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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ में विश्व को चौंकाने जा रहा देश का इकलौता बिना मूर्ति वाला शक्तिपीठ

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प्रयागराज| प्रयागराज का आदिकालीन अलोपशंकरी का सिद्धपीठ श्रद्धा एवं आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है। इस महाकुंभ में यह सिद्धपीठ भी आस्था के प्रमुख केंद्रों में एक होगा। अलोप शंकरी मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है, जहां माता की कोई मूर्ति नहीं है। इसीलिए इसके पुनर्निर्माण के लिए सरकार की ओर से 7 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा रही है। वर्तमान में करीब 55 फ़ीसदी से अधिक निर्माण कार्य पूरे हो चुके हैं। 15 दिसंबर तक इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में यहां के धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण का कार्य चौबीसों घंटे अनवरत चल रहा है। मुख्यमंत्री की मंशा है कि देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालु महाकुंभ की पौराणिक मान्यता के अनुरूप दुनिया के सबसे भव्य सांस्कृतिक आयोजन के उत्सव के भागीदार बनें। योगी सरकार ने इसके लिए करीब साढ़े छह हजार करोड़ रुपए की 500 से अधिक परियोजनाओं को साकार रूप देना शुरू कर दिया है।

दारागंज के पश्चिम में स्थित है मंदिर

प्रयागराज में दारागंज के पश्चिम अलोपीबाग में देवी का मन्दिर है। अलोपशंकरी देवी के इस मन्दिर के गर्भगृह के बीचोबीच एक रंगीन कपड़ा लटकता रहता है, जिसके नीचे एक खटोली बंधी रहती है। भक्त यहीं पर आकर माला-फूल चढ़ाकर दर्शन करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि सती की एक अंगुली यहां पर गिरी थी। मन्दिर में एक चबूतरा है, जिसमें एक कुण्ड है। इस कुण्ड के ऊपर ही खटोली रहती है।

मंदिर के बाहर गणेश, शिव, कार्तिकेय, हनुमान की प्रतिमा

माता के मंदिर के बाहर गणेश, शिव, कार्तिकेय, हनुमान जी की मूर्तियां लगाई गई हैं। मन्दिर के पास में ही शंकराचार्य की पीठ भी है। यहां लगने वाला नवरात्रि का मेला काफी प्रसिद्ध है। देश विदेश से लोग यहां आकर दर्शन करते हैं। साथ ही माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

सभी धर्मों के लोग करते हैं दर्शन

स्थानीय लोगों बीच मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से व्यक्ति का दुःख दूर हो जाता है। लोग बताते हैं कि यहां की सबसे खास बात ये है कि सभी धर्मों के लोग इस मंदिर में आते हैं। कहा जाता है कि बच्चों की कई बीमारियां जब डाक्टर भी नहीं ठीक कर पाते तब लोग इस मंदिर में आते हैं। मंदिर के कुंड के पानी से ही बीमारियां ठीक हो जाती हैं।

पौराणिक मान्यता

पुराणों के अनुसार, यहां मां सती के दाहिने हाथ का पंजा एक कुंड में गिरकर लुप्त हो गया था। जिसके बाद इस मंदिर का नाम देवी अलोपशंकरी रखा गया है। यह मंदिर मां शक्ति के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है।

अंग्रेजी और चीनी लेखकों ने भी अपनी किताबों में बताया महाकुंभ का महत्व

सरस्वती पत्रिका के संपादक अनुपम परिहार के मुताबिक प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक मार्क ट्वैन ने 1896 में जब यहां की यात्रा की तो प्रयागराज के धार्मिक उत्सव देखकर बड़ा आश्चर्यचकित हुआ। उन्होंने अपनी एक पुस्तक में यहां का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि सौ राज्यों, हजारों बोलियों तथा लाखों देवों का राज्य है ये। यह मानवीय बोली की जन्मस्थली है। भाषाओं की जननी है। यह एक ऐसा राज्य है जिसे एक बार देख लेने के बाद कहीं और जाने की जरूरत नहीं। सातवीं शताब्दी के चीनी यात्री व्हेनसांग ने भी अपनी प्रयागराज की यात्रा को लेकर महाकुंभ का अद्भुत वर्णन किया है।

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IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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