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उत्तर प्रदेश

इंडस्ट्रियल कॉपरेशन, टूरिज्म एंड वोकेशनल एजुकेशन के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करेंगे यूपी और जापान का यामानाशी प्रान्त

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लखनऊ| उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज अपने सरकारी आवास पर जापान के यामानाशी प्रांत के माननीय राज्यपाल श्री कोटारो नागासाकी के साथ आए प्रतिनिधि मंडल का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और जापान के संबंध सदियों से मैत्रीपूर्ण रहे हैं। दोनों देशों के मध्य एक सहस्त्राब्दी से अधिक समय से रणनीतिक, सांस्कृतिक व वैश्विक सहभागिता की जड़ें जुड़ीं हैं। आज जब दुनिया के तमाम देश युद्ध में हैं, तब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भगवान बुद्ध के संदेश के माध्यम से दुनिया को शांति-सौहार्द व एकता के सूत्र में बांध रहे हैं। भारत और जापान बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश हैं। समान सामाजिक-आर्थिक विकास की प्राथमिकताओं के साथ लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष एवं बहुलवादी प्रणालियों के साथ-साथ विश्व स्तरीय सामरिक दृष्टिकोण भी दोनों देशों के समान हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. शिंजो आबे के प्रगाढ़ संबंधों ने भी भारत-जापान के राजनीतिक, आर्थिक और व्यावसायिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। राज्य सरकार जापानी कंपनियों के साथ सहयोग करने की इच्छुक है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 के पार्टनर कंट्री के रूप में भी जापान का बड़ा सहयोग मिला।

मुख्यमंत्री जी के समक्ष आज सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश सरकार और यामानाशी प्रीफेक्चर (जापान) के मध्य इंडस्ट्रियल कॉपरेशन, टूरिज्म एंड वोकेशनल एजुकेशन के क्षेत्र में एमओयू संपन्न हुआ। प्रदेश सरकार की ओर से मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह और यामानाशी प्रांत के गवर्नरस पॉलिसी प्लानिंग ब्यूरो के महानिदेशक श्री जुनीची इशिदेरा ने एमओयू का आदान प्रदान किया।

इस दौरान मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यूपी व जापान के साथ हुआ एमओयू साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर मानवता के लिए महत्वपूर्ण क्वाड देशों के साथ मिलकर कार्य करने के प्रधानमंत्री जी की प्रतिबद्धता का परिणाम है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कार्यरत 07 प्रमुख कंपनियों (मित्सुई टेक्नोलॉजीज, होंडा मोटर्स, यामाहा मोटर्स, डेंसो, टोयोड्रंक, निसिन एबीसी लॉजिस्टिक्स, सेकिसुई डी.एल.जे.एम. मोल्डिंग) सहित 1,400 से अधिक जापानी कंपनियां भारत में संचालित हैं। भारत एवं जापान के मध्य आर्थिक सहयोग अत्यंत समृद्ध हैं। दोनों देशों के मध्य वित्तीय वर्ष 2023-24 में 22.854 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ है। इस अवधि में जापान से भारत को 17.69 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया गया तथा 5.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात किया गया। यू.पी.जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है – अनलिमिटेड पोटेंशियल का स्टेट। आज इस MoU के बाद से भारत और जापान के सम्बन्धों को एक नई मजबूती मिलने जा रही है। अनलिमिटेड पोटेंशियल वाले इस राज्य में आप को सुखद अनुभव होगा। जापान से पधारे आप सभी को पोटेंशियल का पूरा लाभ मिलेगा।

