Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

बिजनेस

प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत की रैंकिंग में आई गिरावट, आर्थिक प्रदर्शन भी कमजोर

Published

on

imd switzerland

Loading

नई दिल्ली। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलेपमेंट (IMD) ने वर्ल्ड कॉम्पटीटिवनेस रैंकिंग (विश्व प्रतिस्पर्धा सूचकांक) जारी कर दी है। इसकी ओवरऑल रैंकिंग में सिंगापुर तीसरे स्थान से खिसककर चौथे स्थान पर पहुंच गया है। वहीं भारत को भी इस रैंकिंग में नुकसान उठाना पड़ा है भारत की रैंकिंग में तीन स्थानों की गिरावट आई है और वह 40वें नंबर पर है। पिछले साल भारत की इस सूची में ओवरऑल रैंकिंग 37 थी।

भारत की रैंकिंग में आई गिरावट

IMD की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की दक्षता के मामले में भारत की स्थिति में सुधार हुआ है। हालांकि बिजनेस दक्षता, आधारभूत ढांचे के विकास, आर्थिक प्रगति के मामले में भारत की रैंकिंग में थोड़ी गिरावट आई है। आर्थिक प्रगति में भारत पिछले साल 28वें नंबर पर था और इस बार उसकी रैंकिंग 33 है।

सरकार की दक्षता के मामले में भारत की 2023 की रैंकिंग 44 है, जो कि पिछले साल 45 थी। व्यापार दक्षता में भारत की रैंकिंग 28 है, जो कि पिछले साल 23 थी। आधारभूत ढांचे के विकास में भारत की रैंकिंग इस साल 52 आई है जबकि पिछले साल यह 49 थी।

सिंगापुर को भी लगा झटका

आईएमडी के वर्ल्ड कॉम्पटीटिवनेस रैंकिंग (विश्व प्रतिस्पर्धा सूचकांक) ने दुनिया की 64 अर्थव्यवस्थाओं में से सिंगापुर को चौथे नंबर पर रखा है। साल 2022 में सिंगापुर तीसरे स्थान पर था। खास बात ये है कि 2019 और 2020 में सिंगापुर इस रैंकिंग में पहले स्थान पर था लेकिन 2021 में सीधे पांचवें स्थान पर पहुंच गया था।

इस साल की रैंकिंग में पहले तीन स्थानों पर डेनमार्क, आयरलैंड और स्विटजरलैंड हैं। नीदरलैंड पांचवें, ताइवान छठे, हॉन्गकॉन्ग सातवें, स्वीडन आठवें और अमेरिका नौवें और संयुक्त अरब अमीरात 10वें स्थान पर है।

कोरोना महामारी के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है। यही वजह है कि थाईलैंड, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों की रैंकिंग में सुधार हुआ है। बीते साल की रैंकिंग में यूरोप के पांच देश टॉप 10 में शामिल थे।

क्या है आईएमडी

बता दें कि आईएमडी एक स्विस फाउंडेशन है, जो कि स्विटजरलैंड में स्थित है। आईएमडी ने वर्ल्ड कॉम्पटीटिवनेस ईयरबुक पहली बार 1989 में प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट में किसी भी देश की आर्थिक प्रगति, सरकार की प्रभावशीलता, व्यापार दक्षता और आधारभूत ढांचे को पैमाना बनाया जाता है।

18+

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

Published

on

Loading

नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

Continue Reading

Trending