नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए न्यायपालिका और कॉलेजियम प्रणाली पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू की टिप्पणी पर उन्हें राहत दी है। अदालत ने दोनों खिलाफ जनहित याचिका खारिज करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
दोनों पर कार्रवाई करने की थी मांग
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कानून मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान SC ने कहा कि याचिका विचार करने योग्य नहीं है। दरअसल, बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन नाम की संस्था ने कहा था कि दोनों ने SC के सम्मान के खिलाफ बयान दिए हैं और वो संवैधानिक पद पर रहने के योग्य नहीं हैं। इससे पहले बॉम्बे HC ने भी ये याचिका खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाने की बात
जस्टिस संजय किशन कौल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने याचिका को खारिज किया है। याचिका में दावा किया गया था कि रिजिजू और धनखड़ ने अपनी टिप्पणियों और आचरण से संविधान में आस्था का अभाव व्यक्त किया है। संस्था ने कहा था कि दोनों नेताओं की टिप्पणी ने न सिर्फ न्यायपालिका, बल्कि SC की प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़े किए हैं।
क्या था दोनों नेताओं का बयान
किरेन रिजिजू ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कलेजियम प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ये प्रणाली अस्पष्ट और अपारदर्शी है। वहीं, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने 1973 के केशवानंद भारती केस के उस फैसले पर सवाल उठाये थे, जिसने सुप्रीम कोर्ट के बुनियादी ढांचे का सिद्धांत दिया था। उन्होंने कहा था कि कोई प्राधिकार संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति पर अगर सवाल करता है तो हमें ये कहना मुश्किल हो जाएगा कि हम एक लोकतांत्रिक देश हैं।