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उत्तर प्रदेश

विधानसभा में बोले सीएम योगी- भगवान विष्‍णु का दसवां अवतार संभल में ही होगा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि संभल में जैसे ही आपके खटाखट की असलियत सामने आई, जनता ने कहा सफाचट। उपचुनाव में 9 में से 7 पर भारतीय जनता पार्टी और एनडीए गठबंधन जीता है। यही नहीं, सीसामऊ और करहल को याद करिए। 2022 में समाजवादी पार्टी ने करहल में करीब 70,000 वोटों से जीत दर्ज की थी, इस बार वह मात्र 13-14,000 तक आ गई है। वह भी ‘चच्चू’ थोड़ी कृपा कर लिए, नहीं तो वहां भी सफाचट ही था, लेकिन, चिंता मत करिए, अगली बार होगा। सीसामऊ में भी बाल-बाल बच गए। कुंदरकी में लोगों को अपनी जड़ें याद आने लग गई हैं। डिजिटल मीडिया में थोड़ा अवलोकन करिए और देखिए वहां पर लोग चिल्ला-चिल्ला कर बोल रहे हैं, इन विदेशियों से पिंड छुड़ाना है। सबको अपनी जड़ें याद आने लग गई हैं। मुझे लगता है कि जिस दिन इकबाल महबूब जी को भी अपनी जड़ें याद आएंगी तो वह भी यही बात बोलेंगे। आप सभी से कहूंगा कि एक बार बाबरनामा को जरूर पढ़ें।

सीएम योगी ने पूर्व में प्रदेश में हुए दंगों की याद दिलाते हुए कहा कि दंगों के कारण प्रदेश का माहौल लगातार खराब हुआ। आज प्रदेश में सुरक्षा का माहौल है, कानून व्यवस्था की जो स्थिति पैदा हुई है, उसमें लोगों को सुरक्षा पर, कानून व्यवस्था पर विश्वास है। उसी का परिणाम है कि 40 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश को प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि 2017 से लेकर अब तक यूपी में सांप्रदायिक दंगों में 97 से लेकर 99 फीसदी तक कमी आई है। जिसको आप वास्‍तव में दंगे कहते हैं कि वह उत्‍तर प्रदेश में 2017 के बाद से नहीं हुए। 2017 से पहले 815 सांप्रदायिक दंगे हुए और 192 लोगों की इसमें मौत हुई। 2007 से 2011 के बीच 616 हिंसा की घटनाएं हुईं और 120 लोगों की मौत हुई।

योगी ने कहा कि आप पश्चिम उत्तर प्रदेश में आप जाएंगे सामान्य संबोधन में राम-राम ही बोलते हैं तो जय श्रीराम कहां से साम्प्रदायिक हो गया। हमारे यहां जगते हैं, मिलते हैं तो राम-राम बोलते हैं। अगर जय श्रीराम किसी ने बोल ही दिया तो इसमें आप नीयत समझ सकते हैं। ये चिढ़ाने वाला नहीं है। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने कुंदरकी की जीत को वोट की लूट बताया। आपके प्रत्याशी की तो जमानत जब्त हो गई थी। क्या ये सच नहीं है कि देशी और विदेशी मुसलमानों की आपसी भिड़ंत है जिस पर आप पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। सूर्य को चांद को और सत्य को बहुत देर तक कोई छिपा नहीं सकता है।

योगी ने कहा कि पुराण भी कहता है कि भगवान विष्‍णु का दसवां अवतार संभल में ही होगा। 19 नवंबर को भी सर्वे हुआ। 21 नवंबर को भी हुआ। 24 नवंबर को भी सर्वे का कार्य चल रहा था। ये लगातार सर्वे का काम चल रहा था। पहले दो दिन कोई शांति भंग नहीं हुई। 23 नवंबर को जुमे की नमाज के पहले और बाद में जिस प्रकार की तकरीरें दी गईं। उनके बाद माहौल खराब हुआ। हमारी सरकार ने तो पहले ही कहा कि हम ज्युडीशियल कमीशन बनाएंगे। दूध का दूध और पानी का पानी सबके सामने आएगा।

 

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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