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असहमति के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल हो सकता है विनाशकारी: CJI डी वाई चंद्रचूड़

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CJI DY Chandrachud

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नई दिल्ली। CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को असहमति के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर चेताया। उन्होंने कहा कि सिविल राइट्स ग्रुप्‍स का असहमति और अभिव्यक्ति के लिए सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स का इस्तेमाल करने से विनाशकारी प्रभाव हो सकता है।

सीजेआई ने कहा, ‘…क्योंकि ये गैर-जिम्मेदार मेगा इकाइयां उन शक्तियों का भंडार बन जाती हैं जो पहले संविधान और मतदाताओं द्वारा नियंत्रित सरकारों को उपलब्ध थीं।’ वह ‘डिजिटल युग में नागरिक स्वतंत्रता को कायम रखना: गोपनीयता, निगरानी और मुक्त भाषण’ विषय पर जस्टिस वी एम तारकुंडे मेमोरियल लेक्चर में बोल रहे थे।

सीजेआई ने कहा, ‘असहमति, एक्टिविज्‍म और स्वतंत्र भाषण की अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में निजी स्वामित्व वाले प्लेटफार्मों को अपनाने का एक दूसरा पहलू भी है। कॉर्पोरेशंस के पास इतनी अपार शक्ति है, स्वीकार्य और अस्वीकार्य भाषण के मध्यस्थ के रूप में काम करने के लिए उन पर बहुत अधिक भरोसा किया गया है- एक भूमिका जो पहले राज्य द्वारा ही निभाई जाती थी।’

म्यांमार आर्मी का उदाहरण देकर समझाया

समाज, जनता और देशों पर विनाशकारी प्रभाव की चेतावनी देते हुए, सीजेआई ने संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट का हवाला दिया। जिसमें बताया गया है कि कैसे म्यांमार की सेना ने जातीय सफाई के लिए सोशल मीडिया को एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया।

सीजेआई ने कहा कि ‘स्‍टेट एक्‍टर्स को संविधान और मतदाताओं के प्रति जवाबदेह ठहराया जाता है। इसके उलट सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म अपेक्षाकृत अनियमित हैं। यह एक और नई चुनौती है जिसका डिजिटल स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं को अनूठा हल ढूंढना होगा।’

सीजेआई ने सोशल मीडिया के एक और पहलू का जिक्र भी किया, जो तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘ट्रोल सेनाओं के आने के बाद और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर संगठित दुष्प्रचार अभियानों के साथ, डर यह है कि ऐसी बातों की भारी बाढ़ आ गई है जो सच्चाई को तोड़-मरोड़ देती है।’

सबसे तेज आवाज में दब जाती है सच्‍चाई

सीजेआई ने कहा, ‘प्रसार के पैमाने के आधार पर, फर्जी खबरें सच्ची जानकारी को खत्म कर देती हैं, जिससे विमर्श का चरित्र सच्चाई की जगह सबसे तेज आवाज से दब जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए, दुष्प्रचार में लोकतांत्रिक चर्चा को हमेशा के लिए खराब करने की शक्ति होती है, जो स्वतंत्र विचारों के बाजार को नकली कहानियों के भारी बोझ के नीचे पतन की ओर धकेल देती है।’

सीजेआई ने कहा कि दुनिया भर में – चाहे वह लीबिया हो, फिलीपींस हो, जर्मनी हो या अमेरिका, फर्जी खबरों के प्रसार से चुनाव और नागरिक समाज कलंकित हुआ है। उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है कि जब देश दुखद कोविड-19 महामारी का सामना कर रहा था, तब इंटरनेट फर्जी खबरों और अफवाहों से भरा हुआ था।’

CJI ने कहा, ‘मैं इस दावे को खारिज करना चाहूंगा कि सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समुदायों के लिए नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की तुलना में आर्थिक स्थिति और कल्याण अधिकारों तक पहुंच अधिक महत्वपूर्ण है। सभी व्यक्ति, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना, गोपनीयता, स्वायत्तता और अंतरंगता के अधिकार के उल्लंघन से गहराई से प्रभावित होते हैं।’

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5.6 मिलियन फॉलोअर्स वाले एजाज खान को मिले महज 155 वोट, नोटा से भी रह गए काफी पीछे

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मुंबई। टीवी एक्टर और पूर्व बिग बॉस कंटेस्टेंट एजाज खान इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे। हालांकि जो परिणाम आए हैं उसकी उन्होंने सपने में भी उम्मीद नहीं की होगी। एजाज आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर वर्सोवा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन उन्होंने अभी तक केवल 155 वोट ही हासिल किए हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि नोटा को भी 1298 वोट मिल चुके हैं। इस सीट से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के हारून खान बढ़त बनाए हुए हैं जिन्हें अबतक करीब 65 हजार वोट मिल चुके हैं।

बता दें कि ये वहीं एजाज खान हैं जिनके सोशल मीडिया पर 5.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं। ऐसे में बड़ी ही हैरानी की बात है कि उनके इतने चाहने वाले होने के बावजूद भी  1000 वोट भी हासिल नहीं कर पाए। केवल 155 वोट के साथ उन्हें करारा झटका लगा है।

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