प्रादेशिक
नूंह व गुरुग्राम हिंसा: बिट्टू बजरंगी गिरफ्तार, भड़काऊ बयान सहित लगे हैं कई आरोप
फरीदाबाद। हरियाणा के नूंह और गुरुग्राम में बीते 31 जुलाई को हुई हिंसा के सिलसिले में फरीदाबाद के गौरक्षक और बजरंग दल के कार्यकर्ता राजकुमार उर्फ़ बिट्टू बजरंगी को कल मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। बिट्टू बजरंगी को नूंह क्राइम ब्रांच की टीम ने मंगलवार दोपहर करीब ढ़ाई बजे उसके फरीदाबाद के चाचा चौक स्थित निवास से गिरफ्तार किया।
बिट्टू एक मीडिया चैनल से बातचीत कर रहा था। उसके कुछ देर बाद ही क्राइम ब्रांच प्रभारी संदीप मोर करीब बीस पुलिसकर्मियों के साथ पहुंचे और उसे हिरासत में लेकर नूंह लाए। नूंह के सिटी थाने में एक नई एफआइआर दर्ज हुई जिसमें बिट्टू को मुख्य आरोपित बना बीस अन्य लोगों के विरुद्ध प्रशासन के रोक के बावजूद धारदार हथियार लेकर भड़काऊ बयान देने तथा सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में एफआइआर दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया।
लुंगी पहनकर भागता दिखा आरोपी
बिट्टू बजरंगी का गिरफ्तारी से पहले का एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है जिसमें वह लुंगी पहनकर भागता दिख रहा है और सादे कपड़े पहने पुलिसकर्मी हाथों में लाठियां लिए उसका पीछा करते दिख रहे हैं। बिट्टू बजरंगी के घर के पास के सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है कि कैसे सादे कपड़ों में पुलिस ने गौरक्षकों का पीछा किया।
इस कार्रवाई के दौरान कम से कम 15-20 पुलिसकर्मियों ने लुंगी पहने हुए गौरक्षकों का पीछा किया और कुछ देर पीछा करने के बाद पुलिस ने बिट्टू बजरंगी को पकड़ लिया। इस फिल्मी घटना को देखकर स्थानीय लोग और गौरक्षक आश्चर्यचकित नजर आए।
यात्रा में शामिल था बिट्टू
मामला ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा के दौरान कानून व्यवस्था संभाल रही नूंह की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ऊषा कुंडू के बयान पर दर्ज किया गया है। एएसपी ने अपने बयान में बताया कि नल्हड़ स्थित शिव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए जा रही यात्रा में बिट्टू शामिल था। उसके साथ करीब बीस लोग पलवल की ओर से आए और त्रिशूल तथा तलवार हाथ में लेकर आपत्तिजनक नारे लगाने लगे।
एएसपी ने शांति व्यवस्था बनाए रखने को कहा तो पुलिस के विरुद्ध नारेबाजी करने लगे। इसी बीच पुलिस कर्मियों सभी से त्रिशूल और तलवार लेकर पुलिस की गाड़ी में रखवा दी जिसे कुछ देर बाद बिट्टू और उसके साथ के लोगों ने लूट लिया। पुलिसकर्मियों ने रोका तो पुलिस के वाहनों के बागे बैठ गए। उन्हें हटाया गया तो पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की।
फरीदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर थाने से दी थी जमानत
31 जुलाई को ब्रजमंडल धार्मिक यात्रा के लिए रवाना होने से पहले फरीदाबाद से चलते वक्त बिट्टू बजरंगी ने आपत्तिजनक बयान दिया था। उसने कहा था, “आ रहा हूं नल्हड़ मंदिर स्वागत के लिए तैयार हो जा जाओ, अपने जीजा का फूल माला से स्वागत नहीं करोगे। ससुराल में तो स्वागत किया जाता है।“
यह बयान सोशल मीडिया पर यात्रा आरंभ होने के पहले ही तेजी से वायरल हुआ। मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों सहित नूंह से कांग्रेस के विधायक तथा पुन्हाना से कांग्रेस के विधायक मोहम्मद इलियास ने हिंसा होने की वजह बिट्टू बजरंगी तथा मोनू मानेसर के भड़काऊ वीडियो बताई थी।
तीन अगस्त को बिट्टू को क्राइम ब्रांच सेक्टर-65 ने गिरफ्तार कर लिया था। भड़काऊ टिप्पणी के लिए बिट्टू के खिलाफ डबुआ थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। उसी दिन उसे थाने से ही जमानत मिल गई थी।
उसी दिन क्यों नहीं किया नूंह पुलिस ने गिरफ्तार?
