उत्तर प्रदेश
हर साल बहराइच की 50 हजार टन हल्दी खरीदेंगे योगगुरु स्वामी रामदेव
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडेक्ट (ओडीओपी) योजना का असर लगातार दिख रहा है। अन्नदाता किसानों के लिए सीएम योगी के प्रयासों का ही नतीजा है कि योगगुरु स्वामी रामदेव बहराइच की हल्दी खरीदने के लिए आगे आए हैं। इसका इस्तेमाल वे आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में करेंगे। बता दें कि बहराइच की हल्दी की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है, इस कारण इसकी डिमांड भी काफी रहती है। यही वजह है कि योगगुरु की कंपनी और बहराइच के तीन एफपीओ के बीच एमओयू साइन किया गया है।
बहराइच के तीन एफपीओ और योगगुरु की कंपनी के बीच हुआ एमओयू
बहराइच की जिलाधिकारी मोनिका रानी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरुप जिले के उत्पादों को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने और अन्नदाता किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं। इसके तहत बहराइच में 86 कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) गठित किये गये हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि सीएम योगी के निर्देश पर हल्दी और अन्नदाताओं को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए योगगुरु स्वामी रामदेव की कंपनी के साथ बहराइच की तीन एफपीओ के बीच एमओयू साइन किया गया है। यह एमओयू बहराइच की 3 एफपीओ प्रत्युष बायोएनर्जी फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, वीरांगना लक्ष्मीबाई महिला किसान निर्माता कंपनी लिमिटेड और सीएससी राज किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड ने साइन किया है। हरिद्वार में हुए एमओयू में योगगुरु स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, बहराइच जिलाधिकारी मोनिका रानी, उप कृषि निदेशक टीपी शाही, सीएससी राज किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड मिहिंपुरवा के निदेशक अखिलेश सिंह आदि मौजूद रहे।
हर साल 50 हजार टन हल्दी खरीदेंगे स्वामी रामदेव
जिलाधिकारी मोनिका रानी ने बताया कि बहराइच का मिहिंपुरवा क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों, उपजाऊ भूमि और अनुकूल जलवायु होने के कारण कृषि के लिए काफी उपयुक्त है। यही वजह है कि यहां हल्दी, जिमीकन्द और हरी सब्जियों की काफी अधिक मात्रा में खेती की जाती है। इसे कई राज्यों के साथ ही प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी भेजा जाता है। इसके बावजूद अन्नदाताओं को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था। इसे देखते हुए अन्नदाताओं की आय बढ़ाने के लिए प्रति वर्ष 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगभग 2000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 45-50 हजार टन हल्दी के विक्रय/विपणन स्वामी रामदेव की कंपनी से कराया गया है। उप कृषि निदेशक टीपी शाही ने बताया कि एफपीओ के 1,880 पुरुष किसान तथा 975 महिला किसान हल्दी उत्पादन से जुड़े हैं। इसी तरह यहां 150 हेक्टेयर में जिमीकन्द की खेती की जा रही है, जिसमें 30-35 टन प्रति हेक्टेयर में कुल 5,250 टन जिमीकन्द का उत्पादन हो रहा है। स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों में इसकी मांग अधिक है। इसी प्रकार लगभग 600 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में हरी सब्जियों की भी यहां खेती हो रही है।
उत्तर प्रदेश
अनूठी पहल- किसानों को पराली के बदले गोवंश खाद दे रही योगी सरकार
लखनऊ,:योगी सरकार पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए लगातार महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में बेतहाशा कमी आयी है। योगी सरकार ने किसानों के हित में अनूठी पहल शुरू की है, जिसमें पराली जलाने की घटनाओं को रोकने और किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ‘पराली के बदले गोवंश खाद’ योजना चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह अभिनव अभियान प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में किया जा रहा खाद का उपयोग
प्रदेश में हर वर्ष फसलों की कटाई के बाद पराली जलाने की समस्या बढ़ जाती थी, जिससे वायु प्रदूषण गंभीर रूप से प्रभावित होता है। इसे रोकने के लिए योगी सरकार ने 28 अक्टूबर से ‘पराली के बदले गोवंश खाद’ अभियान का संचालन किया। अभियान के दौरान प्रदेश में 2,90,208.16 कुंतल पराली एकत्रित की गई और किसानों को इसके बदले 1,55,380.25 कुंतल गोवंश खाद वितरित की गई। इस खाद का उपयोग जैविक खेती और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में किया जा रहा है। अभियान के तहत प्रदेश के कई जनपदों ने उत्कृष्ट कार्य किया।
इनमें वाराणसी, बांदा, बदायूं, जालौन, बरेली, अमेठी, सिद्धार्थनगर और बहराइच शामिल हैं। इन जनपदों में किसानों ने बड़े पैमाने पर पराली जमा की और खाद का लाभ लिया। अभियान के माध्यम से पराली के बदले गोवंश खाद वितरण से निराश्रित गोवंश संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है। गो-आश्रय स्थलों में एकत्रित गोवंश खाद किसानों तक पहुंचाई जा रही है, जिससे पशुपालन विभाग की सक्रियता और प्रभावी कार्यशैली भी उजागर होती है।
जैविक खेती को मिल रहा बढ़ावा, पर्यावरण संरक्षण को मिल रही दिशा
योगी सरकार की यह पहल सिर्फ अस्थायी समाधान नहीं है, बल्कि पारदर्शी सोच को दर्शाता है। इससे जहां जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं किसानों की उत्पादन लागत भी घटेगी, यह पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। योगी सरकार का ‘पराली के बदले गोवंश खाद’ अभियान किसानों, पर्यावरण और समाज के लिए महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न सिर्फ पराली जलाने की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर रही है, बल्कि किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए भी प्रेरित कर रही है। योगी सरकार की इस पहल से प्रदेश में हरित क्रांति की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है।
अभियान से यह हो रहा फायदा
पराली जलाने से रोकथाम – किसान पराली जलाने की बजाय उसे सरकार को सौंपकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं।
जैविक खाद प्राप्ति – गोवंश खाद के रूप में किसानों को प्राकृतिक खाद प्राप्त हो रही है, जो रासायनिक खादों के उपयोग को कम कर रही है और भूमि की गुणवत्ता सुधार रही है।
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