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आध्यात्म

भगवान शिव की पूजा का सबसे पवित्र मास है सावन, इस बार भक्तों को मिलेंगे 8 सोमवार  

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Sawan is the holiest month for worship of Lord Shiva

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नई दिल्ली। सावन मास को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीना माना गया है। भगवान शिव की पूजा के लिए सावन मास का विशेष महत्‍व होता है। वैसे तो सावन के महीने का प्रत्‍येक दिन शिव पूजा के लिए खास माना जाता है, लेकिन सावन का सोमवार शिवकृपा पाने के लिए सबसे शुभफलदायी माना जाता है। आइए आपको बताते हैं सावन का पहला सोमवार कब है, इसका महत्‍व और पूजाविधि।

कब है सावन का पहला सोमवार?

श्रावण मास इस साल 4 जुलाई से आरंभ हो रहा है और 31 अगस्‍त को समाप्‍त होगा। इस साल मलमास होने की वजह से सावन कुल 59 दिनों का होगा होगा। इस प्रकार भक्‍तों को व्रत करने के लिए कुल 8 सोमवार प्राप्‍त होंगे। जो कि एक बेहद शुभ योग माना जा रहा है। सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को पड़ेगा और आखिर सोमवार 28 अगस्‍त को रहेगा।

सावन सोमवार की सभी तिथियां

पहला सोमवार : 10 जुलाई

दूसरा सोमवार :17 जुलाई

तीसरा सोमवार: 24 जुलाई

चौथा सोमवार : 31 जुलाई

पांचवां सोमवार : 7 अगस्‍त

छठवां सोमवार : 14 अगस्‍त

सातवां सोमवार : 21 अगस्‍त

आठवां सोमवार : 28 अगस्‍त

पहले सोमवार पर पूजा का शुभ मुहूर्त

सावन सोमवार पर व्रती सुबह शिवलिंग पर जलाभिषेक करके व्रत का आरंभ करते हैं और फिर पूरे दिन व्रत करते हैं। शाम के वक्‍त प्रदोष काल में शिवजी की पूजा करने का महत्‍व सबसे खास माना गया है। सावन के पहले सोमवार पर शाम की पूजा का शुभ महूर्त शाम को 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक है। ऐसी मान्‍यता है कि शाम के वक्‍त में रुद्राभिषेक करने से शिवजी साधक के सभी कष्‍टों को दूर करते हैं।

सावन के सोमवार का महत्‍व

इस साल सावन और अधिक मास साथ में पड़ना अद्भुत संयोग माना जा रहा है। अधिक मास के स्‍वामी भगवान विष्‍णु माने गए हैं। इसलिए इस बार सावन में भगवान शिव के साथ ही विष्‍णुजी की पूजा करने से उनकी भी कृपा प्राप्‍त होगी।

अगर आपकी कुंडली में विवाह का योग न बन पा रहा है तो सावन के सभी सोमवार का व्रत करें। ऐसा करने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती है। अगर आपके घर में धन की कमी है तो सावन के सोमवार को शमी के पेड़ की जड़ शिवलिंग पर अर्पित करें और फिर उसे अपनी तिजोरी में लाकर रख दें। ऐसा करने से आर्थिक कष्‍ट दूर होंगे।

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आध्यात्म

ऐतिहासिक महाकुंभ में ऐसा पहली बार हुआ, अखाड़े ने बनाया श्रील प्रभुपाद को विश्व गुरु

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लखनऊ/प्रयागराज। इस्कॉन और विश्वव्यापी हरे कृष्णा आंदोलन के संस्थापक एवं आचार्य श्री कृष्ण कृपामूर्ति ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद को इस ऐतिहासिक महाकुंभ के पावन अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पहली बार ‘विश्व गुरु’ की उपाधि से सम्मानित किया। विश्व गुरु पट्टाभिषेक कार्यक्रम निरंजनी अखाड़ा के परिसर में नित्यानंद त्रयोदशी के पवन तिथि के अवसर में सम्पन्न हुआ। यह उपाधि श्रील प्रभुपाद को दुनिया भर में लाखों-करोड़ों अनुयायियों को सनातन धर्म से जोड़ने एवं इस्कॉन के प्रति देश-विदेश में उमड़ी श्रद्धा को देखते हुए दी गई।

