उत्तर प्रदेश
माफिया अतीक के भाई अशरफ के सहयोगी भेजे गए जेल, शूटरों से कराते थे मुलाक़ात
प्रयागराज। प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड की साजिश साबरमती जेल के साथ-साथ बरेली जेल में भी रची गई थी। इस मामले में STF के इनपुट पर बरेली पुलिस ने अवैध तरीके से माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ से शूटरों की मुलाकात कराने वाले जेल के सिपाही शिवहरि अवस्थी और जेल में सब्जी मुहैया कराने वाले दयाराम उर्फ नन्हे को जेल भेजा है।
पुलिस के मुताबिक सिपाही शिवहरि ने पिछले दिनों शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान और उसके साथियों की बरेली जेल में बंद अशरफ से मुलाकात कराई थी। गिरफ्तार सिपाही शिवहरि और अशरफ के साले सद्दाम से बातचीत का रिकॉर्ड भी मिला है।
अशरफ से जेल में मुलाकात करने वाले गुर्गों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। इनमें अशरफ का साला सद्दाम और उसका साथी लल्ला गद्दी भी शामिल है। पुलिस के मुताबिक जेल में अशरफ के करीबियों और रिश्तेदारों को बिना पर्ची के मिलाया जा रहा था।
मुलाकात भी सामान्य बंदियों के नियत स्थान पर ना होकर अशरफ की बैरक या अन्य स्थान पर होती थी। प्रयागराज पुलिस सूत्रों के मुताबिक एनकाउंटर में मारे गए शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान ने 11 फरवरी को बरेली जिला कर अशरफ से मुलाकात की थी उस्मान के साथ गुलाम और गुड्डू मुस्लिम भी आए थे।
सैदपुर कुर्मियां गांव का रहने वाला टेंपो चालक नन्हे जेल कैंटीन का सामान रोज सुबह शहर से ले जाता था। नन्हे सद्दाम और उसके साथी लल्ला गद्दी से खाने पीने का सामान और पैसे लेकर अशरफ तक पहुंचाता था।
इससे पहले खुलासा हुआ था कि माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ का साला सद्दाम उसके पीछे ही बरेली आ गया था। यहां खुशबू एनक्लेव में वह ब्रोकर के जरिए मकान लेकर रह रहा था। अकसर अपनी पत्नी और परिवार को भी यहां रखता था।
पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ को 11जुलाई 2020 को नैनी जेल से बरेली जेल में शिफ्ट किया गया था। चूंकि अतीक अहमद को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गुजरात की साबरमती जेल में भेज दिया गया था तो प्रयागराज से जुड़े काले धंधे अशरफ ही देख रहा था।
अशरफ का नेटवर्क बदस्तूर चलाने के लिए उसका साला सद्दाम करीब ढाई साल पहले बरेली आ गया था। शुरू में कुछ दिन होटल में गुजारने के बाद वह ब्रोकर के जरिए खुशबू एनक्लेव में मकान लेने में सफल हो गया। यहां अक्सर उसके गुर्गे रहते थे।
कभी कभार वह अपनी पत्नी और परिवार को भी ले आता था। यहां उसने कभी आसपास के लोगों से झगड़ा नहीं किया। वह लोगों से सीमित और मधुर संबंध रखता था। अब लोग इन बातों की चर्चा कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश
डिजिटल महाकुम्भ: तकनीक बनी हथियार, 2,750 एआई सीसीटीवी संदिग्ध गतिविधियों पर रख रहे नजर
महाकुंभ नगर। दिव्य और भव्य महाकुम्भ को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए प्रबंधन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। इस बार एआई तकनीक को पुलिस ने अपना हथियार बनाया है। 2700 से ज्यादा एआई सीसीटीवी महाकुम्भ नगर में लगाए गए हैं। वह सीधे संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखेंगे और उसकी रिपोर्ट कंट्रोल रूम को देंगे। मेले के दौरान 37,000 पुलिसकर्मी और 14,000 होमगार्ड तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही एनएसजी, एटीएस, एसटीएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी चौकसी बरत रही हैं। सीसीटीवी और खुफिया एजेंसियों की निगरानी में हर कोना सुरक्षित है। यहां तक कि मेले में परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा।
वॉच टावरों से बनाया सुरक्षा का अभेद्य घेरा
पूरे मेला क्षेत्र में अब तक 123 वॉच टावर बनाए गए हैं, जहां स्नाइपर, एनएसजी, एटीएस और सिविल पुलिस के जवान तैनात हैं। वॉच टावरों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि इनसे दूरबीन की मदद से पूरे क्षेत्र की निगरानी की जा सके। हर वॉच टावर पर अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं। सभी वॉच टावरों को ऊंचाई और रणनीतिक स्थानों पर स्थापित किया गया है ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो। पुलिस के साथ जल पुलिस और फायर ब्रिगेड भी पूरी तरह मुस्तैद हैं।
स्नानार्थियों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्राथमिकता
महाकुंभ मेले के डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि महाकुंभ में देश-विदेश से करीब 45 करोड़ श्रद्धालु, स्नानार्थी, कल्पवासी और पर्यटक आने की संभावना है। ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। मेले के सभी जोन और सेक्टर में अलग-अलग स्थानों पर वॉच टावर बनाए गए हैं। प्रवेश के सात मुख्य मार्गों पर भी सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।
मुख्य धार्मिक स्थलों पर कड़ी की सुरक्षा
अखाड़ा क्षेत्र, बड़े हनुमान मंदिर, परेड मैदान, वीआईपी घाट, अरैल, झूसी, और सलोरी जैसे संवेदनशील स्थानों पर विशेष वॉच टावर बनाए गए हैं। यहां तैनात जवान आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस हैं।
अत्याधुनिक तकनीक से लैस हुई कुम्भ की सुरक्षा
– 2,750 AI आधारित सीसीटीवी कैमरे और 80 VMD स्क्रीन मेले की हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं।
– 3 जल पुलिस स्टेशन और 18 जल पुलिस कंट्रोल रूम तैनात हैं।
– 50 फायर स्टेशन और 20 फायर पोस्ट बनाए गए हैं।
– 4,300 फायर हाइड्रेंट किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
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