सीएम योगी ने कहा कि देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश, आकार में भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। यहां निवासरत 25 करोड़ नागरिक इसे भारत का सबसे बड़ा श्रम एवं उपभोक्ता बाजार बनाते हैं। विगत 08 वर्षों में हमने प्रदेश में निवेश के लिए बेहतरीन माहौल तैयार किया है। रेल, रोड, एयर और वॉटर वेज की बेहतरीन कनेक्टिविटी है। जिससे उद्योगों को वैश्विक एवं घरेलू बाजार तक पहुंच बनाने में लॉजिस्टिक्स की सुलभता में वृद्धि होगी। हमारे यहां भारत का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क (16,000 किमी से अधिक) है तथा वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर – 8.5 प्रतिशत एवं ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर 57 प्रतिशत का अधिकांश क्षेत्र भी है। दोनों फ्रेट कॉरिडोर का जंक्शन उत्तर प्रदेश के दादरी (ग्रेटर नोएडा) में हैं। देश के सबसे विस्तृत राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में से एक होने के नाते, उत्तर प्रदेश ने स्वयं को 13 वर्तमान एवं आगामी एक्सप्रेसवेज़ के साथ ‘एक्सप्रेसवे राज्य’ के रूप में स्थापित किया है (1225 किलोमीटर के) 06 एक्सप्रेसवे पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 07 विकास के विभिन्न चरणों में हैं ये एक्सप्रेसवे पूरे राज्य में मैन्युफैक्चरिंग केंद्रों को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं।

मुख्यमंत्री ने जापान के डिलीगेशन को अवगत कराया कि एक्सप्रेस-वे प्रदेश के रूप में उत्तर प्रदेश को नई पहचान मिल रही है। गंगा एक्सप्रेसवे बनने के बाद देश के कुल एक्सप्रेसवे में 55% भागीदारी उत्तर प्रदेश की होगी। वर्तमान में कुल 1130 किमी लम्बाई के 05 एक्सप्रेस-वे संचालित हैं।

मेरठ से प्रयागराज के मध्य 594 किमी. के गंगा एक्सप्रेस-वे सहित 720 किमी लम्बाई के 03 एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन हैं। अयोध्या, लखनऊ, वाराणसी एवं कुशीनगर में मौजूदा तथा जेवर में निर्माणाधीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के विकसित होने से उत्तर प्रदेश 5 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला देश का एकमात्र राज्य बनने जा रहा है। वर्तमान में 16 घरेलू और 04 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे संचालित हैं। जेवर में एशिया का सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि यामानाशी प्रीफेक्चर और उत्तर प्रदेश दोनों में एक बड़ी साम्यता है। दोनों ही लैंडलॉक्ड स्टेट हैं, दोनों की अपनी सीमाएं हैं। उत्तर प्रदेश ने अपनी इस समस्या को एक चुनौती के रूप में लिया है और अब हमने ड्राई पोर्ट्स को विकसित किया है। इनलैंड वॉटरवेज को एक्टिव किया है, यूपी के वाराणसी से वेस्ट बंगाल के हल्दिया तक देश का पहला वॉटर वेज प्रारम्भ हो चुका है।

सीएम ने बताया कि वाराणसी में 100 एकड़ में भारत का पहला फ्रेट विलेज’ विकसित हो रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के निर्यात केंद्रों को पूर्वी भारत के बंदरगाहों से जोड़ने वाला यह गांव इनबाउंड व आउटबाउंड कार्गो के लिए ट्रांस- शिपमेंट हब के रूप में कार्य करेगा। भारत की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक होने के नाते, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 9.2 प्रतिशत का योगदान करता है। उत्तर प्रदेश भारत के फूड- बास्केट के रूप में जाना जाता है। राज्य में कृषि एवं खाद्य- प्रसंस्करण तथा डेयरी सेक्टर में अपार अवसर हैं। उत्तर प्रदेश भारत में खाद्यान्न, दूध तथा गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक है। ग्रीन हाइड्रोजन नीति प्रख्यापित की गई है। ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में 2.73 लाख करोड़ के निवेश के 20 एमओयू हस्ताक्षरित किये गये हैं। अयोध्या एवं अन्य 17 नगर निगमों का सोलर सिटी के रूप में विकास किया जा रहा है। जापान और भारत के बीच शताब्दियों से गहरे सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। भगवान गौतम बुद्ध के पिता महराज शुद्धोधन की राजधानी कपिलवस्तु, पहला उपदेश स्थल सारनाथ, सर्वाधिक चातुर्मास प्रवास स्थल श्रावस्ती, महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर सहित भगवान बुद्ध के अनेक स्मृतियां यहां संजोयी गई हैं। भगवान बुद्ध के इस स्थलों को आपस मे जोड़ते हुए हमने बौद्ध सर्किट डेवलप किया है। हमें प्रसन्नता होगी यदि आप सभी स्वयं एक बार इन स्थलों का विजिट करें।

