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फटी जींस, मिनी स्कर्ट पहनकर मंदिर में ना प्रवेश करें युवतियां, मुज़फ्फरनगर में बालाजी मंदिर का फरमान

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में बालाजी मंदिर प्रबंध कमेटी ने एक फरमान जारी किया है। बालाजी मंदिर कमेटी ने मंदिर परिसर के बाहर और अंदर नोटिस बोर्ड लगा दिया है। इस बोर्ड पर साफ-साफ लिखा है कि सभी महिलाएं एवं पुरुष मंदिर में मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं। छोटे वस्त्र हाफ पैन्ट, बर्मुडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी फटी जीन्स आदि पहनकर आने पर बाहर से ही दर्शन कर सहयोग करें।

ऐसे में मंदिर परिसर में केवल मर्यादित वस्त्र पहनकर ही महिलाएं, युवतियां और पुरुष मंदिर परिसर में आ सकते हैं। पुजारी आलोक शर्मा कहते हैं, “यहां हर जगह से भक्त आते हैं। चाहे पुरुष हों या महिला, युवा हों या बूढ़े, कोई भी हो, हम चाहते हैं कि वे गरिमापूर्ण तरीके से मंदिर परिसर में आएं। उन्हें पहले अच्छी तरह से समझाया जाएगा, अगर फिर भी वे जारी रखते हैं, तो उन पर जुर्माना लगाने का प्रावधान होना चाहिए।”

पुजारी आलोक शर्मा ने बताया ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि बालाजी मंदिर में पुरुषों के साथ महिलाएं, युवतियां और बच्चे दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बालाजी मंदिर की अपनी एक मर्यादा है, जिसे हम सभी को पालन करना चाहिए, इसलिए मंदिर कमेटी ने नए नियम कानून बनाए हैं। पुजारी का कहना है कि मंदिर परिसर में महिलाएं और लड़कियां साड़ी या सूट सलवार पहन कर ही आएं। साथ ही महिलाएं और लड़कियां चेहरे पर पल्लू पर्दा लगाकर मर्यादित रूप से मंदिर में प्रवेश करें।

 

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एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन

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मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।

शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।

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