प्रादेशिक
JDU की कमान सँभालने के बाद भी नीतीश के सामने ये 2 बड़ी चुनौतियां, वजूद पर भी संशय
पटना। ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) की कमान अपने हाथ में ले ली है। ऐसा कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से उनकी बढ़ रही नजदीकी से JDU नेता काफी असहज हो चुके थे।
सूत्र यह भी बताते हैं कि JDU को कमजोर करने की भी साजिश रची गई थी। अगर सूत्रों के द्वारा दी गई इन जानकारियों में सच्चाई है तो नीतीश कुमार के लिए चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। चूंकि RJD, सपा या बीएसपी जैसी पार्टियों की तरह JDU पारिवारिक पार्टी नहीं है। हालांकि, इसका कंट्रोल नीतीश कुमार के हाथों में है। ऐसे में इस दल के भविष्य वजूद को लेकर भी खतरा मंडराने लगा है।
ललन सिंह जैसे करीबी नेता से जेडीयू की बागडोर छीनने वाले नीतीश कुमार ने बीते कुछ महीने पहले संकेत दिया था है कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की अगुवाई तेजस्वी यादव के हाथों में होगी। हालांकि, कोई भी यह नहीं कह सकता है कि वास्तव में उनके मन में क्या चल रहा है। वह इतनी आसानी से कुर्सी नहीं छोड़ने वाले नहीं हैं।
नीतीश कुमार के सामने दो बड़ी चुनौतियां
कभी BJP तो कभी RJD के सहारे बिहार की गद्दी संभालने वाले नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि उनकी पार्टी JDU 2019 की तरह 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें बरकरार रखने में सफलता हासिल करें। इसके अलावा उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वह जब तक चाहें बिहार के मुख्यमंत्री बने रहें।
मुख्यमंत्री बने रहने के लिए वह अब तर भाजपा और राजद के बीच झूलते रहे हैं। उनके पास बिहार में 15%-16% वोट शेयर है, जिसके बिना किसी भी पार्टी की सरकार नहीं बन सकती है। ऐसा माना जाता है कि नीतीश कुमार को कुर्मी, कोइरी/कुशवाहा, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग और महादलितों को समर्थन प्राप्त हैं। इसके बिना न तो लालू यादव और न ही मोदी- शाह की जोड़ी बिहार में सरकार बना सकती है।
JDU के लिए अधिकांश लोकसभा सीटों पर कब्जा बनाए रखने के लिए नीतीश को भाजपा के नेतृत्व वाले NDA में घरवापसी करने की जरूरत होगी लेकिन मोदी-शाह के साथ उनके रिश्ते अच्छे नहीं हैं। अगर वह ऐसा करने में सफल भी होते हैं तो उनकी विश्वसनीयता और कम हो जाएगी।
2024 में अपने मिशन 400 को पूरा करने के लिए बिहार में NDA को नीतीश कुमार की आवश्यक्ता से इनकार भी नहीं किया जा सकता है। नीतीश कुमार के लिए बड़ा सवाल यह है कि वे अपनी विरासत किसे सौंपना चाहते हैं। बीजेपी को या राजद को?
लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने के लिए आतुर दिख रहे हैं। यही वजह है कि वह इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार के लिए सम्मानित जगह की मांग कर रहे हैं, जिसके बाद वह उनपर दबाव बना सकें। RJD के पास इंतजार के अलावा एक ही रास्ता है कि JDU को तोड़ने में सफलता हासिल करे। हालांकि, नीतीश कुमार ने बार-बार यह साबित किया है कि यह मुश्किल है।
नीतीश कुमार के लिए उनकी उम्र भी अब बड़ा फैक्टर बन गया है। हालांकि नवीन पटनायक और पिनयारी विजयन जैसे उनसे वरिष्ठ नेता अभी भी मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
उत्तर प्रदेश
संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद
संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।
इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।
इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।
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