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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन के खिलाफ जापान ने किया भारत का समर्थन, जयशंकर बोले- आप हमारे स्वभाविक सहयोगी

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Japan supported India against China

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नई दिल्ली। जापान के विदेश मंत्री भारत दौरे पर हैं। इस दौरान चीन से जारी तनातनी पर भारत को जापानी विदेश मंत्री का समर्थन मिला है। जापान के विदेश मंत्री ने कहा है कि स्वतंत्र और खुले हिंद प्रशांत महासागर को सुनिश्चित करने के लिए भारत अहम भागीदार है।

उन्होंने ये भी कहा कि सीमा पर यथास्थिति बदलने की बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। बता दें कि भारत जापान फोरम के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी भारत आए हुए हैं। गुरुवार को नई दिल्ली में भारत-जापान फोरम के उद्घाटन सत्र में जापानी विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने कहा कि जी20 अध्यक्षता को सफल बनाने के लिए जापान, भारत के साथ मिलकर काम करने को बहुत उत्सुक है।

चीन के खिलाफ किया भारत का समर्थन

हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव पर जापानी विदेश मंत्री ने कहा कि स्वतंत्र और खुले हिंद प्रशांत महासागर को सुनिश्चित करने के लिए भारत के अपरिहार्य भागीदार है। जापान ने कहा कि हिरोशिमा शिखर सम्मेलन में जी7 देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि बलपूर्वक यथास्थिति बदलने के प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

जापान हमारा स्वभाविक सहयोगी

योशिमासा हयाशी ने कहा कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि हम लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा दें। इसके लिए साल 2023 को जापान इंडिया टूरिज्म ईयर एक्सचेंज नाम दिया गया है। कार्यक्रम में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद रहे।

इस दौरान अपने संबोधन में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के लिए जापान वास्तव में मायने रखता है। जापान कई मायनों में अनुकरणीय आधुनिकीकरणकर्ता है। आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारा भी आधुनिकीकरण हुआ है, जिसमें जापान हमारा स्वभाविक सहयोगी है। जापान ने भारत में क्रांति ला दी है।

आतंकवाद चुनौती

जयशंकर ने कहा कि पहले सुजुकी क्रांति थी…दूसरी मेट्रो क्रांति थी। तीसरी क्रांति हाई स्पीड रेल बनाने की है और चौथी क्रांति महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां और सेमी कंडक्टर हैं। जयशंकर ने कहा कि पहले सुजुकी क्रांति थी…दूसरी मेट्रो क्रांति थी। तीसरी क्रांति हाई स्पीड रेल बनाने की है और चौथी क्रांति महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां और सेमी कंडक्टर हैं।

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया के सामने कई अहम चुनौतियां हैं जैसे परमाणु मिसाइल प्रसार और आतंकवाद। ये महत्वपूर्ण है कि हम इसकी तह तक जाएं और जो देश जिम्मेदार हैं, उन्हें जवाबदेह  ठहराएं। भारत और जापान एकसाथ हैं। जापानी विदेश मंत्री ने भी कहा कि एक जैसी सोच रखने वाले देशों जैसे भारत और जापान के लिए आतंकवाद से लड़ाई पहली प्राथमिकता है।

अन्तर्राष्ट्रीय

देश छोड़कर भागने वाले असद की मुश्किलें बढ़ी, पत्नी अस्मा अल-असद ने अदालत में तलाक के लिए दी अर्जी

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सीरिया। सीरिया में छिड़े गृहयुद्ध के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर रूस भाग गए। देश छोड़कर भागने वाले असद की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक असद की ब्रिटिश पत्नी अस्मा अल-असद ने रूस की अदालत में तलाक के लिए अर्जी दी है। तुर्की और अरब मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक अस्मा अल असद मॉस्को में खुश नहीं हैं और वो अब लंदन जाना चाहती हैं। बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बशर अल असद के परिवार को अपने देश में राजनीतिक शरण दी है।

25 साल की अस्मा से हुई थी असद की शादी

बशर अल-असद की पत्नी अस्मा अल असद ने रूस के कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की है और मॉस्को छोड़ने के लिए विशेष अनुमति का अनुरोध किया है। उनके दिए गए आवेदन पर रूसी अधिकारियों द्वारा विचार किया जा रहा है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अस्मा के पास ब्रिटेन और सीरिया की दोहरी नागरिकता है। अस्मा का घर लंदन में है जहां सीरियाई माता-पिता के यहां उनका जन्म हुआ था। अस्मा साल 2000 में सीरिया चली गईं थीं। साल 2000 में ही उनकी शादी बशर अल असद से हुई थी। उस वक्त अस्मा की उम्र 25 साल थी।

रूस में असद पर लगाए गए हैं गंभीर प्रतिबंध

अपना देश छोड़कर भागे सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद को भले ही रूस ने राजनीतिक शरण दिया था, लेकिन रूस में उनपर गंभीर प्रतिबंध लगाए गए हैं। असद को मॉस्को छोड़ने या किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति नहीं है। जानकारी के मुताबिक रूसी अधिकारियों ने बशर अल-असद की संपत्ति और पैसा भी जब्त कर लिया है। असद सीरिया छोड़ते वक्त 270 किलोग्राम सोना लेकर आए थे। उनकी संपत्ति में 2 अरब डॉलर और मॉस्को में 18 अपार्टमेंट शामिल हैं।

असद के भाई को रूस में नहीं मिली है शरण

सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के भाई, माहेर अल-असद को रूस ने अपने देश में शरण नहीं दी है। उन्हें शरण देने के अनुरोध की अब भी समीक्षा की जा रही है। जानकारीा के मुताबिक असद के भाई माहेर और उनका परिवार रूस में ही नजरबंद हैं।

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