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PFI पर NIA का शिकंजा, दिल्ली-राजस्थान और महाराष्ट्र समेत कई ठिकानों पर मारा छापा
नई, दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बुधवार (11 अक्टूबर) को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की है। एजेंसी ने PFI के ऊपर यह कार्रवाई देशभर में उसके ठिकानों पर की है। छापेमारी दिल्ली-एनसीआर, महाराष्ट्र, यूपी, राजस्थान, मदुरै आदि स्थानों पर चल रही है।
PFI को पिछले साल आतंकवाद विरोधी गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम (UAPA) के तहत बैन कर दिया गया था। प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के संबंध में NIA की छापेमारी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में चल रही है।
केस नंबर 31/2022 में हुई की छापेमारी
NIA सूत्रों के मुताबिक, यह छापेमारी एजेंसी के केस नंबर 31/2022 में की गई है, जो PFI और उसके नेताओं और कैडरों की हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्तता से संबंधित है। सभी आरोपी पटना के फुलवारीशरीफ इलाके में हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों के उद्देश्य से इकट्ठे हुए थे।
फुलवारीशरीफ में हुई थी FIR दर्ज
हालांकि, NIA के अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं और ज्यादा कुछ बोलने से इनकार किया। मामला शुरू में 12 जुलाई, 2022 को फुलवारीशरीफ पुलिस स्टेशन में FIR के रूप में दर्ज किया गया था। इसके बाद एजेंसी ने मामले को फिर से पिछले साल 22 जुलाई को दर्ज किया था।
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“डिजिटल मीडिया ने उस पारंपरिक मीडिया को आर्थिक रूप से प्रभावित किया है”, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डिजिटल मीडिया के कारण आर्थिक रूप से प्रभावित हुए पारंपरिक मीडिया को रेस में टिके रहने के लिए मुआवजे पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि डिजिटल मीडिया ने उस पारंपरिक मीडिया को आर्थिक रूप से प्रभावित किया है, जो पत्रकारिता की अखंडता और संपादकीय प्रक्रियाओं में भारी निवेश करता है। भारतीय प्रेस परिषद की ओर से शनिवार को यहां नेशनल मीडिया सेंटर में राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने फेक न्यूज से निपटने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए डिजिटल मीडिया में जवाबदेही की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करने के लिए समाधान तैयार करने होंगे कि उनके सिस्टम का हमारे समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा,
“हमें इन संघर्षों को नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि इतिहास खुद को दोहराता है और जो लोग इतिहास को भूल जाते हैं, उन्हें फिर से उन्हीं चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया।” अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत में एक जीवंत प्रेस है। यह मुखर है। इसमें हर तरफ की राय होती है। कुछ बहुत मजबूत हैं। कुछ मध्यमार्गी हैं। उन्होंने कहा कि देश में 35,000 से अधिक रजिस्टर्ड दैनिक समाचार पत्र हैं। हजारों समाचार चैनल हैं। और तेजी से फैल रहा डिजिटल इकोसिस्टम मोबाइल और इंटरनेट के जरिए करोड़ों नागरिकों तक पहुंच रहा है।
Celebrating the power of Press: upholding democracy and freedom
📍At the National Press Day event pic.twitter.com/ZSbsPDyzhP
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) November 16, 2024
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