सीएम ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी / आईटीईएस सेक्टर में उत्तर प्रदेश को भारत के कुल मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में लगभग 45 प्रतिशत योगदान करने का गौरव प्राप्त है। यहां भारत के मोबाइल कंपोनेंट्स के लगभग 55 प्रतिशत निर्माता हैं। भारत के लगभग 26 प्रतिशत मोबाइल निर्माता उत्तर प्रदेश में क्रियाशील हैं तथा 200 से अधिक ईएसडीएम कंपनियां प्रदेश में स्थित हैं। राज्य सरकार सेमी-कंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग तथा फैब-यूनिट के लिए क्लस्टर विकसित कर रही है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश तेजी से भारत में डाटा सेंटर के मुख्य हब के रूप में उभर रहा है।

स्टार्टअप इंडिया रैंकिंग (2021) के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा राज्य को ‘लीडर स्टेट्स’ की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप इंडिया’ कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 7,600 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत किए गए हैं। 06 सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस डेवलप किये जा रहे हैं। भारत में घोषित 2- डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर में से एक उत्तर प्रदेश में विकसित किया जा रहा है। तेजी से विकसित होते हुए स्टार्टअप इकोसिस्टम के साथ, उत्तर प्रदेश में एंजेल इन्वेस्टर्स एवं वेंचर कैपिटलिस्ट्स के लिए डिफेंस एवं एयरोस्पेस वैल्यू- चेन में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए असीम अवसर उपलब्ध हैं। जापान को इसका लाभ उठाना चाहिए। इससे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर), अनुसंधान एवं विकास एवं इनोवेशन को बढ़ावा मिलता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यमुना एक्सप्रेसवे के निकट राज्य का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क का शुभारंभ किया गया है। इसी प्रकार यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र में फिल्म सिटी, टॉय पार्क, अपैरल पार्क, हैंडीक्राफ्ट पार्क, लॉजिस्टिक हब विकसित किए जा रहे हैं। प्रदेश को डेटा सेन्टर हब बनाने की दिशा में कुल 636 मेगावॉट क्षमता के डेटा सेन्टर की स्थापना का कार्य जारी। प्रदेश सरकार ने अपनी नीतियों में संरचनात्मक परिवर्तन करके एक प्रतिस्पर्धी, आकर्षक एवं सहायक प्रोत्साहन ढांचा प्रदान किया है। हमारी इंडस्ट्रियल पॉलिसी एक विकल्प आधारित मॉडल प्रदान करती है, जो उत्पादन, रोजगार एवं निर्यात को प्रोत्साहित करती है। सर्कुलर इकोनॉमी, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स तथा ग्रीन हाइड्रोजन सहित नए क्षेत्रों को भी हम प्रोत्साहित कर रहे हैं। भारत व जापान के मध्य संबंध केंद्र सरकार के साथ ही राज्यों तक भी फैले हैं। उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा से जापानी शहरों के साथ अच्छे संबंध हैं। इन साझेदारियों का उद्देश्य व्यापार, संस्कृति व शासन सहित अनेक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश लगातार आगे बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार सौर ऊर्जा, वेस्ट-टू-एनर्जी एवं हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहित कर रहा है। राज्य सरकार की योजना वर्ष 2027 तक 22,000 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करने की है। हाल ही में शुरू हुई सौर एवं जैव-ईंधन ऊर्जा सेक्टर में महत्वपूर्ण निवेश सम्मिलित है। वहीं शिक्षा क्षेत्र में जापान की भागीदारी कौशल विकास एवं नॉलेज ट्रांसफर हेतु अभिनव साझेदारी को जन्म दे सकती है। इसके अलावा सहयोगात्मक प्रयासों से उत्तर प्रदेश में आईटी, संचार एवं टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता है। जापान की विशेषज्ञता स्मार्ट सिटीज, नगरीय परिवहन एवं आपदा-रोधी अवस्थापना में उत्तर प्रदेश के विकास पहल में महत्वपूर्ण रूप से योगदान दे सकती है। ‘कृषि’ की दृष्टि से उत्तर प्रदेश काफी समृद्ध है। विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण, कृषि-तकनीक एवं आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र है। टिकाऊ कृषि एवं वैल्यू-ऐडेड खाद्य उत्पादों हेतु उन्नत टेक्नोलॉजिज को संयुक्त उद्यम के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश दुनिया का सबसे युवा राज्य है। यहां के युवा जापान से प्रशिक्षण प्राप्त करके अत्यधिक कौशल सम्पन्न श्रमिक बन सकते हैं। इससे वे वैश्विक स्तर पर उद्योगों में योगदान देने के लिए तैयार होंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले दशक में वर्तमान में जो 15 वर्ष से कम आयु की जनसंख्या है, वह कामकाजी जनसंख्या में शामिल हो जाएगी। हमने व्यवस्था को ट्रांसपैरेंट बनाया है। तकनीक की मदद से ह्यूमन इन्टरफेयरेन्स को न्यूनतम किया है। आपको इसका लाभ प्राप्त होगा। अंत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी डेलिगेशन का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर जापान के यामानाशी प्रांत के माननीय राज्यपाल श्री कोटारो नागासाकी ने कहा कि यामानाशी प्रीफेक्चर और उत्तर प्रदेश के मध्य आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। उन्हाेंने एमओयू पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जापान लेबर स्किल्ड डवलपमेंट, रिन्यूएबल एनर्जी, हाइड्रो पॉवर, ज्ञान और तकनीक के आदान प्रदान में परस्पर सहयोग प्रदान करेगा। इससे भारत और जापान के रणनीतिक संबंधों को एक नई ऊंचाई प्राप्त होगी। उन्होंने मुख्यमंत्री जी से कहा कि जापान आपका दूसरा घर है। उन्होंने यामानाशी प्रांत आने का निमंत्रण देकर सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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जापानी भाषा में बोले सीएम योगी

