प्रादेशिक
इविवि के सहायक प्रोफेसर के खिलाफ केस दर्ज, भगवान राम और कृष्ण पर की थी अभद्र टिप्पणी
लखनऊ। हिंदू देवी-देवताओं पर अमर्यादित और विवादित टिप्पणी कर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय सहायक प्रोफेसर डॉक्टर विक्रम हरिजन एक बार फिर विवादित बयान दे डाला है, जिसके चलते उनपर केस भी दर्ज हो गया है। सहायक प्रोफेसर के खिलाफ एफआईआर विश्व हिंदू परिषद (विहिप), हिंदू जागरण मंच और बजरंग दल की संयुक्त शिकायत पर रविवार शाम को दर्ज की गई।
विहिप के जिला संयोजक शुभम की तहरीर पर कर्नलगंज थाना में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग में कार्यरत सहायक प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने), 295-ए (किसी वर्ग के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून की धारा 66 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई.
सहायक प्रोफेसर हरिजन पर आरोप है कि वह अपने सोशल मीडिया एकाउंट ‘एक्स’ के माध्यम से आए दिन हिंदू समाज के देवी देवताओं पर अभद्र एवं नफरती टिप्पणी करके अपमानित करते हैं। इससे न केवल विश्वविद्यालय के छात्रों में आक्रोश है, बल्कि हिंदू समाज आहत है। डॉ. हरिजन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “यदि आज प्रभु राम होते तो मैं ऋषि शम्भुक का वध करने के लिए उनको आईपीसी की धारा 302 के तहत जेल भेजता और यदि आज कृष्ण होते तो उनको भी जेल भेजता।
इस मामले में जब डॉ. हरिजन से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मैंने संविधान के दायरे में रहकर यह बात लिखी है. भगवान राम ने शम्भुक का वध इसलिए किया था क्योंकि शम्भुक शूद्र जाति के थे और बच्चों को शिक्षा दे रहे थे। उन्होंने कहा, “श्रीकृष्ण स्त्रियों का वस्त्र लेकर भाग जाते थे. मेरा कहना है कि आज के समय में ऐसा होता तो क्या कोई महिला यह बर्दाश्त करती।
विहिप के शुभम ने कहा, “भारतीय संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, लेकिन विक्रम हरिजन जैसे व्यक्ति सामाजिक अशांति फैलाने के लिए इसका फायदा उठा रहे हैं. वे इस बात से अनजान हैं कि संविधान ऐसी टिप्पणी करने की अनुमति नहीं देता है जो देश की सुरक्षा और लोक व्यवस्था को खतरे में डाल सकती है।
प्रादेशिक
उपमा ने धूमधाम से मनाया अपना 7वां वार्षिक अधिवेशन
लखनऊ। माइक्रो फाइनैन्स एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (उपमा ) द्वारा लखनऊ के स्थानीय होटल ताज महल मे माइक्रो फाइनैन्स संस्थाओं का भव्य 7वां वार्षिक अधिवेशन आयोजित किया गया। देश के कोने कोने से पधारे वित्तीय विशेषज्ञों ने प्रदेश की अर्थ व्यस्था को बढ़ावा देने हेतु परिचर्चा में भाग लिया । अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य था *एक ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी को बढ़ावा देने हेतु माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के योगदान पर आधारित अध्ययन रिपोर्ट जारी करना और एक सतत एवं विश्वसनीय माइक्रो फाइनेंस मॉडल विकसित करना।*
आज के अधिवेशन के मुख्य अतिथि श्री असीम अरुण माननीय राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार समाज कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार तथा मुख्य वक्ता के रूप में श्री दिनेश खारा पूर्व चेयरमैन स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया और माइक्रोफाइनेंस के भीष्मपितामह कहे जाने वाले श्री विजय महाजन थे ।
