नई दिल्ली भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 आज 23 अगस्त की शाम को चांद की सतह पर उतरेगा। ऐसे में लोगों के मन में यह उत्सुकता है कि आखिर चंद्रयान-3 को तैयार करने के पीछे हाथ किसका है?
तो बता दें, इसरो जिस मिशन चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर उतारने के लिए तैयार है, वह पूरा प्रोजेक्ट पी. वीरमुथुवेल देख रहे हैं। चंद्रयान-2 के विपरीत चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर शामिल नहीं है। इसमें लैंडर और रोवर हैं जिनका उद्देश्य चंद्रमा की सतह से डाटा जुटाना है।
कौन हैं चंद्रयान-3 के प्रमुख पी. वीरमुथुवेल?
पी. वीरमुथुवेल तमिलनाडु के विल्लुपुरम क्षेत्र के रहने वाले हैं। वीरमुथुवेल ने अपनी स्कूली शिक्षा विल्लुपुरम के रेलवे स्कूल से की और एक निजी पॉलिटेक्निक कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। उन्होंने इंजीनियरिंग स्नातक चेन्नई के एक निजी कॉलेज से किया। फिर एक अन्य निजी इंजीनियरिंग कॉलेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की।
इसके बाद उन्होंने पीएचडी के लिए आईआईटी मद्रास में प्रवेश लिया। उनके पिता पी. पलानिवेल कहते हैं, ‘उन्हें केंद्र सरकार के विभागों से नौकरियों सहित कई मौके मिले, लेकिन वह वहां शामिल नहीं हुए। 2014 में उनका सपना सच हो गया जब वह एक वैज्ञानिक के रूप में इसरो में उनका चयन हुआ।’
चंद्रयान-2 के लिए नासा के साथ किया था समन्वय
वीरमुथुवेल वर्तमान में चंद्र मिशन के परियोजना निदेशक के पद पर हैं। उन्होंने चंद्रयान-2 लैंडर के चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग में विफल होने के बाद चंद्रयान मिशन के निदेशक के रूप में एम वनिता की जगह ली थी। यह पद उन्होंने इस क्षेत्र में अपना कौशल और विशेषज्ञता प्रदर्शित करके हासिल किया।
चंद्रयान-3 मिशन के प्रमुख होने के अलावा, वीरमुथुवेल ने चंद्रयान-2 मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने चंद्रयान-2 परियोजना के पीछे की संभावनाओं और इसके विज्ञान पर नासा के साथ समन्वय किया था।