मिना सान कोन-नीची वा।

यामानाशीकेन नो गेनकोउ नो चिजी नागासाकी कोटारोउ सामा तो चिइमु,

कामी सामा गौतामु बूदा नो सेइची ना उत्तारु पूरादेशु शू ए,

कोकोरो कारा कांनगेई ईताशिमासु।

बोदाइसेना कारा सुआमी विवेकानंदा मादे, निहोन तो इन्दो नो आइदा, नागाकुते यूताकाना बुनका कानकेई नो रेकिशी गा सोनज़ाइ शिते इमासु ।

गोज़ोनजी नो तोओरी महातोमा गाँजी शी नो किचोउ ना शिबुत्सु नीवा सानज़ारू – मिज़ारू, कीकाज़ारू , इवाज़ारू नो ज़ोउ मो फुकुमारेते आरीमासु।
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जापान के यामानाशी प्रीफेक्चर के माननीय राज्यपाल मिस्टर कोटारो नागासाकी जी और पूरी टीम का भगवान गौतम बुद्ध की पावन भूमि उत्तर प्रदेश में हार्दिक स्वागत है। नमस्ते !

बोधिसेन से लेकर स्वामी विवेकानंद तक भारत और जापान के सांस्कृतिक संबंधों का एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है।

महात्मा गांधी की कीमती निजी संपत्तियों में तीन बुद्धिमान बंदरों (मिजारू, किकाजारू, इवाजारू) की छोटी मूर्तियां भी इसमें शामिल हैं। आप तो इन तीनों से जरूर परिचित होंगे।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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