नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि परिवार संस्था और शादी को बचाना जरूरी है लेकिन इसके लिए पुरुषों को अपने आप को दूसरों से अहम समझने वाले व्यक्तित्व को छोड़ना होगा। उन्होंने ये भी कहा कि शादी में महिलाओं की अहमियत को भी मानना पड़ेगा और उन्हें कमतर समझना बंद करना होगा। 28वें जस्टिस सुनंदा भंडारे मेमोरियल लेक्चर में अपने संबोधन में जस्टिस बीवी नागरत्ना ने यह बात कही।
शादी संस्था का बना रहना जरूरी
SC की जज जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ‘महिला और पुरुष दोनों शादी के दो अहम स्तंभ हैं। परिवार की अहम भूमिका होती है लेकिन घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। पुरुषों को अपने आप को अहम मानने वाले व्यक्तित्व को छोड़ना पडे़गा। शादी और परिवार संस्था का बना रहना जरूरी है और यह खुशी और परिवार और महिलाओं की बेहतरी पर आधारित होना चाहिए। परिवार में अगर महिलाओं की पहचान खत्म होगी तो एक ना एक दिन शादी का टूटना तय है। हर सफल व्यक्ति के पीछे परिवार होता है। महिलाओं की भूमिका को शादी में कमतर नहीं आंका जाना चाहिए।’
महिलाओं की स्थिति पर जताई चिंता
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि शादी टूटने का असर बच्चों पर भी पड़ता है। उल्लेखनीय है कि जस्टिस बीवी नागरत्ना साल 2027 में देश की पहली मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होंगी। देश के कार्यबल में महिलाओं की स्थिति पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ‘महिलाओं के गर्भवती होने पर उनसे पूछा जाता है कि उन्हें अंतिम बार पीरियड कब हुआ था। निजी क्षेत्र में अगर कोई महिला बच्चे को जन्म देने के लिए छुट्टी लेती है तो जब वह वापस आती है तो वह पाती है कि उसकी जगह कोई और नियुक्त कर लिया गया है, यह नहीं चल सकता।’