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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ- 2025: महाकुंभ में श्री आदि शंकर विमान मंडपम् होगा आकर्षण का मुख्य केंद्र

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प्रयागराज। महाकुंभ-2025 में संगम किनारे बना दक्षिण भारतीय शैली का श्री आदि शंकर विमान मंडपम् मंदिर श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा। स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्व मंदिर में विग्रहों के दर्शनों के लिए आ चुके हैं। महाकुंभ के लिए योगी सरकार मंदिर के आसपास विकास कार्य करा रही है। मंदिर की आभा ऐसी है कि वो श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच लेती है।

मंदिर के प्रबंधक रमणी शास्त्री के अनुसार कांचिकामकोटि के 69वें पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने अपने गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की इच्छापूर्ति के लिए श्री आदि शंकर विमान मंडपम् का निर्माण कराया। गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने वर्ष 1934 में प्रयाग में चातुर्मास किया था। उन दिनों वो दारागंज के आश्रम में रुके थे। प्रतिदिन पैदल संगम स्नान को आते थे। उस दौरान बांध के पास उन्हें दो पीपल के वृक्षों के बीच खाली स्थान नजर आया। गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया और स्वयं के तपोबल से यह साबित किया कि इसी स्थान पर आदि शंकराचार्य और कुमारिल भट्ट के बीच संवाद हुआ था। बाद में यहीं पर कुमारिल भट्ट ने तुषाग्नि में आत्मदाह किया था। रमणी शास्त्री ने बताया कि इसी स्थान पर गुरु चंद्रशेखरेंद्र ने मंदिर बनाने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसे शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने पूर्ण किया।

17 वर्ष लगे मंदिर निर्माण में

श्री आदि शंकर विमान मंडपम् की नींव वर्ष 1969 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल बी. गोपाल रेड्डी ने रखी थी। तब इंजीनियर बी. सोमो सुंदरम् और सी.एस. रामचंद्र ने मंदिर का नक्शा तैयार किया था। मंदिर प्रबंधन के साथ उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम ने भी निर्माण में सहयोग दिया था। जिन 16 पिलर्स पर मंदिर टिका है, उनका निर्माण उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के तत्कालीन असिस्टेंट इंजीनियर कृष्ण मुरारी दुबे की देख-रेख में कराया गया था। 17 मार्च 1986 को मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। श्री आदि शंकर विमान मंडपम् में विग्रह और निर्माण में प्रयोग किए गए पत्थर दक्षिण भारत से लाए गए हैं। मंदिर द्रविड़ियन आर्किटेक्चर का नायाब उदाहरण है।

130 फीट ऊंचा है मंदिर

130 फीट ऊंचे इस मंदिर में श्री आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की गई है। देवी कामाक्षी और 51 शक्तिपीठ के अलावा तिरुपति बालाजी और सहस्र योग लिंग के साथ 108 शिवलिंग मंदिर में स्थापित हैं। गणेश जी का मंदिर भी है। मंदिर प्रातः 6 बजे से दोपहर 1 बजे और सायं 4 से रात्रि 8 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। मंदिर के ऊपरी तलों से संगम का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। इन दिनों भी श्री आदि शंकर विमान मंडपम् में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं। महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु श्री आदि शंकर विमान मंडपम् में आएंगे और विग्रहों के दर्शन करेंगे।

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उत्तर प्रदेश

भगवान रामलला के मंदिर में मुख्यमंत्री ने जलाए श्रद्धा के दीप

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अयोध्या|  22 जनवरी 2024 को रामलला 500 वर्ष बाद अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान हुए। इसके बाद 30 अक्टूबर को पहला दीपोत्सव हुआ, जब लला स्वयं के महलों में विराजमान होकर अपनी नगरी को अपलक निहारते रहे। अयोध्या का सौंदर्य देख रामलला खुद भी भाव-विह्वल हो उठे। योगी सरकार के आठवें दीपोत्सव में राममंदिर की अनुपम छटा हर किसी को आह्लादित कर रही थी।

रामलला की मौजूदगी में बुधवार को पहला दीपोत्सव मनाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार शाम श्रीराम मंदिर भी पहुंचे। मुख्यमंत्री ने सर्वप्रथम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का दर्शन किया, फिर उनके चरणों में श्रद्धा निवेदित की। इसके पश्चात मुख्यमंत्री ने प्रभु के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किए। बाहर भी मुख्यमंत्री ने पांच-पांच दीप जलाए। वहीं मंदिर प्रांगण में हजारों दीप प्रज्ज्वलित किए गए।

श्रीराम मंदिर में दीप प्रज्ज्वलन के दौरान केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव संजय प्रसाद, श्रीराम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी अनिल मिश्र, गोपाल जी, विनोद जी आदि भी रहे।

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