उत्तर प्रदेश
कृषि और सहायक सेक्टरों का कायाकल्प करेगी यूपी एग्रीस परियोजना
लखनऊ| कृषि सेक्टर के कायाकल्प और कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार “कृषि विकास एवं ग्रामीण उद्यमिता सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम” (यूपी एग्रीस) की शुरुआत करने जा रही है। योजनांतर्गत न केवल फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नियोजित प्रयास होगा, बल्कि मूंगफली, मिर्च और हरी मटर जैसी फसलों के क्रॉप क्लस्टर और इनसे जुड़े उद्योगों के नए क्लस्टरों के विकास तथा निर्यात बढ़ोतरी का प्रयास भी होगा। सरकार न केवल किसानों को विभिन्न देशों में भेजकर नई तकनीक का प्रशिक्षण भी दिलाएगी, बल्कि कृषि सेक्टर का वित्त पोषण भी करेगी। विश्व बैंक की सहायता से शुरू हो रही यह परियोजना किसान, कृषक उत्पादक संगठन और कृषि उद्यमियों को हर संभव तकनीकी सहायता तथा इंफ्रास्ट्रक्चर की सुलभता मुहैया कराएगी।
सोमवार को विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि 187.70 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि के साथ उत्तर प्रदेश एक मात्र राज्य है जहां कुल उपलब्ध भूमि के 76% फीसदी पर खेती की जाती है। मैनपॉवर हो या कि शुद्ध जल की उपलब्धता अथवा विविध क्लाइमेटिक ज़ोन, उत्तर प्रदेश में हर वह पोटेंशियल है जो इसे देश के कृषि सेक्टर का पॉवरहाउस बनाता है। उन्होंने कहा कि हमारे पास सिंचित भूमि का कवरेज भी 86% से अधिक है। विगत 07 वर्षों में नियोजित प्रयासों से प्रदेश में विभिन्न फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन अब भी बुंदेलखंड, पूर्वांचल तथा विंध्य क्षेत्र में अब भी बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश को 09 एग्रो क्लाइमेटिक ज़ोन का लाभ प्राप्त होता रहा है। इस नई परियोजना में इन क्लाइमेटिक ज़ोन के आधार पर फसल उत्पादन एवं अन्य कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिमी एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्य की कुल जनसंख्या में 40%-40% की भागीदारी रखते हैं, लेकिन जहाँ पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रदेश के कृषि उत्पादन में 50% का योगदान है वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश का योगदान मात्र 28% है। इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या का 7% बुंदेलखंड में निवास करती है, जबकि कृषि उत्पादन में इस क्षेत्र का योगदान मात्र 5.5% है। परियोजना अंतर्गत हमारा उद्देश्य हो कि चयनित क्षेत्रों में कृषि खाद्य प्रणाली को जलवायु सहिष्णु और व्यावसायिक रूप से विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि जेवर एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब की स्थापना की जाए।कृषि में ऋण प्रवाह को बढ़ाने की आवश्यकता है, साथ ही कृषि एवं प्रसंस्करण में महिला समूहों की भागीदारी भी बढ़ने के प्रयास होने चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना के तहत विशिष्ट उत्पादों के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का विकास, आपूर्ति शृंखला को सुदृढ करने तथा बाजार मानकों के अनुरूप फसल की गुणवत्ता में सुधार के प्रयास भी किये जाने चाहिए।
परियोजना के बारे में मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ अब तक हुई वार्ता के अनुसार यह परियोजना 06 वर्ष की होगी। करीब 4000 करोड़ रुपए की इस परियोजना का सीधा लाभ कृषक, कृषक समूहों, मत्स्य पालकों और कृषि सेक्टर से जुड़ी एमएसएमई इकाइयों को होगा। यूपी एग्रीस परियोजना, पूर्वी उत्तर प्रदेश के 21 तथा बुंदेलखंड के 07 जिलों में संचालित की जाएगी। परियोजना के माध्यम से 10 लाख किसानों को प्रत्यक्ष सहायता मिलेगी, जिनमें से 30% महिला किसान होगी। इसके अतिरिक्त, 1 लाख से अधिक मछुआरे परिवारों को सहायता दी जाएगी। 500 किसानों को सर्वोत्तम कृषि तकनीकी देखने के लिए विदेश भ्रमण भी कराया जाएगा। परियोजना के माध्यम से इन जिलों में प्रति व्यक्ति आय और सीडी रेशियो में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। उन्होंने बताया कि उत्पादकता वृद्धि के लिए उपयुक्त उन्नत प्रजाति के बीजों की समय से उपलब्धता, संसाधनों का समुचित विकास, जलवायु तंत्र का लाभ उठाने तथा खाद्य सुरक्षा में वृद्धि के लिए आवश्यक निवेश किया जाएगा। उन्होंने बताया कि परियोजना के अंतर्गत कृषि क्षेत्र के लिए विस्तृत डिजिटल प्लेटफॉर्म का विकास भी किया जाएगा, साथ ही वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता में सुधार एवं कार्बन बाजार का लाभ किसानों को दिलाने का प्रयास भी होगा।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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