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उत्तर प्रदेश

राजनीतिक रूप से भले ही दो राज्य, पर यूपी-उत्तराखंड की आत्मा एक: सीएम योगी

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CM Yogi in uttarakhand programme

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तराखंड 20-22 वर्ष पहले यूपी का हिस्सा था। यूपी-उत्तराखंड अलग नहीं हो सकते। राजनीतिक रूप से दो राज्य हो सकते हैं,  लेकिन इनकी आत्मा एक है। उत्तराखंड में गंगा का पानी गंगासागर तक तभी पहुंचेगा, जब उत्तराखंड की पहाड़ियों से होकर नीचे आएगा, फिर उत्तर प्रदेश होते हुए आगे बढ़ेगा। यूपी-उत्तराखंड अलग होकर रह ही नहीं सकते।

सकारात्मक सोच के साथ उत्तराखंड हमेशा भारत के आन-बान-शान की रक्षा का दुर्ग रहा है। उत्तराखंड वासियों को राष्ट्रभक्ति का परचम लहराने के लिए तैयार रहना होगा। जहां राष्ट्रभक्ति व राष्ट्रवाद की बात आएगी तो कोई भी नागरिक समझौता नहीं करेगा। यही जनरल बिपिन रावत व वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्वतीय महापरिषद की ओर से पं. गोविंद वल्लभ पंत पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन, बीरबल साहनी मार्ग में आयोजित उत्तरायणी कौथिक (मेला) 2023 के समापन समारोह को संबोधित किया। जनरल बिपिन रावत के अनुज को यह सम्मान देने के लिए सीएम ने परिषद को धन्यवाद दिया। सीएम ने आयोजकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि अच्छे भाव से कार्य करते हैं तो प्रकृति भी साथ देती है।

परिषद को दी बधाई

सीएम ने कहा कि उत्तरायणी कौथिक मकर संक्रांति से प्रारंभ होता है। 10 दिनों तक उत्तराखंड की संस्कृति व समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को न केवल वर्तमान व भावी पीढी़ के सामने प्रस्तुत किया जाता है, बल्कि उसके माध्यम से पीएम मोदी के एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार व मूर्त रूप भी दिया जाता है। सम-विषम परिस्थितियों में आयोजन के लिए सीएम ने परिषद को बधाई दी।

सीडीएस रावत पर पूरे भारत को गर्व

सीएम ने कहा कि मेरे लिए महत्वपूर्ण है कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की स्मृति में स्मृतिशेष जनरल बिपिन रावत को सम्मान दिया गया। भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में जनरल रावत का इस कार्यक्रम में यहां कई बार आना हुआ। पूरा भारत उनके शौर्य, पराक्रम, रक्षा सेनाओं को समृद्ध और आधुनिक दृष्टि से दक्ष बनाने के लिए किए गए प्रयासों के लिए सदैव कृतज्ञता ज्ञापित करता है।

उनकी सेवाओं को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया। उत्तराखंड उनकी जन्मभूमि होने के कारण पूरा भारत उन पर गौरव की अनुभूति करता रहा है। ऐसे में उत्तराखंड का भी दायित्व बनता है कि गौरव के रूप में अपने सपूत को सम्मानित करें।

जनरल बिपिन रावत की स्मृति में रखा मैनपुरी के सैनिक स्कूल का नाम

सीएम ने कहा कि जनरल रावत की स्मृति को जीवंत बनाए रखने के लिए यूपी सरकार ने मैनपुरी के सैनिक स्कूल का नाम उनके नाम पर किया है। वहां उनकी आदमकद प्रतिमा लगाई जा रही है। उनके जन्मदिन (16 मार्च) को वहां भव्य कार्यक्रम होगा।

उत्तराखंड भारत के रक्षा के अग्रिम मोर्चे पर लड़ने वाली सेना का प्रतिनिधित्व भी करता है। उत्तराखंड का कोई ऐसा परिवार नहीं होगा, जिनके परिवार के एक-दो सदस्य सेना, अर्धसैनिक बल व पुलिस में जाकर सेवा न कर रहे हों।

सेना में जाकर देशसेवा को वे कर्तव्य व गौरवशाली मानते हैं।नायक से लेकर जनरल तक पोस्ट पर उत्तराखंड का सपूत सदैव देखने को मिलता है। सीडीएस जनरल रावत, उनका योगदान भारतीय सेना को सर्वश्रेष्ठ सेना के रूप में स्थापित करने के प्रयासों में कृतज्ञता ज्ञापित करता है।

