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अन्तर्राष्ट्रीय

इस्राइली PM के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग, व्लादिमीर पुतिन से तुलना

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तेल अवीव। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी सरकार के खिलाफ विपक्षियों का लंबे समय से विरोध जारी है। इसी बीच, शनिवार रात को भी तेल अवीव में हजारों की संख्या में लोगों ने इस्राइल की न्यायिक प्रणाली में प्रस्तावित बदलावों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने उनकी रूसी राष्ट्रपति पुतिन से उनका तुलना की।

इस्राइल मीडिया के मुताबिक, न सिर्फ तेल अवीव बल्कि यरूशलेम में भी नेतन्याहू का विरोध किया गया। कहा जा रहा है कि सरकार के विरोध में जमा हुए लोगों की संख्या तकरीबन 80 हजार थी।

पुतिन से की तुलना

शनिवार देर रात तेल अवीव के हाबीमा चौक पर भारी बारिश के बावजूजद बड़ी संख्या में लोग जुटे और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा इस्राइल की न्यायिक प्रणाली में प्रस्तावित बदलावों का जमकर विरोध किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अपने हाथों में नेतन्याहू की तुलना रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करते हुए तख्तियां ले रखीं थी। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इस्राइल अर्ध-लोकतांत्रिक हंगरी और ईश्वरीय ईरान जैसा है।

न्यायिक प्रणाली में बदलाव करना चाहती है सरकार

गौरतलब है कि इस्राइल के न्याय मंत्री यारिव लेविन ने पिछले सप्ताह न्यायिक प्रणाली में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था। न्यायिक प्रणाली में संशोधन के जरिए सरकार एक समीक्षा समिति के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के नामांकित व्यक्तियों में सुधार करने और संसद को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को अस्वीकार करने का अधिकार देने का प्रयास कर रही है।

इस्राइल की सर्वोच्च न्यायालय के अध्यक्ष एस्तेर हयात भी इसके विरोध में है। उनका कहना है कि ये प्रस्तावित संशोधन, कानूनी प्रणाली पर एक अनियंत्रित हमला है। इससे पता चलता है कि सरकार न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता पर घातक प्रहार करने का इरादा रखती है।

इस्राइल के भविष्य को लेकर चिंतित

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे इस्राइल के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। साथ ही वे यहां नेतन्याहू को यह संदेश देने के लिए आए हैं कि जनता इस बात को बर्दाश्त नहीं करेगी कि वे देश के लोकतंत्र के पुनर्निर्माण के रूप में क्या मानते हैं।

नेतन्याहू के नेतृत्व वाली यह छठी सरकार

गौरतलब है कि इस्राइल में एक नवंबर को आम चुनाव के परिणाम आए थे। इसके बाद, 73 वर्षीय नेतन्याहू ने इजरायल की संसद केसेट द्वारा अपनी नई सरकार में विश्वास मत पारित करने के बाद  29 दिसंबर को पीएम के रूप में शपथ ली थी। नेतन्याहू के नेतृत्व वाली यह छठी सरकार है, जो देश के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले पीएम बने हुए हैं।

नेतन्याहू इसके पहले 14 वर्ष प्रधानमंत्री पद पर रह चुके हैं। लेकिन इस बार जब वे इस पद पर आ रहे हैं, तब अंतरराष्ट्रीय हालात बदले हुए हैं। ईरान के साथ उनके रिश्ते हमेशा बेहद तनावपूर्ण रहे। इस बीच अंतरराष्ट्रीय मंच पर ईरान की भूमिका बढ़ी है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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