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उत्तर प्रदेश

प्रॉपर्टी मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम के जरिए निवेशकों की सहूलियतों में इजाफा करेगी योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश को उद्यम प्रदेश बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार निवेशकों की सहूलियतों में इजाफा करने की दिशा में व्यापक कदम उठा रही है। इस क्रम में, निवेश मित्र एक बड़ा माध्यम बन रहा है, वहीं प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक प्राधिकरणों ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इसमें उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा), यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा), नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) व ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण प्रमुख हैं। सीएम योगी के विजन अनुसार, प्रदेश के औद्योगिक प्राधिकरणों में प्रॉपर्टी मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम को लागू करने और उसके जरिए निवेशकों से चरणबद्ध संवाद की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की योजना पर कार्य हो रहा है। नोएडा द्वारा भी इस दिशा में प्रॉपर्टी मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (पीएमआईएस) को लागू करने, उसके फ्रेमवर्क को विकसित व सुदृढ़ करने और सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम के रूप में कार्यरत निवेश मित्र पोर्ट के साथ इंटीग्रेट करके लैंड बैंक समेत विभिन्न प्रकार की जानकारियां तक एक्सेस को बढ़ाया जाएगा।

कई सहूलियतों को उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त करेगा पीआईएमएस

सीएम योगी के विजन अनुसार तैयार की गई कार्ययोजना के अनुसार, प्रक्रिया पूरी होने पर हाउसिंग, रेजिडेंशियल, इंडस्ट्रियल, इंस्टीट्यूशनल, कॉमर्शियल व ग्रुप हाउसिंग स्कीमों के लिए आवेदन व संचालन गतिविधियों की सीधी मॉनिटरिंग हो सकेगी। वहीं, सीआईसी, बिल्डिंग मैप अप्रूवल, एक्सटेंशन लेटर तथा ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट समेत विभिन्न दस्तावाजों के जारी होने और उनकी निगरानी को ट्रैक करने का फ्रेमवर्क भी प्रक्रिया के जरिए तैयार हो जाएगा। एक ओर, निवेश मित्र से इंटीग्रेट होने के साथ ही नोएडा प्राधिकरण के लैंड बैंक समेत विभिन्न जानकारियां निवेश मित्र से एक्सेस हो सकेंगी, वहीं इससे नोएडा प्राधिकरण में भी चरणबद्ध तरीके से परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति के बारे में हर अपडेट निवेशकों को पता लग सकेगी। पीएमआईएस के जरिए निवेशकों के हर अप्रूवल व क्वेरी की जानकारी उनके द्वारा रजिस्टर्ड एसएमएस, ई-मेल व व्हॉट्सऐप पर उपलब्ध कराई जाएगी। यह न केवल कार्यप्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाला कदम होगा बल्कि इससे निवेशकों को भी सरकारी कार्यप्रणाली सीधा संवाद करती प्रतीत होगी।

96 हजार प्रॉपर्टी का विस्तृत लेखा-जोखा होगा प्रणाली के जरिए उपलब्ध

प्रक्रिया के अंतर्गत, नोएडा की लगभग 96 हजार प्रॉपर्टी का विस्तृत लेखा-जोखा नोएडा प्राधिकरण द्वारा विकसित कराए जा रहे वेब बेस्ड एप्लीकेशन पैकेज पर उपलब्ध होगा। इसके देखरेख को सुनिश्चित करने के लिए वेब बेस्ड मॉड्यूल का भी विकास किया जाएगा। इसके साथ ही, एप्लिकेशन डाटा प्रोसेसिंग (ऑनलाइन, ऑफलाइन), नई प्रॉपर्टी के पंजीयन व डाटा प्रोसेसिंग, अलॉटमेंट लेटर समेत अलॉटी व प्रॉपर्टी से जुड़े विवरणों का संकलन और समयबद्ध व चरणबद्ध तरीके से विभिन्न सरकारी प्रपत्रों को जारी करने की अद्यतन स्थिति, ऑनलाइन पेमेंट के लिए बैंक गेटवे के साथ इंटीग्रेशन जैसी प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि यूपीसीडा द्वारा बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान (बीआरएपी) को लागू करने पर काम हो रहा है। यह डीटेल्ड मैकेनिज्म की तरह कार्य करेगा जो यूपीसीडा के ऑफिशियल्स की परफॉर्मेंस में इजाफा करने, ऑनलाइन सर्विसेस के मॉडिफिकेशन व निवेश मित्र के साथ उसके इंटीग्रेशन का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसके साथ ही, इंडस्ट्रियल पार्क रेटिंग सिस्टम (आईपीआरएस रैंकिंग) का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। वहीं, निवेश मित्र पोर्टल को भी बिजनेस यूजर्स के लिए यूनिफाइड जी2बी इंटरफेस, माइक्रो सर्विस आर्किटेक्चर, इंटीग्रेशन व एफिशिएंट कंटेंट मैनेजमेंट प्रणाली से युक्त करने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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