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उत्तर प्रदेश

वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता के नाम लिखा पत्र, ‘बिना किसी पद के भी मेरे दरवाजे आपके लिए खुले’

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पीलीभीत। पीलीभीत से इस बार बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया गया है। बुधवार को नामांकन का आखिरी दिन था. इस प्रक्रिया के खत्म होने के बाद यह साफ हो गया है कि वरुण गांंधी पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे। लोग वरुण गांधी को लेकर कई तरह के कयास लगा रहे थे। इस बीच वरुण गांधी ने एक भावुक पत्र जनता के नाम पर लिखा है। उन्होंने कहा, ‘भले ही कोई कीमत चुकानी पड़े, अपनी सेवा में हमेशा तत्पर रहूंगा’। यह पत्र उन्होंने एक्स पर अपने ​अधिकारिक अकाउंट पर शेयर किया है। उन्होंने अपने पत्र में जनता के लिए लिखा, बिना किसी पद के भी आपके के लिए मेरे दरवाजे खुले रहने वाले हैं।

वरुण गांधी ने अपने पत्र ​में लिखा, आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो अनगिनत यादों ने उन्हें भावुक कर दिया है। उन्हें वो 3 साल का एक छोटा बच्चा याद आ रहा है, जो अपनी मां की उंगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था। उसे क्या पता था कि एक दिन यह धरती उसकी कर्म भूमि हो जाएगी। वरुण ने आगे लिखा, “मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं, उन्हें पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि महज एक सांसद के तौर पर नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का काफी बड़ा योगदान है।

पीलीभीत से सांसद रहने को लेकर वरुण गांधी ने खुद के जीवन का सबसे बड़ा सम्मान कहा है। उन्होंने कहा, “आपका प्रतिनिधि होना उनके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान बताया। मैं अपनी क्षमता से आपके हितों को लेकर आवाज उठाता रहूंगा। एक सांसद के नाते मेरा कार्यकाल भले की खत्म हो गया हो। मगर पीलीभीत से उनके संबंध अंतिम सांस तक खत्म नहीं होने वाले हैं।

 

उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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