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उत्तराखंड

उत्तराखंड में 285 विशेष शिक्षकों की होगी भर्ती, कैबिनेट में प्रस्ताव को दी गई मंजूरी

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285 special teachers will be recruited in Uttarakhand

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देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में माध्यमिक शिक्षा संवर्ग के तहत 285 विशेष शिक्षकों की भर्ती होगी। हर ब्लॉक में तीन शिक्षकों को नियुक्ति दी जाएगी। कैबिनेट में प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। कैबिनेट में आए प्रस्ताव के तहत विद्यालयों में सेवानिवृत्त शिक्षकों को तत्कालीन व्यवस्था के तहत नियुक्ति दी जाएगी।

राज्य के सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से 12वीं तक 3,400 दिव्यांग बच्चे हैं। इनमें से कक्षा 9वीं से 12वीं तक 894 दिव्यांग बच्चे चिह्नित किए गए हैं। विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट से भी आदेश जारी किया गया है। समग्र शिक्षा में आउटसोर्स से 161 शिक्षक रखे जाएंगे। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, विभाग में इसकी प्रक्रिया चल रही है।

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उत्तराखंड

उत्तराखंड में जनवरी 2025 से लागू होगा UCC, सीएम धामी ने किया एलान

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को ऐलान किया कि राज्य में जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा देहरादून में उत्तराखंड निवेश और आधारिक संरचना विकास बोर्ड (UIIDB) की बैठक के दौरान की। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार अपने संकल्प के अनुसार UCC को लागू करने के लिए पूरी तैयारी कर चुकी है और जनवरी 2025 से इसे राज्यभर में लागू कर दिया जाएगा।

इसके साथ ही उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला प्रदेश बन जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान जनता से किए गए वादे को पूरा किया जा रहा है। मार्च 2022 में जब राज्य में नई सरकार बनी थी, तो पहले ही मंत्रिमंडल की बैठक में यूसीसी लागू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्णय लिया गया था।

उन्होंने बताया कि इस समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने की और इस समिति ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को दी। उसी रिपोर्ट के आधार पर 7 फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक-2024 पारित किया गया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि विधेयक पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सहमति मिलने के बाद 12 मार्च 2024 को इसे अधिसूचित किया गया। सीएम धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता का उद्देश्य समाज में समानता लाना और खासकर देवभूमि की महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण के नए द्वार खोलना है। उन्होंने इसे ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ की मूल भावना के अनुरूप बताया।

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