्रीपुल, फाफामऊ पुल एवं यमुना पुल यातायात हेतु प्रतिबंधित रहने की स्थिति में शहर के बाहर कुल 08 अस्थाई बस स्टेशन गठित किये जायेंगे, जिसमें झूसी बस स्टेशन, दुर्जनपुर बस स्टेशन, सरस्वतीगेट बस स्टेशन, नेहरू पार्क बस स्टेशन, बेली कछार बस स्टेशन, बेला कछार बस स्टेशन, सरस्वती हाइटेक सिटी मेनू एवं लेप्रोसी मिशन बस स्टेशन हैं।
इन मार्गों प्रभाग संचालन
एमडी ने बताया कि झूसी बस स्टेशन से दोहरी घाट, बड़हलगंज, गोला, उरूवा, खजनी, सीकरीगंज, गोरखपुर मार्ग, आजमगढ़-बलिया-मऊ व सम्बद्ध मार्ग के लिए बसों का संचालन किया जायेगा। दुर्जनपुर बस स्टेशन का उपयोग झूसी बस स्टेशन की बसों का संचालन मेला प्रशासन द्वारा रोके जाने पर किया जायेगा।
इसी प्रकार सरस्वतीगेट बस स्टेशन से बदलापुर, शाहगंज, टांडा व सम्बद्ध मार्ग एवं वाराणसी एवं संबद्ध मार्ग के लिए बसों का संचालन किया जायेगा, नेहरू पार्क बस स्टेशन से कानपुर एवं कौशाम्बी को संबद्ध मार्ग के लिए, बेला कछार बस स्टेशन से रायबरेली लखनऊ व संबद्ध मार्ग एवं फैजाबाद, अयोध्या, गोण्डा, बस्ती, बहराइच व संबद्ध मार्ग के लिए, सरस्वती हाइटेक सिटी नैनी से विन्ध्यांचल, मिर्जापुर, शक्तिनगर व संबद्ध मार्ग के लिए, लैप्रोसी मिशन बस स्टेशन से बांदा-चित्रकूट व संबद्ध मार्ग एवं रीवा-सीधी व संबद्ध मार्ग के लिए संचालन किया जायेगा।
नेहरू पार्क बस स्टेशन पर बसों का संचालन मेला प्रशासन द्वारा रोके जाने पर बसों का संचालन बेली कछार बस स्टेशन से किया जायेगा।
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