निरंजनी पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 स्वामी कैलाशनंद गिरी महाराज, श्रीमहंत रवींद्र पूरी जी महाराज अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, आचार्य महामंडलेश्वर अवधूत अरुण गिरी जी श्री आवाहन अखाड़ा पीठाधीश, अखाड़ों के महामण्डलेश्वरगण, सचिव गण, श्रीमहंतगण एवं हजारों भक्तों की उपस्थिति में हुआ। हरे कृष्ण मूवमेंट और इस्कॉन बंगलौर के अध्यक्ष श्री मधु पंडित दास जी और वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष चंचलापति दास जी के पावन सानिध्य में स्वामी प्रभुपाद को यह सम्मान प्रदान किया गया। धन्यवाद प्रस्ताव भरतर्षभ दास ने की।
अखाड़ा परिषद ने इस अवसर पर कहा कि “हम सभी अत्यंत हर्ष एवं प्रसन्नता की अनुभूति कर रहे हैं कि परमपूज्य पाद श्रील प्रभुपाद जी को ‘विश्व गुरु’ की उपाधि दी गई। उनका योगदान सनातन धर्म के प्रसार में अद्वितीय है, और उनकी शिक्षाओं से लाखों लोगों का जीवन बदल चुका है।”

इस पावन अवसर पर श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि पावन त्रिवेणी के संगम तट पर चल रहे विशाल, भव्य स्वच्छ और दिव्य महाकुंभ के पावन पर्व पर हमें आज उस महापुरुष के सानिध्य में बैठने का अवसर मिला। “यह उपाधि 1968 के कुछ दिनों बाद ही मिल जाना चाहिए था, लेकिन आज इस त्रिवेणी के पावन तट पर हम सभ को इस शुभ कार्य करने का श्रेय मिलना था।”

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र पुरी जी महाराज ने कहा कि श्रील प्रभुपाद महाराज जी के लिए यह विश्व गुरु की यह पदवी, सूर्य को दीया दिखाने के बराबर है। श्रील प्रभुपाद महाराज ने श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीमद्भागवतम पर शानदार कार्य किया। आवाहन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 अनंत श्री विभूषित अवधूत बाबा अरुण गिरी जी महाराज ने कहा कि लोग मुझे अवधूत कहते हैं लेकिन मैं स्वामी श्रील प्रभुपाद महाराज जी को अद्भुत कहता हूं। इस पावन अवसर पर स्वामी प्रभुपाद के अनुयायी दो-दो वृक्ष लगाने का संकल्प लें, तभी राधा रानी की प्राप्ति होगी।

वैश्विक हरे कृष्ण आंदोलन के चेयरमैन और संरक्षक, अक्षय पात्र फाउंडेशन के संस्थापक और चेयरमैन, वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के चेयरमैन और इस्कॉन बैंगलोर के अध्यक्ष श्री मधु पंडित दास ने इस्कॉन और हरे कृष्ण आंदोलन के सभी अनुयायी की ओर से आचार्य श्रील प्रभुपाद को विश्व गुरु से अलंकृत कर सम्मानित करने का निश्चय करने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रति अपनी कृज्ञता व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी का मुझपर विशेष प्रेम है, तभी यह सब संभव हो रहा है। उन्होंने श्रील प्रभुपाद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रील प्रभुपाद ने संपूर्ण विश्व में सनातन धर्म को प्रसार कर ने के लिये बहुत सारे तपस्या की है।

श्रील प्रभुपाद एक छोटा परिचय

त्रिदंडी संन्यासी और गोस्वामी श्री श्रीमद ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद ब्रह्म-मध्व -गौड़ीय वैष्णव परम्परा के 32वें आचार्य हैं, जिन्होंने 70 वर्ष की आयु में श्री चैतन्य महाप्रभु और वृंदावन के 6 गोस्वामी की शिक्षाओं और हरि नाम संकीर्तन की महिमा को सफलतापूर्वक दुनिया भर में फैलाया और हजारों लोगों ने अपने जीवन को बदलकर सनातन धर्म के दर्शन और संस्कृति को अपनाया। श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीमद्भागवतम पर उनके लेखन को दुनिया भर में 80 से अधिक भाषाओं में लाखों लोगों में वितरित किया गया है, और आज भी दुनिया भर में लाखों लोगों को सनातन धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। दुनिया भर में सनातन धर्म के प्रसार में उनका योगदान अद्वितीय है।

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