मुख्य अतिथि श्री असीम अरुण ने अधिवेशन का उद्घाटन किया तथा माइक्रो फाइनैन्स संस्थाओं द्वारा अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु दिए जा रहे सहयोग और उनके योगदान द्वारा महिलाओं के जीवन स्तर मे हो रहे सुधार पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि उपमा संस्था ने एक ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर सम्मलेन आयोजित किया है जो कि राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री दिनेश खारा पूर्व चेयरमैन स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने उपमा के 11 वें स्थापना दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि सम्मलेन में परिचर्चा के उपरांत एक ऐसी कार्य योजना बनेगी जो राज्य के विकास मे सहयोगी होगी तथा एक खरब डॉलर अर्थ व्यवस्था के लक्ष्य को पूर्ण करने में एक अहम् भूमिका निभायेगी।
समारोह के दूसरे मुख्य वक्ता तथा माइक्रो फाइनेंस के विशेषज्ञ श्री विजय महाजन ने बताया कि माइक्रो फाइनैन्स के जरिये समाज के कमजोर वर्ग विशेषकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु उन्हें रोज़गार परक ऋण उपलब्ध कराया जाता है
उन्होंने आगे कहा कि किस तरह से माइक्रोफाइनांस राज्य की अर्थ व्यवस्था में तथा ग्रामीण क्षेत्र मे रोजगार सृजन कर बेरोजगारी की समस्या को दूर करने मे सहयोग प्रदान कर सकता है।
उत्कर्ष बैंक के एमडी श्री गोविंद सिंह ने माइक्रो फाइनेंस द्वारा रोजगार सृजन और कमजोर वर्ग की आय में वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक भारत का लघु वित्तीय बैंक है हमारे ऋण ग्रामीण या अविकसित इलाकों की महिलाओं या छोटे कारोबारियों के लिए होते हैं. वहां हम अपनी विभिन्न वित्तीय सेवाओं द्वारा इस वर्ग को वित्तीय समृद्धि से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं ।
इस अवसर पर माइक्रो फाइनेंस के स्वतः नियामक संस्था साधन के प्रमुख श्री जी जी मेमन सहित इस कॉन्फ्रेंस में शैक्षिक संस्थाओं के रिसर्च स्कॉलर, अनेक वित्तीय विशेषज्ञ, माइक्रो फाइनांस कंपनी के सीईओ के साथ साथ नाबार्ड, आरबीआई तथा सिडबी के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने अपने विचार रखे । सिड़बी के तहत नाबार्ड माइक्रो फाइनैन्स संस्थाओं को समाज के कमजोर वर्ग के लिए रोज़गार परक ऋण उपलब्ध करने मे आर्थिक मदद करता है।
उपमा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर सिन्हा ने बताया कि माइक्रोफाइनेंस जिसे माइक्रो क्रेडिट भी कहा जाता है, एक प्रकार की बैंकिंग सेवा है जो कम आय वाले व्यक्तियों या समूहों को प्रदान की जाती है माइक्रो फाइनैन्स एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (उपमा) प्रदेश मे माइक्रो फाइनेंस के क्षेत्र में कार्यरत लगभग 30 संस्थाओं का एक संगठन है जो माइक्रो फाइनैन्स संस्थाओं को क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण तथा पॉलिसी एडवोकेसी मे मदद करता है। संस्था प्रति वर्ष अपना वार्षिक सम्मेलन आयोजित करती है संस्था इस वर्ष अपनी स्थापना के 11 वर्ष पूरे कर रही है जब कि यह इसका 7वां अधिवेशन है।
समारोह में पांच सत्रों के दौरान विभिन्न विषयों जैसे व्यक्तिगत डाटा प्रोटेक्शन ऐक्ट के तहत माइक्रो फाइनैन्स संस्थाओं की तैयारी तथा माइक्रो फाइनैन्स एक सामाजिक उपयोगिता पर परिचर्चा हुई। परिचर्चा मे मुंबई से आए जना बैंक के सलाहकार, प्रख्यात लेखक श्री तमाल बंद्योपाध्याय, उत्कर्ष बैंक के एमडी श्री गोविंद सिंह, क्रेडिट एक्सेस के एमडी श्री उदय कुमार, वीएफएस कैपिटल के एमडी श्री कुलदीप मैती, कैशपोर के एमडी मुकुल जयसवाल, सोनाटा फाइनैन्स के एमडी श्री अनूप सिंह, सत्या माइक्रोकैपिटल के एमडी श्री विवेक तिवारी, तथा पहल फाइनैन्स की एमडी सुश्री पूर्वी भवसार ने भाग लिया। इस अवसर पर विभिन्न कंपनियों से आए हुए लगभग 250 प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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