उत्तर प्रदेश
एडवांस्ड इक्विप्मेंट्स से लैस होगा एसजीपीजीआई, योगी सरकार ने शुरू की प्रक्रिया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार ने लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) को एड्वांस्ड मशीनरी व इक्विप्मेंट्स से लैस करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस क्रम में, सीएम योगी की मंशा अनुरूप वर्ष 2024-25 में 26 प्रकार की 280 आधुनिक मशीनों व उपकरणों की स्थापना तथा संचालन के लिए 26.84 करोड़ रुपए का धनावंटन स्वीकृत किया है। इन आधुनिक उपकरणों में पोर्टेबल इको मशीन, हाई डेफिनेशन ड्यूडेनोस्कोप, हाई एंड अल्ट्रासाउंड मशीन तथा रोबोटिक ऑपरेशन थिएटर जैसे विभिन्न मशीनरी व इक्विप्मेंट्स की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही, परिसर में सीसीटीवी कैमरे के इंस्टॉलेशन प्रक्रिया को भी पूर्ण किया जाएगा। इस प्रक्रिया के पूर्ण होने पर लखनऊ समेत पूरे प्रदेश से इलाज कराने आने वाले मरीजों को उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
26 प्रकार की 280 मशीनों उपकरणों की होगी स्थापना
परियोजना के अंतर्गत एनेस्थीसियोलॉजी में ट्रांसक्रेनियल ड्रॉपर, कार्डियोलॉजी में पोर्टेबल ईको मशीन, सेंट्रल रिसर्च फैसिलिटी (कोर लैब) में स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, सीवीटीएस में नाइट्रिक ऑक्साइड इनहेलेशन यूनिट, इमर्जेंसी में एयर-वे कार्ट व इंडोक्राइन सर्जरी में इलेक्ट्रो कॉटेरी मशीन इंस्टॉल की जाएगी। वहीं, एंडोक्राइनोलॉजी में रेफ्रिजरेटेड बेंच टॉप सेंट्रीफ्यूग, डीएनए एस्टीमेशन के लिए फ्लॉरोमीटर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में एचडी ड्यूडेनोस्कोप समेत विभिन्न प्रकार की मशीनें इस्टॉल की जाएंगी। जनरल हॉस्पिटल में एनेस्थीसिया वर्क स्टेशन, हाई प्रेशर सक्शन मशीन, ओटी डबल डोम लाइट व मल्टीपैरा मॉनिटर्स लगाए जाएंगे। इसी प्रकार, हेमैटॉलोजी में थ्री डी बायोप्रिटंर, ऑटोमेटेड न्यूक्लिक एसिड एक्सट्रैक्शन युक्त हेप्टोलॉजी में बेंचटॉप कैपिलरी इलेक्ट्रोफोरेसिस सिस्टम समेत विभिन्न उपकरणों को स्थापित किया जाएगा। रोबोटिक ओटी भी इसमें शामिल हैँ।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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