लोगों ने बताया कि हमारे भाव व भावनाएं एक हैं

सीएम ने कहा कि हमें अपनी परंपरा व संस्कृति पर गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। यह तो पता नहीं कि आजादी के समय लोग उत्साह से जुड़ पाए या नहीं,  लेकिन आजादी के 75वें वर्ष में हर भारतवासी ने अपने घर पर तिरंगा फहराकर साबित किया कि हमारी जाति, धर्म, मजहब, भाषा, खानपान अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारी भाव व भावनाएं एक है। हम भारत के प्रतीकों का सम्मान करते हैं। 15 अगस्त को भारत की 140 करोड़ आबादी एक स्वर से बोलती दिख रही थी।

उस समय पीएम ने कहा था कि 25 वर्ष बाद देश आजादी का शताब्दी महोत्सव मनाएगा। उस समय की पीढ़ी को देने के लिए हमारे पास क्या होगा, उसकी तैयारी हमें अभी से करनी होगी। समृद्धि-सफलता ऐसे नहीं मिलती, बिना प्रयास के कुछ नहीं हो सकता।

हम आज भी चंद्र सिंह गढ़वाली का करते हैं स्मरण

सीएम ने कहा कि आप उत्तराखंड के अलग-अलग जनपदों से आकर लखनऊ में रह रहे हैं। जब आप आए होंगे तो उत्तराखंड यूपी का भाग रहा होगा, लेकिन यहां आने के बाद भी चार धामों के प्रति हमारी आस्था, मां गंगा-यमुना, तीर्थों, देवालयों-धामों के प्रति आस्था का भाव, चंद्र सिंह गढ़वाली उस विरासत का नेतृत्व करते हैं, जिसमें उन्होंने भारतीयों पर गोली चलाने से इनकार कर विद्रोह कर दिया था। उन्हें कीमत चुकानी पड़ी थी पर हम आज भी उनका स्मरण करते हैं।

उत्तराखंड में ग्रीष्मकालीन राजधानी को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर रखा है। जनरल रावत का स्मरण विरासत के प्रति सम्मान का भाव है। 500 वर्ष से लड़ते-लड़ते आखिरकार हमें सफलता मिली और राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। दुनिया काशी विश्वनाथ की तरफ अभिभूत होकर देख रही है।

हमारे नगर में आएंगे अतिथि तो सफाई हमारी भी जिम्मेदारी

सीएम ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में जी-20 का नेतृत्व भारत को मिला है। पीएम मोदी उसकी अध्यक्षता करेंगे। यूपी के साथ देश के कई राज्यों में कार्यक्रम होंगे। आतिथ्य सेवा के साथ 75 वर्षों में हमने क्या पाया, यह भी दुनिया को दिखाने का अवसर होगा।

पर्व व त्योहार आते हैं तो हम घर की सफाई करते हैं। हमारे घर व नगर में अतिथि आएगा तो यह हमारी भी जिम्मेदारी होगी। पर्वतीय महापरिषद यहां कार्यक्रम के बाद पार्क की सफाई भी करते हैं। हमारी कोशिश होगी कि पार्क के रखरखाव की जिम्मेदारी भी परिषद ही निभाए।

इसके लिए नगर निगम से उनका एमओयू भी कराएंगे। बीच में आपको कोई छेड़ेगा नहीं। गाजियाबाद में उत्तराखंड भवन पर काम प्रारंभ हो चुका है। परिषद के सभी संगठन एकजुट होकर कार्य करें और प्रस्ताव दें। एक स्वर में बोलने की आदत होनी चाहिए।

उत्तराखंड में आस्था की प्रगाढ़ता आज भी वही  

सीएम ने कहा कि उत्तरांखड की पहचान देवभूमि के रूप में है, क्योंकि वहां सकारात्मक सोच है। वहां कोई किसी का बुरा नहीं सोचता, वहां सहजता-सरलता है। दिखावटीपन नहीं है। मेरे बचपन के 14-15 वर्ष वहीं बीते, वहां के जंगली जानवर भी हिंसक नहीं हैं। वह साधना भूमि है, अध्यात्म से ओतप्रोत है। हर चोटी पर देव मंदिर दिख जाएंगे। आस्था की प्रगाढ़ता आज भी वही है।

वहां सीमित साधनों से कार्य करते हैं। वर्ष 2023 को मोटा अनाज के रूप में मनाया जा रहा है। आयोजनों में इसे परोसा जा रहा है। लंबे समय तक जीवित और स्वस्थ रहना है तो विषमुक्त खेती की राह अपनानी होगी,  केमिकल नहीं।

