लंदन/इस्लामाबाद। पाकिस्तान के दिग्गज नेता नवाज शरीफ ने पाकिस्तान की वर्तमान बदहाली के लिए पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और पूर्व आईएसआई चीफ जनरल फैज को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने फैज पर चुनाव में धांधली करवाने का आरोप लगाया।
पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ ने साल 2018 में इमरान खान की पीटीआई सरकार स्थापित करने को लेकर पाकिस्तान के जनरल (सेवानिवृत्त) बाजवा और लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) फैज हमीद को निशाना बनाया है।
द न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह सहित अपनी पार्टी के सहयोगियों के साथ बातचीत के बाद गुरुवार शाम लंदन में मीडिया से बात करते हुए यह बड़ा बयान दिया। शरीफ ने लोगों को 16 अक्टूबर, 2020 को एक पीडीएम रैली में अपने गुजरांवाला भाषण की याद दिलाई।
इसमें उन्होंने पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) कमर बाजवा और पूर्व आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) फैज हमीद पर चुनावों में धांधली करने, संविधान का उल्लंघन कर खान को प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित करने, उनकी सरकार को हटाने, मीडिया का मुंह बंद करने, न्यायपालिका पर दबाव बनाने और विपक्षी नेताओं को पीड़ित करने का सीधा आरोप लगाया था।
पाकिस्तान पर कब्जा करने की साजिश
शरीफ ने कहा कि उन्होंने गुजरांवाला के भाषण में इस ओर इशारा किया था कि पाकिस्तान की बदहाली के लिए कौन जिम्मेदार है और कैसे लोगों के एक समूह ने देश पर कब्जा करने की साजिश रची। द न्यूज ने हाल ही में खबर दी थी कि शरीफ ने पाकिस्तान को बर्बादी के करीब लाने के लिए चार लोगों- सेवानिवृत्त न्यायाधीश साकिब निसार, आसिफ सईद खोसा, जनरल (सेवानिवृत्त) बाजवा, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) फैज हमीद और इमरान खान को जिम्मेदार ठहराया था।
शरीफ ने अपने बेटे के कार्यालय के बाहर मीडिया से कहा कि अपने और पाकिस्तान के साथ हुई क्रूरता और अन्याय के बारे में राष्ट्र को सूचित करते समय उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा। ‘हमारे साथ अन्यायपूर्ण और क्रूर व्यवहार किया गया है और यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं इसे इंगित करूं।’
द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान के लोग उन दो सेवानिवृत्त जनरलों के ‘चेहरे और चरित्र’ से अच्छी तरह वाकिफ हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे तब्दीली परियोजना को लागू करने के पीछे थे, जिसकी परिकल्पना मूल रूप से पूर्व खुफिया प्रमुख जनरल शुजा पाशा, जनरल जहीर-उल-इस्लाम और उनके सहयोगी द्वारा की गई थी।