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उत्तर प्रदेश

12 हजार से ज्यादा कुष्ठरोग जनित दिव्यांगजन को कुष्ठावस्था पेंशन दे रही योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कुष्ठ रोग के कारण दिव्यांग होने वाले लोगों को योगी सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। इसके तहत कुष्ठ रोगों के कारण दिव्यांग होने वाले 12 हजार से अधिक लोगों को प्रदेश सरकार कुष्ठावस्था पेंशन के रूप में 3000 रुपए प्रति माह लाभार्थी की दर से प्रदान किए जा रहे हैं। यही नहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश के तहत संचालित राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत कुष्ठ जनित दिव्यांगता से ग्रसित व्यक्तियों को निशुल्क रिकान्सट्रक्टिव शल्य क्रिया काल में लॉस ऑफ वेजेज के रूप में 12 हजार रुपए भी प्रदान किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह मुख्य रूप से त्वचा, नसों, श्वसन मार्ग और आंखों को प्रभावित करती है। अगर इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो यह स्थाई दिव्यांगता का कारण बन सकती है।

शर्तों पर अनुमन्य है कुष्ठावस्था पेंशन

दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने बताया कि कुष्ठ रोग दिव्यांगजन को 3000 रुपए प्रति माह लाभार्थी की दर से कुष्ठावस्था पेंशन प्रदान की जाती है। कुष्ठावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत वर्तमान में प्रदेश के कुल 12361 कुष्ठरोग जनित दिव्यांगजन को लाभान्वित किया जा रहा है। यही नहीं, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश के तहत राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत कुष्ठ जनित दिव्यांगता से ग्रसित व्यक्तियों को निशुल्क रिकॉन्सट्रक्टिव शल्य क्रिया काल में लॉस ऑफ वेजेज के रूप में 12 हजार रुपए प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग के कारण दिव्यांग हुए ऐसे दिव्यांगजन जिनकी आय गरीबी की रेखा की सीमा के अंदर हो, उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हो, किसी भी आयु वर्ग के हों तथा सरकार द्वारा संचालित अन्य किसी पेंशन का लाभ प्राप्त न कर रहे हों तो उन्हें 3 हजार रुपए प्रति माह प्रति लाभार्थी की दर से कुष्ठावस्था पेंशन अनुमन्य है।

कुष्ठरोग जनित दिव्यांगजनों को मिलती है पेंशन, कुष्ठ रोगियों को नहीं

उन्होंने स्पष्ट किया कि दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा कुष्ठ रोग जनित दिव्यांगजनों को लाभान्वित किया जाता है, कुष्ठ रोगी को नहीं। कुष्ठ रोग के कारण दिव्यांग हुए व्यक्तियों को जीविका के साधन के तौर पर आजीवन कुष्ठावस्था पेंशन प्रदान की जाती है। साथ ही, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों में दिव्यांगजन को निशुल्क यात्रा की सुविधा प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश के तहत संचालित राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम, उत्तर प्रदेश के अंतर्गत प्रदेश में माह जून 2024 तक कुल 9162 कुष्ठ रोगी पंजीकृत हैं, जिनका उपचार चल रहा है। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा कुष्ठ रोगियों का पंजीकरण नहीं किया जाता है। वहीं, कुष्ठ रोग से दिव्यांग हुए मरीजों को मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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