उत्तराखंड में मेरी स्कूली शिक्षा भी प्राप्त हुई। मैं देखता था कि मेरी मां भी विशुद्ध गाय का गोबर प्रयोग करती थी। खेती में कभी केमिकल नहीं डालती थी। सब्जी की खेती में यदि कभी कीड़े लगते थे तो गंगाजल का छिड़काव कर देती थी तो कुछ ही दिनों में फूल आने लगते थे।

गंगाजल की कीमत को हम लोगों ने महसूस किया था। अध्यात्म भी कई चीजों का समाधान निकाल सकता है। भौतिकतावादी युग में भले हम लोग बहुत विश्वास न करते हों, लेकिन उसके संरक्षण के लिए प्रयास होना चाहिए। गढ़वाली, कुमाउनी आदि भाषा है। अच्छी रचनाओं को भाषा संस्थान से प्रकाशित कराएंगे।

दिवंगत सीडीएस को दिया गया वीर चंद्र सिंह गढ़वाली वीरता सम्मान 

पर्वतीय महापरिषद की ओर से वीर चंद्र सिंह गढ़वाली वीरता सम्मान देश के प्रथम सीडीएस शहीद जनरल बिपिन रावत को दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह सम्मान शहीद जनरल बिपिन रावत के भाई कर्नल विजय रावत को प्रदान किया।

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टीबी नोटिफिकेशन में इस साल भी सबसे आगे योगी सरकार, लक्ष्य के करीब पहुंचा उत्तर प्रदेश

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लखनऊ | योगी सरकार ने ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान कर इलाज करने में एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल की है। योगी सरकार ने पिछले वर्ष की तरह इस वित्तीय वर्ष में भी उत्तर प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य में अन्य प्रदेशों की तुलना में आगे चलने का कीर्तिमान दर्ज किया है। योगी सरकार को इस साल 6.5 लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। अक्तूबर माह की समाप्ति तक लक्ष्य के सापेक्ष 86 प्रतिशत मरीजों की पहचान कर देश में पहले स्थान पर है जबकि दूसरे स्थान पर महराष्ट्र है, जहां पर 1,85,765 मरीजों का नोटिफिकेशन किया गया। इसी तरह बिहार तीसरे स्थान पर है, जहां 1,67,161 मरीजों का नोटिफिकेशन किया गया है। यानी इस साल भी बीते साल की तरह प्रदेश लक्ष्य से ऊपर टीबी नोटिफिकेशन कर लेगा।

लखनऊ, गोरखपुर में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को नोटिफिकेशन रहा बराबर

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को साल की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था। बीते साल यह 5.5 लाख का था। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्तूबर तक प्रदेश में पांच लाख 59 हजार टीबी मरीजों की पहचान की जा चुकी है। इसमें प्राइवेट डाॅक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। दो लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाॅक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं। आगरा, मथुरा, झांसी, कानपुर, मेरठ व मुरादाबाद में तो प्राइवेट डाक्टरों ने सरकारी डाॅक्टरों से भी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, गोरखपुर व बरेली में सरकारी व प्राइवेट नोटिफिकेशन बराबर का रहा है।

बीते साल भी प्रदेश ने लक्ष्य के सापेक्ष 115 प्रतिशत किया था टीबी नोटिफिकेशन

राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने बताया कि सीएम योगी मंशा के अनुरुप वर्ष 2025 तक प्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है। इसी का नजीजा है कि इस वर्ष भी प्रदेश टीबी नोटिफिकेशन में अन्य प्रदेशों की तुलना में आगे चल रहा है। काबिले गौर है कि केंद्र द्वारा दिए गए इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग द्वारा तरह-तरह के प्रयास किए गए हैं। इनमें हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान का बार-बार चलाया जाना प्रमुख है। यही कारण है कि बीते साल भी प्रदेश ने लक्ष्य के सापेक्ष 115 प्रतिशत टीबी नोटिफिकेशन किया था। वर्ष 2023 में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य 5.5 लाख था जिसके सापेक्ष प्रदेश ने 6.33 लाख मरीज खोजे थे।

यहां प्राइवेट नोटिफिकेशन बढ़ने की जरूरत

टीबी उन्मूलन के लिए प्रदेश में ज्यादातर जनपदों में प्राइवेट डाक्टर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं लेकिन कुछ जनपद ऐसे भी हैं जहां प्राइवेट नोटिफिकेशन बहुत कम हो रहा है। जैसे श्रावस्ती में इस साल सिर्फ 38 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इसके अलावा महोबा में सिर्फ 215, संतरवीदास नगर में 271, हमीरपुर में 277, कन्नौज में 293, सोनभद्र में 297, चित्रकूट में 312, सुलतानपुर में 370, अमेठी में 392 और कानपुर देहात में सिर्फ 395 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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