सवाल यह उठ रहा कि जब फरीदाबाद पुलिस से बिट्टू बजरंगी को गिरफ्तार किया तो नूंह पुलिस ने उसी दिन क्यों नहीं गिरफ्तार किया? पुलिस को अदालत में रिमांड पर लेने की अर्जी देनी चाहिए थी। आरोपित उसके बाद चैनलों के स्टूडियों में बैठकर बयान देता रहा।
इस सवाल के उत्तर में नूंह के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा हिंसा के बाद बिगड़ी कानून व्यवस्था पटरी पर लाना सरकार की पहली प्राथमिकता थी। जांच की गई सीसीटीवी फुटेज के रूप में सबूत जुटा आरोपित की पहचान कर 15 अगस्त को उसे गिरफ्तार किया गया।
उधर, बिट्टू बजरंगी का कहना था कि हमने बयान दिया, उसके एक घंटे बाद ही यात्रा में शामिल लोगों ने गोली तथा पत्थर चलाने शुरू कर दिया। यात्रा में तलवार पहली बार लेकर नहीं गए थे। कोई अवैध हथियार नहीं थे। हिंसा के लिए तो एक माह पहले ही तैयारी कर ली गई थी।
दूसरे प्रदेशों से आए मुस्लिम युवकों अवैध हथियार, पेट्रोल बम तथा पत्थर छत पर जमा कर लिए थे। हमारे ऊपर लगाए गए आरोप गलत हैं। हमारा गला पकड़ कर घर से लाया गया जैसे हमने दो चार लोगों का कत्ल कर दिया हो।
कौन है बिट्टू बजरंगी?
फरीदाबाद के प्रमुख गौरक्षक बिट्टू बजरंगी का असली नाम राजकुमार है। वह बजरंग दल का कार्यकर्ता है। इसके साथ-साथ बिट्टू बजरंगी गौरक्षा बजरंग फोर्स का फरीदाबाद प्रमुख है।
31 जुलाई को बजरंग दल के कार्यक्रम (बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा) में हुई हिंसक झड़प मामले में बिट्टू पर धारदार हथियार लेकर भड़काऊ बयान देने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप है। इसी मामले में उसे मंगलवार को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया है। नूंह हिंसा मामले में बिट्टू बजरंगी की गिरफ्तारी पहली बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
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हरियाणा सरकार ने नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए उप-वर्गीकरण लागू किया
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण का उप-वर्गीकरण लागू किया है। हरियाणा विधानसभा में बोलते हुए, सीएम सैनी ने कहा, “विधानसभा सत्र में है और मुझे लगा कि सदन को इस सत्र में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ दिन पहले दिए गए फैसले के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए, जिसे अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण के संबंध में इस अधिसूचना के माध्यम से हमारे मंत्रिमंडल द्वारा पहले ही मंजूरी दे दी गई थी। हरियाणा में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण के वर्गीकरण के संबंध में आज लिया गया निर्णय तुरंत प्रभाव से लागू होगा। और पांच बजे के बाद, आम जनता इसे मुख्य सचिव की वेबसाइट से देख सकती है।”
1 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने 6:1 के बहुमत के फैसले से फैसला सुनाया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण अनुमेय है। इस मामले में छह अलग-अलग राय दी गईं। यह निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया, जिसने ईवी चिन्नैया मामले में पहले के निर्णयों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं है क्योंकि एससी/एसटी समरूप वर्ग बनाते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा, पीठ में अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा थे।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने असहमति जताते हुए कहा कि वह बहुमत के फैसले से असहमत हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और मनोज मिश्रा द्वारा लिखे गए फैसले में, उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 एक ऐसे वर्ग के उप-वर्गीकरण की अनुमति देता है जो कानून के उद्देश्य के लिए समान रूप से स्थित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी में पहचान करने वाले क्रीमी वकील की आवश्यकता पर विचार किया क्योंकि संविधान पीठ के सात में से चार न्यायाधीशों ने इन लोगों को सकारात्मक आरक्षण के लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने अपना विचार व्यक्त किया था कि राज्य को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (एससी/एसटी) के लिए क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए।
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