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उत्तर प्रदेश

काशी की जीआई और ओडीओपी उत्पाद बनारसी साड़ी अंबानी परिवार की शादी में बिखेरेगी रंग

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वाराणसी| काशी की जीआई और ओडीओपी उत्पाद बनारसी साड़ी अंबानी परिवार की शादी में रंग बिखेरेगी। काशी की इस प्राचीन कला को जीआई टैग मिलने से विश्व में बनारसी साड़ी को अलग ही पहचान मिली है। योगी सरकार द्वारा बनारसी साड़ी को वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट में शामिल करने से काशी के कारीगरों का हुनर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उड़ान भर रहा है। बनारसी साड़ी को नई पहचान मिलने के बाद इसकी ख्याति और बढ़ती जा रही है। फ़िल्म इंडस्ट्री हो या देश दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक घराने, बनारसी साड़ी सबको खूब भाती है। वहीं बेटे की शादी के लिए नीता अंबानी ने भी इसी ख़ास बनारसी साड़ी का ऑर्डर दिया है।

पीएम-सीएम ने दिया शिल्पियों के हुनर को नया बाजार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीआई उत्पाद व वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट के ब्रांड अंबेसडर के रूप में देश के शिल्पियों के हुनर को नया बाज़ार दिया है। देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में शुमार मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी अपने बेटे की शादी के लिए यह साड़ी खरीदने कुछ दिन पहले बनारस पहुंची थीं। नीता अंबानी साड़ी की दुकान से लेकर बुनकर के घर तक गईं। उन्होंने करघे पर बुनकरों की बुनाई करते हुए कारीगरी को भी देखा। साथ ही बनारसी साड़ी के कारीगरों से इसकी बारीकियां भी समझीं। जीआई एक्सपर्ट पद्मश्री डॉ रजनीकांत ने बताया कि जीआई टैग की बनारसी साड़ी 100 प्रतिशत हैंडलूम और सिल्क की होती है। नीता अंबानी ने पसंद किया है। अब अंबानी परिवार की ओर से बनारसी साड़ी को पसंद किये जाने से दुनिया में इसका आकर्षण बढ़ेगा। बनारसी परंपरागत वस्त्रों के साथ ही जीआई और ओडीओपी उत्पादों के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर प्रधानमंत्री और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ हैं, जिन्होंने इसका विस्तार पूरी दुनिया में किया है।

बेटे की शादी के लिए नीता अंबानी ने दिया है ऑर्डर

नीता अंबानी ने बेटे की शादी के लिए ढेर सारी बनारसी साड़ियों का आर्डर दिया है। साड़ी के व्यापारी और एक्सपोर्टर प्रवीण अग्रवाल बताते हैं कि बनारसी साड़ी को जीआई उत्पाद में शामिल होने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इसे ओडीओपी में शामिल करने से पुरातन कला और बुनकरों को नया जीवन मिला है। अंबानी परिवार की इस शादी में जब बनारसी साड़ी पहनी जाएगी, तब इसकी चर्चा पूरी दुनिया में फिर से होगी। इससे बनारसी साड़ी का बाजार एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय फलक छुएगा। सुविधा साड़ी के मालिक और युवा उद्यमी अमित शेवारामानी बताते हैं कि मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में विश्व भर के उद्योगपति, सेलिब्रटी और विभिन्न क्षेत्रों के शीर्षस्थ लोगों के बीच बनारसी साड़ी को एक बार फिर नई बुलंदी और हुनरमंद कारीगरों को काम मिलेगा।

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उत्तर प्रदेश

अयोध्या के कुम्हारों के जीवन में ‘दीप’ जला रही योगी सरकार

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अयोध्या। रामनगरी के दीपोत्सव ने अयोध्या के कुम्हारों का जीवन बदल दिया है। कभी रोजी-रोटी के लिए परेशान दिखने वाले कुम्हार अब दीपोत्सव के दौरान ही एक-एक लाख रुपये कमा लेते हैं। दीपोत्सव शुरू होने के बाद कुम्हार परिवार के युवा बाहर जाने के बजाय अब इलेक्ट्रिक चाक घुमाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। जयसिंहपुर गांव में दीपोत्सव को लेकर व्यापक तैयारियां शुरू हो गई हैं।

