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उत्तर प्रदेश

राम मंदिर आंदोलन को धार देने वाले ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास की मूर्ति का अनावरण करेंगे सीएम योगी

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अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन को धार देने वाले ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी की स्मृति में बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिगंबर अखाड़ा में उनकी मूर्ति का अनावरण करेंगे। लोकसभा चुनावों के बाद पहली बार दो दिवसीय दौरे पर अयोध्या पहुंचे मुख्यमंत्री योगी अपने दौरे के दूसरे दिन बुधवार को अयोध्या में ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज की समाधि स्थल पर भी जाएंगे और वहां पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद वह दिगंबर अखाड़ा में ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज की मूर्ति का अनावरण एवं भण्डारा कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे। खास बात ये है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐसे मौके पर अयोध्या पहुंचे हैं, जब एक दिन पूर्व ही 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा भूमि पूजन कार्यक्रम का चौथा वर्ष पूर्ण हुआ है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवेद्यनाथके साथ राम मंदिर आंदोलन को परिणाम तक लाने में ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास की मुख्य भूमिका रही है। स्वयं योगी आदित्यनाथ ने भी इस आंदोलन को धार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी और राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा करके उन्होंने अपने गुरु अवेद्यनाथ की अंतिम इच्छा को भी पूर्ण किया।

ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी से गहरा है सीएम योगी का नाता

राम मंदिर न्यास के अध्यक्ष रहे ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी की मृत्यु 1 अगस्त 2003 में हुई थी। ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबंध राम मंदिर आंदोलन से गहरा जुड़ा हुआ है। ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार थे और उन्होंने 1949 से लेकर 1990 तक कई बार राम मंदिर के लिए आंदोलन किया। योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवेद्यनाथ और ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी घनिष्ठ मित्र थे। योगी आदित्यनाथ भी हर साल ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी की पुण्यतिथि पर अयोध्या के दिगंबर अखाड़ा में जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उस गोरखनाथ मठ के महंत भी हैं, जिसमें राम मंदिर आंदोलन की शुरुआती रणनीति बनाई गई थी। जानकारों के मुताबिक गोरखनाथ मठ की तीन पीढ़ियां मंदिर आंदोलन से जुड़ी रही हैं। योगी के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और अवेद्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन दिग्विजय नाथ का इस आंदोलन में खास योगदान रहा है।

राम मंदिर आंदोलन में गोरक्षपीठ की रही है प्रमुख भूमिका

जब भी राम मंदिर को लेकर 500 वर्षों के संघर्षों और आंदोलन का जिक्र होगा उसमें पिछले 100 वर्षों में गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ की भूमिका का जिक्र भी अनिवार्य रूप से होता है। योगी आदित्यनाथ के गुरु गोरक्षनाथ पीठ के महंत रहे अवेद्यनाथ मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरा थे। वो ‘श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति’ के अध्यक्ष थे। महंत अवेद्यनाथ के दिगंबर अखाड़े के ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी के साथ बेहद अच्छे संबंध थे। महंत अवेद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने बाद जब तक यह आंदोलन चला योगी आदित्यनाथ भी उसे धार देते रहे। वो हमेशा कहते रहे हैं कि ‘राम मंदिर चुनावी मुद्दा नहीं, मेरे लिए जीवन का मिशन है।’ यूपी सरकार के प्रमुख के रूप में सीएम योगी अयोध्या में व्यापक परिवर्तन के सूत्रधार हैं। अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण और वहां भगवान की प्राण प्रतिष्ठा उनके गुरु अवेद्यनाथ की आखिरी इच्छा थी, जिसे उन्होंने पूरा करके दिखाया।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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