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उत्तर प्रदेश

राज्य संग्रहालय के 360 डिग्री वर्चुअल टूर की जल्द ही व्यवस्था करेगी योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए प्रयासरत योगी सरकार अब लखनऊ स्थित राज्य संग्रहालय के 360 वर्चुअल टूर की व्यवस्था करने जा रही है। ‘म्यूजियम ऐट फिंगरटिप्स’ की यह परियोजना लोगों को उनके गैजेट्स से ही राज्य संग्रहालय के तमाम आर्टिफैक्ट्स, बिल्डिंग फ्लोर्स तथा परिसर के अन्य हाइलाइट्स को देखने में मदद मिलेगी। इस परियोजना को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय, संस्कृति विभाग ने उत्तर प्रदेश सिस्टम डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (यूपीडेस्को) को कार्य सौंपा है। यूपीडेस्को द्वारा इस कार्य को शॉर्ट टर्म नोटिस के आधार पर पहले से इंपैनल्ड कंपनियों द्वारा करवाया जाएगा और सॉफ्टवेयर निर्माण समेत विभिन्न प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी के निर्धारण व कार्यावंटन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस प्रक्रिया को एजेंसी निर्धारण व कार्यावंटन के बाद 90 दिनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। उल्लेखनीय है कि 360 डिग्री वर्चुअल म्यूजियम टूर आपके अपने स्थान पर आराम से म्यूजियम को एक्सप्लोर करने का एक अविश्वसनीय तरीका है। ये टूर आमतौर पर संग्रहालय के हॉल और गैलरी में घूमने के अनुभव को अनुकरण करने के लिए पैनोरमिक इमेज का उपयोग करते हैं।

पैनोरैमिक व 360 डिग्री कैप्चर की प्रक्रिया निभाएगी महत्वपूर्ण भूमिका

परियोजना के अंतर्गत, वर्चुअल टूर के दौरान अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी भी ऐतिहासिक कलाकृति पर क्लिक या टैप करके उन्हें, नज़दीक से देखने के लिए ज़ूम इन कर सकते हैं और कभी-कभी विवरण बॉक्स जैसी अतिरिक्त मल्टीमीडिया सामग्री तक भी पहुँच सकते हैं। प्रस्तावित 360 डिग्री वर्चुअल म्यूजियम टूर का उद्देश्य आगंतुकों के लिए एक इंटरैक्टिव और विज़ुअल रूप से आकर्षक अनुभव प्रदान करना है, जिससे वे अपने कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस की सुविधा से लखनऊ के राज्य संग्रहालय के विभिन्न तथ्यों का आवलोकन कर सकें। यह तकनीक उपयोगकर्ताओं को विभिन्न प्रदर्शनों के माध्यम से सहजता से नेविगेट करने, कलाकृतियों पर ज़ूम इन करने और संग्रहालय को गतिशील और इमर्सिव तरीके से अनुभव करने में सक्षम बनाएगी। परियोजना का लक्ष्य एक व्यापक आभासी अनुभव प्रदान करना है जो राज्य संग्रहालय, लखनऊ की भौतिक यात्रा को प्रतिबिंबित करता है। इससे दुनिया भर के लोग अपने घरों में आराम से इसकी दीर्घाओं, प्रदर्शनियों और ऐतिहासिक कलाकृतियों का पता लगा सकें।

यूजर फ्रेंडली इंटरफेस किया जाएगा विकसित

इस परियोजना के अंतर्गत विविध दर्शकों के लिए कला, इतिहास और संस्कृति से जुड़ने के लिए एक सुलभ और शैक्षिक मंच प्रदान किया जाएगा। संग्रहालय की ऑनलाइन उपस्थिति और वैश्विक पहुंच को बढ़ावा भी मिलेगा और प्रस्तावित वर्चुअल टूर की प्रक्रिया को यूजर फ्रेंडली इंटरफेस के हिसाब से विकसित किया जाएगा। वर्चुअल टूर सॉफ़्टवेयर पैनोरमिक छवियों और वीडियो के माध्यम से कार्य करता है और फ़्लोर प्लान, हॉटस्पॉट और मल्टीमीडिया एकीकरण जैसी सुविधाएँ भी इसके अंतर्गत आएंगी। इस कार्य को पूरा करने के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन 360-डिग्री फ़ोटोग्राफ़ी और वीडियोग्राफ़ी का उपयोग किया जाएगा। उपयोगकर्ताओं को वर्चुअल रूप से घूमने और विभिन्न कोणों से संग्रहालय को देखने में मदद मिलेगी। यूजर फ्रेंडली इंटरफेस के निर्माण के जरिए विजिटर्स को विभिन्न में आसानी से नेविगेट करने की अनुमति देता है। क्लिक-एंड-ड्रैग मूवमेंट, आर्टिफ़ैक्ट इनफॉर्मेशन प्वॉइंट कलाकृतियों के विस्तृत विवरण, ऐतिहासिक संदर्भ और वीडियो या ऑडियो क्लिप जैसी मल्टीमीडिया सामग्री प्रदान करेगा। इसके साथ ही, वर्चुअल टूर डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट और स्मार्टफोन सहित विभिन्न डिवाइस से एक्सेस करने योग्य हो इसको लेकर भी परियोजना के अंतर्गत कार्य किया जाएगा।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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