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आध्यात्म

सोम प्रदोष व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

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Som Pradosh fast today

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नई दिल्ली। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रत्येक पक्ष (कृष्ण व शुक्ल पक्ष) की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 5 दिसंबर दिन सोमवार को है। सोमवार को प्रदोष तिथि पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।

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इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी रखा जाता है।

सोम प्रदोष व्रत का महत्व

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, प्रदोष व्रत करने वाले जातकों की जीवन में कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता और उन पर सदैव शिव कृपा बनी रहती है।

मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और उस समय सभी देवी-देवता उनके गुण का स्तवन करते हैं।

ऐसे में जो भी जातक इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता है, उसकी सभी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है और व्यक्ति जन्म-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है।

सोम प्रदोष व्रत का संबंध चंद्रमा से हैं और इस दिन व्रत रखने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। इस व्रत के शुभ प्रभाव से किसी भी कार्य में आ रही अड़चन दूर हो जाती है।

इस समय को कहते हैं प्रदोष काल

सोम प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ का अभिषेक, रुद्राभिषेक और श्रृंगार का विशेष महत्व है। इस दिन प्रदोष काल में सच्चे मन से की गई पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। प्रदोष काल वह समय कहलाता है, जब सूर्यास्त हो रहा होता है और रात्रि आने के पूर्व समय को प्रदोष काल कहा जाता है। अर्थात सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक के काल को प्रदोष काल कहा जाता है।

सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि का आरंभ – 5 दिसंबर, सुबह 05 बजकर 57 मिनट

त्रयोदशी तिथि का समापन – 6 दिसंबर, सुबह 06 बजकर 46 मिनट

पूजा शुभ मुहूर्त – 5 दिसंबर, सायंकाल 05 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 15 मिनट तक

सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

सोम प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मवेला में उठकर स्नान आदि करने के बाद शिव मंदिर में जाकर ‘अहमद्य महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये’ यह कहकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूरे दिन उपवास रखें। पूजा में लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करना शुभ रहेगा।

प्रदोष व्रत की पूजा सायंकाल के समय प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन भक्त नियमपूर्वक शिवजी की पूजा करते हैं। सबसे पहले शिव का षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है।

शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, धूप-दीप, जल, गंगाजल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें। इसके धूप-दीप से आरती उतारें और भोग लगाएं। इसके बाद एक माला ‘ऊँ नमः शिवाय’ और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और कथा सुनें। इसके बाद आप अन्न-जल ग्रहण कर सकते हैं।

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उत्तर प्रदेश

जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियों का एक्सीडेंट, बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत

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नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे पर रविवार सुबह करीब 5 बजे भीषण हादसा हो गया। इस हादसे में जगतगुरु कृपालु जी महाराज की बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत हो गई। इसके अलावा उनकी दो बेटियां गंभीर रूप से घायल हैं। घायल दोनों बेटियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। हादसे के बाद जगतगुरु कृपालु परिषत की ओर से शोक संदेश भी जारी किया गया है। संदेश जारी करने के बाद भक्तों द्वारा इस घटना को लेकर दुख व्यक्त किया जा रहा है।

दिल्ली जाते समय हुआ हादसा बताया जा रहा है कि मथुरा से जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियां डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. कृष्णा त्रिपाठी और डॉ. श्यामा त्रिपाठी कार से दिल्ली एयरपोर्ट जाने के लिए निकलीं थीं। उनके साथ आश्रम से जुड़े अन्य लोग भी मौजूद थे। दिल्ली एयरपोर्ट से उनको फ्लाइट पड़कर सिंगापुर जाना था। कार यमुना एक्सप्रेसवे पर दनकौर कोतवाली क्षेत्र में पहुंची थी। इसी दौरान तेज रफ्तार की एक डीसीएम ने आगे चल रही दोनों कारों में टक्कर मार दिया। टक्कर लगने के बाद कार क्षतिग्रस्त हो गईं।

हादसे में बड़ी बेटी का निधन

हादसे में कृपालु जी की बड़ी बेटी 65 साल की डॉ. विशाखा त्रिपाठी का निधन हुआ है. हादसा दो छोटी बेटियों, डॉ. श्यामा त्रिपाठी व डॉ. कृष्णा त्रिपाठी की हालत गंभीर बताई जाती जा रही है. सभी घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. सिंगापुर जाने के लिए तीनों बहनें फ्लाइट पकड़ने एयरपोर्ट के लिए जा रही थीं.

 

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