प्रादेशिक
यूपी : वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण के तहत छात्राओं को आत्मसुरक्षा के साथ मिलेगी आत्मबल बढ़ाने की ट्रेनिंग
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बेटियों को सक्षम और सशक्त बनाने के साथ ही अब उन्हें आत्मरक्षा में भी निपुण बनाने जा रही है। सीएम योगी ने शनिवार को बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत स्कूल चलो अभियान की शुरुआत के साथ ही वीरांगना लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण के मॉड्यूल का भी विमोचन किया था। इस मॉड्यूल के तहत प्रदेश के 45 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली 2 लाख छात्राओं को आत्मरक्षा के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। इस मॉड्यूल के तहत 6 दिवसीय इस कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल दिया गया है। जिसमें उन्हें प्रशिक्षण के साथ-साथ आत्मरक्षा के महत्व के बारे में भी बताया जाएगा। साथ ही उन्हें विभिन्न ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से ईव टीजिंग, साइबर बुलींग, एसिड अटैक जैसी चीजों के बारे में भी अवेयर किया जाएगा। इसके अलावा खेलकूद के माध्यम से छात्राओं को शारीरिक रूप से भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा।
11-14 वर्ष की छात्राओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण
बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित परिषदीय एवं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में नामांकित छात्राओं को मानसिक तथा शारीरिक रूप से शक्तिशाली बनाए जाने के उद्देश्य से भारत सरकार के सहयोग से उत्तर प्रदेश सरकार इस कार्यक्रम को संचालित करने जा रही है। योजना के तहत 11 से 14 वर्ष की छात्राओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाएगा। छात्राओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के साथ-साथ मानसिक रूप से संतुलित एवं किसी भी अप्रत्याशित घटना के विरुद्ध सशक्त होने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। विद्यालयों में तैनात शारीरिक व्यायाम शिक्षक व अनुदेशकों द्वारा प्रत्येक कार्य दिवस में एक घंटे की अवधि का सत्र आयोजित किया जाएगा। इस सत्र में व्यायाम, योग, साफ-सफाई के साथ आत्मरक्षा से संबंधित प्रशिक्षण को शामिल किया गया है। शुरुआत में शारीरिक शिक्षकों व अनुदेशकों के लिए जनपद स्तर पर 6 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
1200 प्रशिक्षकों की होगी स्पेशल ट्रेनिंग
इस मॉड्यूल के तहत 50-50 के बैच में 1200 शारीरिक शिक्षकों को एक सप्ताह तक स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। इसकी अवधि प्रतिदिन 6-8 घंटे (सोमवार-शनिवार) होगी। प्राथमिक कवरेज के अंतर्गत सभी 75 जनपदों में संचालित 45000 सरकारी विद्यालयों में कक्षा 6, 7 व 8 (11-14 वर्ष आयु) की छात्राओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के बाद उन्हें मूल्यांकन व प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण में बालिकाओं के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के आवासीय विद्यालयों को शामिल किया जाएगा। प्रशिक्षण मॉड्यूल के अनुसार एक प्रशिक्षक और एक सहायक 50 प्रशिक्षणार्थियों के लिए नियुक्त किए जाएंगे। परियोजना के लिए सलाहकार एजेंसी के रूप में महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन (डब्ल्यूसीएसओ) 1090 का सहयोग लिया गया है।
अपराधियों के हौसले होंगे पस्त
मॉड्यूल में कहा गया है कि महिलाओं, बालिकाओं के साथ छेड़खानी व हिंसा की घटनाओं को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए आवश्यक है कि महिलाएं व बालिकाएं भी अपनी सुरक्षा के प्रति सक्षम हों। यदि बालिकाएं आत्मरक्षा में सक्षम हो जाएं तो वे अपने साथ होने वाले अपराधों में कमी के साथ-साथ महिलाओं को कमजोर समझने वाले अपराधियों के हौसले भी पस्त कर सकती हैं। इस प्रशिक्षण के बाद असुरक्षा के कारण विद्यालय न जाने वाली बालिकाओं की शिक्षा में निरंतरता सुनिश्चित हो सकेगी। इस मॉड्यूल का उद्देश्य बालिकाओं को आत्मरक्षा में सक्षम व स्वयं के प्रति सशक्त बनाना है। साथ ही बालिकाओं के प्रति अपराधों से संबंधित कानूनों, प्रावधानों के बारे में समझ विकसित करना भी है। यही नहीं, बालिकाओं को सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा संचालित विभिन्न हेल्पलाइन की सेवाओं के विषय में भी जानकारी दी जाएगी। बालिकाएं आत्मरक्षा की विधियों को सीखकर अन्य बालिकाओं को भी प्रेरित करेंगी।
मॉड्यूल तैयार करने में विशेषज्ञों ने की मदद
मॉड्यूल को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की मदद से तैयार किया गया है। इसमें आत्मरक्षा प्रशिक्षक, विधिक परामर्शदाता, महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन, यूपी पुलिस, शिक्षा विभाग, यूपीडेस्को, यूनीसेफ एवं टेनोसिस एजेंसी के विशेषज्ञों की सलाह से तैयार किया गया है। मॉड्यूल में प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित आवश्यक गतिविधियों, चर्चाओं, ऑडियो-वीडियो, खेलकूद, महिलाए व बालिकाओं के लिए आवश्यक कानून व हेल्पलाइन नंबर, प्रतिभागियों का मूल्यांकन एवं विभिन्न केस स्टडी को सम्मिलित करते हुए 6 दिन की विस्तृत कार्ययोजना दी गई है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मॉड्यूल में दर्ज इन सभी गतिविधियों के माध्यम से शारीरिक शिक्षक व अनुदेशक विद्यालयों में जाकर बालिकाओं को प्रशिक्षित करेंगे।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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