2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही सर्वप्रथम अयोध्या को सजाने-संवारने का बीड़ा उठाया। इसके बाद भगवान राम के वनवास से लौटकर आने की खुशी में मनाई जाने वाली दीवाली ओर दीपोत्सव कराने का ऐलान कर दिया। हर वर्ष राम की पैड़ी पर इसका आयोजन होता है। इस दौरान लाखों की संख्या में दीप प्रज्ज्वलित होते हैं। दीयों की खरीदारी के लिए भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले के कुम्हारों को वरीयता दी। नतीजा यह है कि इन वर्ष दीपोत्सव का आठवां संस्करण होने जा रहा है। कुम्हारों ने बड़ी संख्या में दीयों को बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस बार रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि आठवां दीपोत्सव और भी भव्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने 25 लाख दीपों का जलाने का ऐलान किया है।

जलने हैं 25 लाख दीये, जुटा हुआ है परिवार

अयोध्या के विद्याकुण्ड के निकट स्थित जयसिंहपुर गांव में बड़े स्तर पर कुम्हार दीयों को बनाने में जुटे हुए हैं। यहां का 40 परिवार दीपोत्सव के लिए दीप बना रहा है। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका जीवन बदल दिया। दीपोत्सव में बिक्री होती ही है, लेकिन स्थानीय कुम्हारों के लिए की गई अपील के बाद लोग मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

30 से 35 हजार दीये बेच देते हैं: लक्ष्मी

जयसिंहपुर गांव की लक्ष्मी प्रजापति बताती हैं कि योगी सरकार की योजना ने हमारे घर को रोशन कर दिया है। दीपोत्सव में दीये बनाने का ऑर्डर मिलते ही पूरा परिवार जुट जाता है। 30 से 35 हजार दीये बनाकर बेचे जाते हैं।

सीएम के ऐलान के बाद बढ़ी आमदनी: राकेश

जयसिंहपुर गांव के राकेश प्रजापति बताते हैं कि अभी हमें ठेका नहीं मिला है, लेकिन विगत वर्षों में मिले आर्डर को देखते हुए हम लोगों ने दीये बनाने शुरू कर दिए हैं। सीएम के ऐलान के बाद हमारी आमदनी बढ़ी है।

पहले लोग चाइना की झालर से सजाते थे घर: आशा

गांव की आशा बताती हैं कि हम लोग हर वर्ष 20 से 25 हजार दीये बनाकर दीपोत्सव के लिए देते हैं। दीपोत्सव शुरू होने के बाद शहर के लोग दीयो से अपना घर सजाते हैं। नहीं तो लोग चाइना की झालरों का प्रयोग करते थे।

सीएम योगी ने दिलाई प्रजापतियों को पहचान: राजेश

गांव के राजेश प्रजापति ने बताया कि ये सीएम योगी की ही देन है कि दीपोत्सव के बाद से प्रजापति की भी पहचान हो गई है। नहीं तो हमें कोई पहचानता नहीं था। अभी टेंडर नहीं हुआ है, लेकिन हम लोगों ने अब तक 2 लाख से अधिक दीप तैयार कर लिए हैं।

शुरू हो चुका है दीपोत्सव का काउंट डाउन

आठवें दीपोत्सव का काउंट डाउन शुरू हो चुका है। अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। उसके बाद अयोध्या नगरी एक नया कीर्तिमान रच देगी। दीपोत्सव को लेकर प्रशासनिक तौयारियाँ शुरू हो गई हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा अवध विश्वविद्यालय प्रशासन और वहां के छात्र भी जुट गए हैं।

दीपोत्सव में कब कितने दीप जले
सन-दीप
2017- 1.71 लाख
2018- 3.01 लाख
2019- 4.04 लाख
2020- 6.06 लाख
2021- 9.41 लाख
2022- 15.76 लाख
2023-22.23 लाख

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