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वृहत्तर भारत के कंकड़-कंकड़ में भगवान शंकर: सीएम योगी

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CM Yogi

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गोरखपुर। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वृहत्तर भारत में उत्तर से दक्षिण तथा पूरब से पश्चिम तक श्रद्धालुओं को द्वादश ज्योतिर्लिंगों के माध्यम से अलौकिक कृपा का प्रसाद आदिकाल से प्राप्त होता रहा है। भारतीय मनीषा के माध्यम से हम कंकड़-कंकड़ में भगवान शंकर के दर्शन करते हैं। शिव की आराधना से हमें स्वयं के साथ दूसरों के कल्याण की प्रेरणा मिलती है।

सीएम योगी सोमवार को गोरखनाथ मंदिर के सानिध्य में अंधियारी बाग स्थित मानसरोवर मंदिर में आयोजित सप्त दिवसीय (18 से 24 जुलाई) श्री शिव महापुराण कथा के विश्राम दिवस पर व्यासपीठ के समक्ष अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। व्यासपीठ की पूजा करने के बाद उन्होंने कहा कि पावन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में देवाधिदेव महादेव भगवान शिव की कथा का आनंद प्राप्त होना सौभाग्य है। वृहत्तर भारत में कैलाश से रामेश्वरम तक, पूरब में वैद्यनाथ धाम से लेकर पश्चिम में सोमनाथ धाम तक भगवान भोलेनाथ के पवित्र स्थल प्राचीन काल से आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक एकता के जागरण के केंद्र रहे हैं। श्रद्धालु नदियों व तीर्थों से शिला लाकर शंकर के रूप में पूजते हैं और आत्मिक संतुष्टि प्राप्त करते हैं। शिवालय और ज्योतिर्लिंग सांस्कृतिक एकता को मजबूत करते हैं।

शिव का अर्थ है कल्याण

मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिव का अर्थ ही है कल्याण। जिसमें कपट न हो, प्रपंच न हो, साधना में लीन होकर जो स्वयं व समाज के लिए कल्याणकारी हो, वही शिव का उपासक है। दूसरे के कष्टों को अपने ऊपर ले लेना, दूसरों को अमृत देकर स्वयं विषपान कर लेना ही शिवत्व है। इसलिए स्वयं के कल्याण के साथ दूसरों का कल्याण करना ही वास्तविक शिव पूजन होगा।

पूजा भाव के अनुसार मिलती है कृपा

सीएम योगी ने कहा कि हम जिसकी पूजा करते हैं, उसके अनुरूप बनने का प्रयास करते हैं। भगवान शिव की पूजा में जाति, क्षेत्र, लिंग का भेद नहीं होता है। मनुष्य के साथ ही मनुष्येतर जीवों यथा देव, किन्नर, यक्ष, गंधर्व, भूत पिशाच को भी भोलेनाथ का सानिध्य प्राप्त होता था। हम जिस भाव से पूजा करेंगे, उसी के अनुसार कृपा भी प्राप्त होगी।

सांस्कृतिक व सामाजिक एकता का उदाहरण है कांवड़ यात्रा

मुख्यमंत्री ने कहा कि सावन माह में भगवान शिव की उपासना का विशिष्ट अवसर कांवड़ यात्रा सांस्कृतिक व सामाजिक एकता का अप्रतिम उदाहरण है। इसमें हर तबके के युवा, महिला व पुरुष भक्ति में लीन दिखते हैं, श्रद्धा के साथ भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। यह ईश्वरीय भक्ति का चमत्कारिक रूप है।

धर्मस्थलों व सार्वजनिक संपत्ति का करें संरक्षण

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी लोगों से धर्मस्थलों, सरकारी व सार्वजनिक संपत्ति के संरक्षण की अपील की। मानसरोवर मंदिर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि 10-11 वर्ष पूर्व यह मंदिर जर्जर और अव्यवस्थित था। समाज की चेतना जागृत हुई और गोरखपुर के श्रद्धालुओं ने संरक्षण का बीड़ा उठाया तो इसका कायाकल्प हो गया। हर धर्मस्थल, सरकारी व सार्वजनिक संपत्ति को सुंदर रखना सबका कर्तव्य होना चाहिए। यदि किसी सार्वजनिक संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचाता है तो वह धरती माता, अपनी विरासत व पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का भाव ईमानदारी से व्यक्त नहीं कर सकता। इसलिए इन स्थलों को न खुद नुकसान पहुंचाएं और न किसी को नुकसान पहुंचाने दें। सीएम योगी ने कथाव्यास संत बालकदास एवं सभी यजमानों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए देवाधिदेव महादेव से सभी लोगों के सुखमय व समृद्धमय जीवन की प्रार्थना की। इस अवसर पर महापौर डॉ मंगलेश श्रीवास्तव, विधायक विपिन सिंह, एमएलसी डॉ धर्मेंद्र सिंह, कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास, चचाईराम मठ के महंत पंचानन पुरी, भाजपा के महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता, पार्षद पवन त्रिपाठी समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

मानसरोवर मंदिर में रुद्राभिषेक किया सीएम योगी ने

श्री शिव महापुराण कथा के समापन में सहभागिता से पूर्व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने मानसरोवर मंदिर में रुद्राभिषेक कर सभी नागरिकों के मंगलमय जीवन की कामना की। भोलेनाथ का विधि विधान से दर्शन, पूजन व रुद्राभिषेक करने के उपरांत मुख्यमंत्री ने सभी देव विग्रहों का दर्शन पूजन कर लोक कल्याण की प्रार्थना की।

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एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन

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मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।

शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।

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