उत्तर प्रदेश
दीपावली से पहले पूर्वांचल के खेल प्रेमियों को बड़ी सौगात
वाराणसी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में पूर्वांचल के खेल प्रेमियों को दीपावली से पहले बड़ी सौगात देने जा रहे हैं। 20 अक्टूबर को उनके वाराणसी के दौरे में सिगरा स्थित डॉ. संपूर्णानंद स्टेडियम में नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्टेडियम के फेज-2 व फेज-3 का उद्घाटन प्रस्तावित है। पीएम 2023 में फेज-1 का उद्घाटन कर चुके हैं। स्टेडियम निर्माण से 20 से अधिक खेलों के खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म पर प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा। डॉ. संपूर्णानंद सिगरा स्पोर्ट्स स्टेडियम का पुनर्विकास 325.65 करोड़ की लागत से हुआ है। स्टेडियम की इमारत ग्रिहा के मानक के अनुसार बनाई गई है।
मोदी-योगी के नेतृत्व में खेल का बेहतर हब बन रहा यूपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश खेल का हब बन रहा है। खेल के मूलभूत ढांचे को सुधारने के साथ खिलाड़ियों को अच्छा माहौल भी मिला है। इससे अंतरराष्ट्रीय मैचों में पदकों की संख्या भी बढ़ी है। इस स्टेडियम के निर्माण से पूर्वांचल की मिट्टी से अब और अंतरराष्ट्रीय खिलाडी निकलेंगे। काशी में मल्टी स्पोर्ट्स, मल्टी लेवल आधुनिक इनडोर स्टेडियम का निर्माण कराया गया है। स्मार्ट सिटी के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. डी वासुदेवन ने बताया कि तीन फेज में डॉ. संपूर्णानंद सिगरा स्पोर्ट्स स्टेडियम का पुनर्विकास 325.65 करोड़ से अधिक की लागत से हुआ है। स्टेडियम में इनडोर और आउटडोर दोनों सुविधा रहेगी।
109.36 करोड़ रुपये से हुआ था पहले चरण का निर्माण
पूर्वांचल के खिलाड़ियों को अब वाराणसी में ही अंतरराष्ट्रीय मैच देखने को मिलेंगे। स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में जिम, स्पा, योगा सेंटर, पूल बिलियर्ड्स और कैफेटेरिया के साथ बैंक्वेट हॉल की भी सुविधा है। मल्टी स्पोर्ट्स, मल्टी लेवल आधुनिक इनडोर स्टेडियम में मानकों को भी ध्यान में रखकर बनाया गया है। यहां पैरा स्पोर्ट्स प्रतियोगिताएं भी हो सकेंगी। प्रथम चरण का निर्माण लगभग 109.36 करोड़ से हुआ था। दूसरे और तीसरे चरण का निर्माण लगभग 216.29 करोड़ में हुआ।
सिगरा स्पोर्ट्स स्टेडियम में फेज 1 ,2 और 3 में होने वाले खेल
फेज -1, जी प्लस दो मंज़िल
-बैडमिंटन-10 कोर्ट, टेबल टेनिस, जिम्नास्टिक, कबड्डी, स्विमिंग पूल -ओलंपिक साइज,प्रैक्टिस/ वार्म अप पूल, बोर्ड गेम्स -चेस, कैरम, स्क्वैश के लिए -4 कोर्ट, बिलियर्ड्स, एरोबिक्स, क्रॉस ट्रेनिंग, कार्डियो जोन, -रिकवरी जोन, स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग जोन
फेज-2 -जी प्लस 2
(शूटिंग स्पोर्ट्स) 10 मीटर 50 बे रेंज, 25 मीटर 25 बे रेंज, जी प्लस 3- कॉम्बैट स्पोर्ट्स में बॉक्सिंग ,जूडो ,कराटे,ताइक्वांडो,वेट लिफ्टिंग ,वुशु ,किक, स्पोर्ट्स साइंस सेंटर, फेनसिंग, बॉक्सिंग, रेसलिंग, -जी प्लस वन फील्ड व्यू चेंजिंग रूम
फेज-3
क्रिकेट प्रैक्टिस फील्ड, वॉलीबॉल, फुटबाल, बास्केटबॉल, एथलेटिक ट्रैक 8 बे 400 मीटर, टेनिस कोर्ट, एम्फी थिएटर, वॉकिंग कम जॉगिंग ट्रैक, हॉस्टल बिल्डिंग (जी प्लस 4)-180 बेड, कोच के रहने की जगह
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खिलाड़ियों को ‘पदक लाओ पद पाओ’ प्रेरित करते हैं। योगी सरकार पदक पाने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कार स्वरूप अच्छी धनराशि भी दे रही है। अब अन्य प्रदेश भी खेलों में योगी सरकार का उदाहरण दे रहे हैं। सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश में खेल का अनुकूल माहौल देते हुए यहां सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी की है। इससे गरीब खिलाड़ियों का भी हौसला बढ़ रहा है। खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मानक के उपकरणों व मैदान पर खेलने का अवसर मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय मैचों में इसका फायदा भी मिलेगा। वाराणसी पूर्वांचल का केंद्र है। यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम पूर्वांचल के लिए वरदान साबित होगा।
ललित उपाध्याय, हॉकी ओलंपियन व डीएसपी
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
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