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प्रादेशिक

बिहार: अब खेतों में बर्बाद नहीं होगी फसल, ड्रोन से होगा कीटनाशक का छिड़काव; सरकार देगी अनुदान

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Now crops will not get wasted in the fields in Bihar

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पटना। अब बिहार में फसल बर्बाद नहीं होंगे इसके लिए तैयारी कर ली गई है। दरअसल, फसल को सुरक्षित रखने के लिए अब कीटनाशक का छिड़काव ड्रोन से किया जाएगा। किसानों को इसके लिए सब्सिडी भी देने की तैयारी चल रही है। किसान तिलहन दलहन के साथ आलू मक्का एवं गेहूं पर कीटनाशक का छिड़काव करवा सकते हैं।

बिहार सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत रबी की खेती में ड्रोन से 38 हजार एकड़ में कीटनाशक छिड़काव का लक्ष्य तय किया है। कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर निबंधित किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं। पहले चरण में हर जिले में एक-एक हजार एकड़ में ड्रोन से कीटनाशक के छिड़काव की योजना है।

सरकार प्रति एकड़ किसानों को 250 रुपये अनुदान देगी। अधिकतम 10 एकड़ तक एक किसान ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव पर सरकार से अनुदान ले सकते हैं। किसान तिलहन, दलहन के साथ आलू, मक्का एवं गेहूं पर कीटनाशक का छिड़काव करवा सकते हैं।

कृषि विज्ञानियों का कहना है कि कीट, खरपतवार, जीवाणु के कारण प्रतिवर्ष 35 प्रतिशत फसल की बर्बादी होती है। किसान पारंपरिक तरीके से अभी कीटनाशक का छिड़काव करते है। खुद से कीटनाशक का छिड़काव करने से इसके दुष्प्रभाव की जानकारी भी नहीं होती है। इससे पानी, श्रम और पूंजी की भी बर्बादी होती है। ड्रोन के उपयोग से कीटनाशक के छिड़काव से किसानों के स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक एकड़ में महज आठ से दस लीटर पानी में कीटनाशक के छिड़काव का काम पूरा हो जाएगा।

एजेंसी का चयन शीघ्र

ड्रोन परिचालन के लिए कृषि विभाग ने एजेंसी का चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भी शीघ्र ही घोषित करने की तैयारी है। अधिकतम 10 एकड़ तक ड्रोन से छिड़काव पर सरकार ने अनुदान राशि तय की है।

किसान कहीं से भी आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। सभी जिलों में एक-एक हजार एकड़ क्षेत्र में छिड़काव होगा। ड्रोन से छिड़काव की सूचना संबंधित क्षेत्र के किसानों को 24 घंटे पूर्व देनी होगी। पंचायत सचिव, पंचायत समिति सदस्य और प्रखंड कृषि पदाधिकारी की ओर से किसानों को सूचना दी जाएगी।

लागत व समय की होगी बचत

ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव के कार्य का सत्यापन कृषि विभाग के कर्मियों की ओर से किया जाएगा। किसान को कृषि विभाग और कृषि विज्ञानी की ओर से अनुशंसित कीटनाशक का ही प्रयोग करना होगा। कृषि समन्वयक, पौधा संरक्षण कर्मचारी, प्रखंड तकनीकी व सहायक प्रबंधक सत्यापन करेंगे।

किसानों की मांग के अनुसार कृषि विभाग के कर्मी की उपस्थिति में कीटनाशक का घोल तैयार कर छिड़काव किया जाएगा। DCGA की ओर से निबंधित ड्रोन से ही कीटनाशक का छिड़काव होगा। डिजिटल स्काइ प्लेटफार्म पर रजिस्ट्रेशन कराए बिना ड्रोन का परिचालन नहीं होगा। अहम यह है कि महज आठ से दस मिनट में एक एकड़ खेत में कीटनाशक के छिड़काव का काम पूरा हो जाएगा।

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IANS News

महाकुंभ में बिछड़ने वालों को अपनों से मिलाएंगे एआई कैमरे, फेसबुक और एक्स भी करेंगे मदद

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प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगी योगी आदित्यनाथ सरकार पहली बार इतने व्यापक स्तर पर महाआयोजन का डिजिटलाइजेशन कर रही है। यहां एआई की मदद से ऐसे कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो 45 करोड़ श्रद्धालुओं की हिफाजत में 24 घंटे तैनात रहेंगे। एआई लाइसेंस वाले इन कैमरों के साथ ही फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म भी बिछड़ने वाले परिजनों को खोजने में तत्काल मदद करेंगे।

मदद करेगा डिजिटल खोया पाया केंद्र

इस बार महाकुंभ में देश विदेश से बड़ी संख्या में आने वाले लोगों को अपनों को खोने का डर नहीं सताएगा। मेला प्रशासन ने इसकी व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए डिजिटल खोया पाया केंद्र को एक दिसंबर से लाइव किया जाएगा। इसके माध्यम से 328 एआई लाइसेंस वाले कैमरे पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखेंगे। इन सभी कैमरों का परीक्षण कर लिया गया है। पूरे मेला क्षेत्र को इन विशेष कैमरों से लैस किया जा रहा है। योगी सरकार के निर्देश पर बड़े पैमाने पर कैमरे इंस्टॉल करने का काम अपने अंतिम चरण में है। मेला क्षेत्र की चार लोकेशन पर इन विशेष एआई कैमरों का परीक्षण भी किया जा चुका है।
महाकुंभ में अब कोई भी अपना बिछड़ने नहीं पाएगा।

पलक झपकते काम करेगी तकनीक

महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले श्रृद्धालुओं के लिए सरकार ने ऐसे डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की है, जो तकनीक के सहारे चलेंगे और पलक झपकते ही अपनों से मिलाएंगे। इसमें हर खोए हुए व्यक्ति का डिजिटल पंजीकरण तुरंत किया जाएगा। पंजीकरण होने के बाद एआई कैमरे गुमशुदा की तलाश में जुट जाएंगे। यही नहीं, गुमशुदा की जानकारी को फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी शेयर किया जाएगा। यह व्यवस्था महाकुंभ मेले को न केवल सुरक्षित बनाएगी, बल्कि परिवारों को जल्दी और आसानी से अपने प्रियजनों से जोड़ने का काम करेगी।

फोटो से मिलान करेगा एआई

महाकुंभ में अपनों से बिछड़ने वाले व्यक्तियों की पहचान के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह तत्काल काम करेगा। यहां 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। ऐसे में एआई कैमरे तत्काल फोटो खींचकर व्यक्ति की पहचान कर लेंगे। इस काम में सोशल मीडिया भी तत्पर रहेगा।

पहचान का देना होगा प्रमाण

जो भी व्यक्ति महाकुंभ मेले में अपनों से बिछड़ेगा, उसका सुरक्षित, व्यवस्थित और जिम्मेदार प्रणाली के तहत ख्याल भी रखा जाएगा। किसी भी वयस्क को बच्चे या महिला को ले जाने से पहले सुनिश्चित करना होगा कि वह उसे पहचानते हैं और उनकी पहचान प्रमाणिक है।

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